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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. हरिओम पवार, मुख्य वक्ता डा. प्रवीण शुक्ल, शायर वीरेंद्र सिंह परवाज, हिदी भवन समिति के अध्यक्ष ललित जायसवाल और महासचिव सुभाष गर्ग ने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। डा. हरिओम पवार ने कहा कि वो खुद को केवल प्रसिद्ध कवि मानते हैं, डा. कुंअर बेचैन प्रसिद्ध भी थे और सिद्ध भी थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शायर विजेंद्र सिंह परवाज ने कहा कि हिदी साहित्य के आकाश में ध्रुव तारे की तरह डा. कुंअर बेचैन सदैव जगमगाते रहेंगे। कार्यक्रम के दौरान साहित्यप्रेमियों ने डा. कुंअर बेचैन को पद्मश्री से सम्मानित किए जाने की मांग केंद्र सरकार से की। कार्यक्रम में उपस्थित राज्यमंत्री अतुल गर्ग ने बताया कि उन्होंने इसकी लिखित संस्तुति पद्मश्री समिति को भेज दी है। इससे संबंधित पत्र कुंअर बेचैन की बेटी वंदना कुंवर को दिया। उनकी बेटी वंदना कुंअर रायजादा अपने पिता को समर्पित गीत गजलों और छंदों से पुकारूं मैं सदा सुनाते हुए भावुक हो उठीं। इस दौरान डा. बेचैन की पत्नी संतोष कुंअर मौजूद रहीं। वहीं विजेंद्र सिंह परवाज ने मौसम ए गुल है मगर गुल का निशां कोई नहीं, सुनाकर खूब तालियां बटोरी। डा. प्रवीण शुक्ल ने कैसे कह दूं कि थक गया हूं मैं सुनाया। शायर राज कौशिक ने माना कि जिस्म पर मेरे अब सर नहीं रहा, सुनाया तो सभागार तालियों से गूंज उठा। इसके अलावा कृष्णमित्र, शिवकुमार बिलगरामी, डा. रमा सिंह, अंजू जैन, सपना सोनी, डा. तारा गुप्ता, चेतन आनंद, अल्पना सुहासिनी और गार्गी कौशिक ने भी काव्य पाठ किया। संचालन राज कौशिक व पूनम शर्मा ने किया।
साभार-दैनिक जागरण।
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