मानवाधिकार के नाम पर देश की छवि खराब करने की कोशिश, सिलेक्टिव मानवाधिकार से लोकतंत्र को नुकसान: मोदी

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 28वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में अमिता शाह भी शामिल हुए। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में बिना किसी का नाम लिए विरोधियों पर निशाना साधा। साथ ही कहा कि मानवाधिकार के नाम पर कुछ लोग देश की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि कुछ लोगों का मानवाधिकार सिलेक्टिव है, पीएम मोदी के इस बयान को पिछले दिनों कश्मीर में हिंदुओं और सिखों की टारगेट किलिंग से जोड़कर देखा जा रहा है।  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में सबसे पहले सभी को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 28वें स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई दी। साथ ही कहा कि ये आयोजन आज ऐसे समय हो रहा है, जब हमारा देश अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के लिए मानवाधिकारों की प्रेरणा का, मानवाधिकार के मूल्यों का बहुत बड़ा स्रोत आज़ादी के लिए हमारा आंदोलन, हमारा इतिहास है। हमने सदियों तक अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया। एक राष्ट्र के रूप में, एक समाज के रूप में अन्याय-अत्याचार का प्रतिरोध किया है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत आत्मवत सर्वभूतेषु के महान आदर्शों, संस्कारों और विचारों को लेकर चलने वाला देश है। आत्मवत सर्वभूतेषु यानि जैसा मैं हूं वैसे ही सब मनुष्य हैं। मानव-मानव में, जीव-जीव में भेद नहीं है।

इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि हाल के वर्षों में मानवाधिकार की व्याख्या कुछ लोग अपने-अपने तरीके से, अपने-अपने हितों को देखकर करने लगे हैं। एक ही प्रकार की किसी घटना में कुछ लोगों को मानवाधिकार का हनन दिखता है और वैसी ही किसी दूसरी घटना में उन्हीं लोगों को मानवाधिकार का हनन नहीं दिखता। इस तरह का सलेक्टिव व्यवहार, लोकतंत्र के लिए भी उतना ही नुकसानदायक होता है। पीएम ने कहा कि मानवाधिकार का बहुत ज्यादा हनन तब होता है जब उसे राजनीतिक रंग से देखा जाता है।

उन्होंने कहा, ‘एक ऐसे समय में जब पूरी दुनिया विश्व युद्ध की हिंसा में झुलस रही है, भारत ने पूरी दुनिया को अधिकार और अहिंसा का मार्ग सुझाया है। बापू को देश ही नहीं, पूरा विश्व मानव अधिकारों और मानवीय मूल्यों के प्रतीक के रूप मे देख रहा है। बीते दशकों में ऐसे कितने ही अवसर विश्व के सामने आए हैं, जब दुनिया भ्रमित हुई है, भटकी है लेकिन भारत मानवाधिकारों के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रहा है, संवेदनशील रहा है।

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