नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने स्नातकोत्तर मेडिकल एडमिशन में EWS और OBC आरक्षण को बरकरार रखा है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की पीठ ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि उसने OBC की वैधता बरकरार रखी है। अदालत के फैसले के बाद काउंसलिंग का रास्ता अब साफ हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इसी सत्र के लिए सरकार की 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण की योजना को मंजूरी दे दी है। अदालत के फैसले के बाद काउंसलिंग का रास्ता अब साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 06 जनवरी को फैसला सुरक्षित रखने के बाद कहा था कि राष्ट्रहित में नीट पीजी काउंसलिंग शुरू होनी जरूरी है। अदालत ने मामले में पक्षों को सुनने के बाद गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिकाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण और स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए अखिल भारतीय कोटा सीटों में EWS के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती दी गई थी। NEET के माध्यम से चयनित उम्मीदवारों में से MBBS में 15 प्रतिशत सीटें और MS और MD पाठ्यक्रमों में 50 प्रतिशत सीटें अखिल भारतीय कोटा के माध्यम से भरी जाती हैं।
बता दें, अखिल भारतीय कोटा में ईडब्ल्यूएस कोटा के निर्धारण के मानदंड पर फिर से विचार करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर किए जाने के बाद NEET PG काउंसलिंग में देरी हुई। दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) के बैनर तले विभिन्न अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने काउंसलिंग सत्र में देरी को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
रेजिडेंट डॉक्टरों ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि काउंसलिंग आयोजित करने की तत्काल आवश्यकता है क्योंकि यह केंद्र सरकार के अस्पतालों में डॉक्टर के कर्मचारियों की संख्या को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने बताया, लगभग 33% कार्यक्षमता की कमी हो रहा है, कोरोनावायरस महामारी के बीच अधिक डॉक्टर की आवश्यकता है। अभी तक पीजी कोर्स में प्रथम वर्ष के छात्र शामिल नहीं हुए हैं।
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