ग्वालियर/गाजियाबाद। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की युगल पीठ ने गाजियाबाद के आर्य समाज मंदिर को नोटिस भेजा है। दो अलग अलग समुदाय के युवक-युवतियों के विवाद के सम्बन्ध में कोर्ट ने पूछा है कि आर्य समाज मंदिर किसी का मतातंरण कैसे करवा सकता है?
मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले के पिछोर निवासी राहुल उर्फ गोलू ने 17 सितंबर 2019 को घर से भागकर उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के आर्य समाज मंदिर में विवाह किया था। लड़की के पिता ने पिछोर थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई। दो साल बाद जब दोनों वापस घर लौटे तो थाने में उपस्थित हुए। दोनों विवाह की जानकारी दी लेकिन गुमशुदगी का केस दुष्कर्म में बदल गया क्योंकि लड़की नाबालिग थी। वहीँ लड़की ने पिता के साथ जाने से मना कर दिया। शिवपुरी के अपर कलेक्टर ने लड़की को नारी निकेतन भेज दिया। उधर राहुल जेल चला गया।
जमानत मिलने के बाद जब राहुल बाहर आया तो उसने पत्नी को नारी निकेतन से मुक्त कराने के लिए हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। इस याचिका की सुनवाई युगल पीठ में हो रही है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि दोनों की उम्र 18 साल से ज्यादा है और बालिग हैं। दोनों गाजियाबाद के आर्य समाज मंदिर में विवाह किया है। विवाह से पहले लड़की का मतांतरण कराया, वह हिंदू हो गई है। उसे नारी निकेतन से मुक्त किया जाए। विवाह के प्रमाण भी पेश किए। लड़की भी अपने बयानों में विवाह करना स्वीकार कर चुकी है। दोनों बालिग हैं, कहीं भी रहने के लिए स्वतंत्र हैं वहीँ लड़की के मतांतरण के संबंध में कोर्ट ने आर्य समाज मंदिर को नोटिस जारी किया है, इस सम्बन्ध में गाजियाबाद के आर्य समाज मंदिर को जवाब देना है।
यह है मतातंरण की प्रक्रिया
किसी भी व्यक्ति को यदि मतातंरण करना है तो पहले उसे प्रशासन में आवेदन देना होता है। इसके बाद प्रशासन नाेटिस से लेकर विज्ञप्ति को अखबार में प्रकाशन करने जेसी प्रक्रिया करता है। इसके बाद ही कोई व्यक्ति अपना मतातंरण कर पाता है। इस प्रक्रिया में 15 से 1 माह का समय लग जाता है।