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भारत में कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। साल 2020 की नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट के अनुसार, कैंसर के मौजूदा समय में 13.9 लाख मामले हैं और ये आंकड़ा 2025 तक 15.7 लाख तक पहुंच सकता है। इस रिपोर्ट में 2016 में 12.6 लाख मामले और 2019 में 13.6 लाख मामले का डेटा दिया गया है। यह अनुमान 2012 और 2016 के बीच हुए डेटा कलेक्शन पर आधारित हैं जिनमें कुछ अस्पतालों के आंकड़े भी शामिल हैं।
दुनिया भर में हार्ट अटैक की तरह कैंसर के मामलों में भी तेजी से वृद्धि हो रही है और इसे कम करने के लिए वैज्ञानिक कुछ चीजों पर प्रैक्टिकल कर रहे हैं। हाल ही में ब्रिटिश के वैज्ञानिकों ने कैंसर का जोखिम कम करने के लिए गेहूं की नई किस्म को इजाद किया है। वैज्ञानिकों ने जीन एडिटिंग तकनीक से गेहूं की नई प्रजाति का निर्माण किया जो कैंसर को रोकने में मदद कर सकते हैं।
कैंसर को रोकने के लिए गेंहू की नई किस्म
वैज्ञानिकों का यह प्रोजेक्ट 5 साल तक चलेगा। जानकारी के लिए बता दें कि ऐसा पहली बार है कि जब जीन तकनीक के जरिए यूरोप में गेहूं की फसल को उगाया जा रहा है, हालांकि इस तकनीकि को चीन और अमेरिका काफी पहले आजामा चुके हैं।
गेहूं का कैंसर से कनेक्शन?
एसपर्जिन के हटने से एंटीकैंसर बनेंगे गेंहू
ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता 1990 से जेनेटिकली मोडिफाई फसल के निर्माण में लगे हैं। शोधकर्ता निगेल हाफोर्ड का मानना है कि साल 2002 में एक्रेलामाइड की खोज हुई थी और इसे लेकर चूहे पर एक शोध हुआ था। रिसर्च में पता चला है कि एसपर्जिन फैलाने वाला एक्रेलामाइड कैंसर का कारण बनता है जो इंसानों में इस जानलेवा बीमारी के जोखिम को बढ़ाता है। गेहूं की नई फसल की क्वालिटी के स्तर पर कोई बदलाव नहीं आया है, इसमें से सिर्फ एसपर्जिन को रिमूव किया है।
साभार-नवभारत टाइम्स।
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