उन्नाव। उत्तर प्रदेश के चर्चित उन्नाव कांड मामले में दुष्कर्म पीड़िता और उसके स्वजन के साथ वर्ष 2019 में हुई सड़क दुर्घटना में भाजपा से निष्कासित पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर समेत छह लोगों को कोर्ट ने बरी कर दिया। हादसे में दो लोगों की मौत हो गई थी।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे ने आदेश में कहा कि कुलदीप सिंह सेंगर को आरोपित करने के लिए कोई प्रथम दृष्टया सबूत नहीं है। उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया जा सकता है।’ लेकिन कोर्ट ने आरोपित ट्रक चालक आशीष कुमार पाल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304ए (लापरवाही से वाहन चलाने के कारण किसी व्यक्ति की मौत), धारा 338 (उतावलेपन में किसी व्यक्ति की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने) का आरोप तय किया है।
वहीं आरोपित विनोद मिश्रा, हरिपाल सिंह और नवीन सिंह के खिलाफ धमकी देने का आरोप तय किया है। सेंगर के अलावा उनके सहयोगी ज्ञानेंद्र सिंह, कोमल सिंह, अरुण सिंह, रिंकू सिंह और अवधेश सिंह को भी इस मामले में बरी कर दिया गया है।
यह मामला साल 2019 का है। जब उन्नाव रेप पीड़िता रायबरेली जा रही थी। उस दौरान एक ट्रक ने उसकी गाड़ी को टक्कर मार दी थी। गाड़ी में रेप पीड़िता अपनी चाची, मौसी और वकील के साथ थी। हादसे में दुष्कर्म पीड़िता और वकील को गंभीर चोटें आईं, जबकि दोनों रिश्तेदारों की मौके पर ही मौत हो गई।
उन्नाव दुष्कर्म केस में सजा काट रहा सेंगर
इससे पहले, सेंगर को दिसंबर 2019 में उन्नाव दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराया गया था और 25 लाख रुपये के जुर्माने के अलावा उन्हें जीवन भर कारावास की सजा सुनाई गई थी। उन्नाव की बांगरमऊ सीट से भाजपा के पूर्व विधायक सेंगर पर 2017 में राजनीतिक तूफान पैदा करने वाला दुष्कर्म का आरोप लगा था।
साथ ही मार्च 2020 में, एक विशेष अदालत ने सेंगर, उनके भाई अतुल सिंह और पांच अन्य को 2018 में उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की मौत से जुड़े दो मामलों में 10 साल की कैद की सजा सुनाई थी। निचली अदालत की तरफ से दोषी ठहराए जाने के बाद कुलदीप सेंगर को भाजपा से निष्कासित कर दिया गया और विधानसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया।