दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महिला के साथ दुर्व्यवहार करने वाले व्यक्ति को सजा के तौर पर राम मनोहर लोहिया अस्पताल में सामुदायिक सेवा करने का आदेश दिया है। हालांकि इस मामले की शिकायतकर्ता महिला ने अदालत को यह भी बताया कि दोनों पक्षों ने कड़कड़डूमा कोर्ट में आपसी सहमति से सौहार्दपूर्ण तरीके से इस विवाद को निपटा लिया है।
प्राथमिकी के अनुसार इस व्यक्ति ने महिला के साथ दुर्व्यवहार किया था और उसे अश्लील संदेश और फोन भी किए थे। उसने महिला को इसके परिणाम भी भुगतने की धमकी दी थी लेकिन बाद में उसके तथा शिकायतकर्ता महिला के बीच समझौता हो गया था। मामले के अंतिम तौर पर निपटारे के लिए उसने उस महिला को 25 हजार की राशि देने पर सहमति जता दी थी।
हालांकि, अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता ने भले ही किसी भी कारण से उसके साथ समझौता करने का फैसला किया है लेकिन इस व्यक्ति को ऐसे ही नहीं छोड़ा जा सकता है। इस व्यक्ति को एक महिला को परेशान करने के अपने पाप का प्रायश्चित करना होगा। याचिकाकर्ता को यह महसूस करना चाहिए कि वह अदालत को हल्के में नहीं ले सकता है कि एक महिला का शील भंग करने के अपराध से समझौता कर उसे छोड़ दिया जाए।
कोर्ट ने आगे कहा कि यह अदालत उस पर जुर्माना लगाती है ताकि वह भविष्य में इस तरह के अपराधों को न दोहराए। इसके बाद अब उस व्यक्ति को तीन सप्ताह के भीतर ‘सशस्त्र सेना युद्ध हताहत कल्याण कोष’ में 50,000 रुपये की राशि जमा करने और एक महीने की अवधि के लिए आरएमएल अस्पताल, नई दिल्ली में सामुदायिक सेवा करने का निर्देश दिया जाता है।