कांग्रेस विधायक अदिति सिंह और बसपा विधायक वंदना सिंह भाजपा में शामिल

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) को बड़ा झटका लगा है। रायबरेली की सदर सीट से कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह और आजमगढ़ के सगड़ी सीट से बसपा विधायक वंदना सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सदस्यता ग्रहण कर ली है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के समक्ष पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में बुधवार को शाम दोनों नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।

अदिति सिंह रायबरेली सदर से विधायक रहे अखिलेश सिंह की बेटी हैं। अदिति ने यूएसए की ड्यूक यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी है। वर्ष 2017 के चुनाव में अदिति पिता की राजनीतिक विरासत की वारिस बनीं। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर वे विधायक बनीं। हालांकि, तकरीबन डेढ़ साल से उन्होंने खुद को वैचारिक तौर पर कांग्रेस से अलग कर रखा था। साथ ही पार्टी के विरुद्ध बगावती बयान भी देती रहीं।

रायबरेली सदर से कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह काफी समय से कांग्रेस की आलोचना और भारतीय जनता पार्टी की सरकार की नीतियों की सराहना करती आ रही थीं। इसके लिए कांग्रेस पार्टी उनको नोटिस भी दे चुकी है। पिछले दिनों तो अदिति सिंह ने साफ कह दिया था कि वह सीएम योगी आदित्यनाथ की टीम का हिस्सा बनना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि सीएम योगी सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री हैं और उनकी टीम का हिस्सा बनकर अपनी विधानसभा के लिए ज्यादा बेहतर कर सकूंगी।

पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के पार्टी छोड़ने पर अदिति सिंह हमलावर हुईं। उन्होंने कहा कि जितिन प्रसाद और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे पढ़े-लिखे, युवा, अनुभवी और बड़े नेता पार्टी छोड़ रहे हैं, तो इस पर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को आत्ममंथन करना चाहिए। यह एक ऐसा नुकसान है, जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती।

अनुच्छेद 370 हटने पर केंद्र सरकार के फैसले को सराहा
कांग्रेस पार्टी ने भले ही जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध किया हो लेकिन अदिति सिंह ने मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। इससे जम्मू-कश्मीर के लोग मुख्यधारा से जुड़ जाएंगे। एक विधायक की हैसियत से मैं इस फैसले का स्वागत करती हूं।

वहीं, यूपी के आजमगढ़ से सगड़ी विधानसभा क्षेत्र के नरायनपुर गांव निवासी वंदना सिंह को राजनीति विरासत में मिली है। वंदना के ससुर राम प्यारे सिंह व पति सर्वेश सिंह सीपू भी सगड़ी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। रामप्यारे सिंह मुलायम सिंह सरकार में पर्यावरण मंत्री भी रहे थे। वर्ष 2013 में सर्वेश सिंह सीपू की हत्या के बाद परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए वंदना सिंह राजनीति में उतर गई थीं। जनता ने भी इनके साथ पूरी सहानुभूति दिखाई थी। इसी क्रम में वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने इन्हें सगड़ी से टिकट दिया था. वंदना सिंह को कर्मठ और संवेदनशील नेता कहा जाता है मगर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से एक मुलाक़ात के बाद उन्हें बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी से बर्खास्त कर दिया था। उन पर बसपा में पार्टी विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने का आरोप लगा था।

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