व्हाट्सएप ग्रुप का एडमिन दूसरों के मैसेज के लिए जिम्मेदार नहीं, जानें मद्रास हाईकोर्ट ने और क्या कहा

चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन को ग्रुप के किसी दूसरे के मैसेज के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। हाईकोर्ट ने इस मामले बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को बरक़रार रखा जिसमें कहा गया था कि ग्रुप के सदस्य द्वारा पोस्ट की गई आपत्तिजनक सामग्री के लिए ग्रुप एडमिन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

करूर लॉयर्स नाम के एक ग्रुप के एडमिन द्वारा एक याचिका दायर की गई थी और एडमिन के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गई थी। ग्रुप के एक सदस्य द्वारा दो समुदायों के बीच भावना भड़काने वाले एक मैसेज भेजे गए थे। जिसके बाद ग्रुप के ही एक सदस्य ने शिकायत दर्ज की थी और एडमिन के खिलाफ आईपीसी की 153ए और 294बी के तहत मामला दर्ज किया गया था।

जिसके बाद ग्रुप के एडमिन ने उनके खिलाफ दर्ज मामलों को रद्द करने के लिए मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता ने केवल एक ग्रुप एडमिन की भूमिका निभाई है और कोई भूमिका नहीं है तो अंतिम रिपोर्ट दाखिल करते समय याचिकाकर्ता का नाम हटा दिया जाएगा। लेकिन यदि कोई और भूमिका मिलती है तो याचिकाकर्ता को मामले को मेरिट के आधार पर ही चुनौती देनी होगी।

कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन के पास ग्रुप के सदस्य को हटाने और नए सदस्यों को जोड़ने की सीमित शक्तियां होती हैं। उसके पास ग्रुप में पोस्ट की गई सामग्री को नियंत्रित, मॉडरेट या सेंसर करने की कोई शक्ति नहीं होती है। कोर्ट ने इस मामले में साल 2021 में किशोर बनाम महाराष्ट्र राज्य के मामले बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को बरक़रार रखा।

दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि ग्रुप का एडमिन ग्रुप में पोस्ट किए गए किसी भी मैसेज के लिए जिम्मेदार नहीं है। जबतक यह साबित नहीं हो कि ग्रुप के एडमिन द्वारा भी उसी तरह के काम करने की मंशा या पूर्व नियोजित योजना थी। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा था कि जब कोई व्यक्ति व्हाट्सएप ग्रुप बनाता है तो उससे ग्रुप के सदस्य के आपराधिक कृत्यों के बारे में कोई अनुमान नहीं होता है।

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