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अफगानिस्तान से सूखे मेवे का आयात अटारी बार्डर से होता है लेकिन अब यह बंद होने के कगार पर है। पंजाब के व्यापारियों के अनुसार अफगानिस्तान से सूखे मेवे व फलों का 2900 करोड़ का सालाना आयात होता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। तालिबान के सत्ता पर काबिज होते ही अफगानिस्तान के साथ भारत के व्यापारिक रिश्तों पर असर पड़ने की आशंका गहरा गई है। दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते सदियों से रहे हैं। परंपरागत व्यापार के अलावा भारत ने अफगानिस्तान की कई बड़ी परियोजनाओं में हजारों करोड़ रुपये का निवेश किया है। आयात-निर्यात और बड़ी परियोजनाओं पर सीधे असर से भारत के व्यापारी, आम आदमी और सरकार पर प्रभाव पड़ेगा। आइए समझते हैं कि अफगानिस्तान-भारत व्यापार की तस्वीर कैसी है और क्या फर्क पड़ सकता है।
सूखे मेवे के दामों में उछाल
-अफगानिस्तान से सूखे मेवे का आयात अटारी बार्डर से होता है, लेकिन अब यह बंद होने के कगार पर है। पंजाब के व्यापारियों के अनुसार अफगानिस्तान से सूखे मेवे व फलों का 2,900 करोड़ का सालाना आयात होता है।
-सूखे मेवे की कीमतों में 25 से 30 फीसद तक उछाल आया है। करीब 600 रुपये किलो की दर से बिकने वाला बादाम इस समय 1,000 रुपये प्रति किलो बिक रहा है।
-स्थानीय व्यापारियों का करोड़ों रुपये की एडवांस राशि फंस गई है। जिन अफगानी व्यापारियों को भारतीय व्यापारियों से पैसा लेना है, उन्होंने भी अपनी पेमेंट रुकवा दी है। उनका तर्क है कि यहां (अफगानिस्तान में) हालात सुधरने पर वह पैसा मंगवा लेंगे।
-सूखे मेवे के व्यापारी बीके बजाज ने कहा कि अटारी के रास्ते एक-दो ट्रक ही आ पा रहे हैं। पहले रोजाना आठ से 10 ट्रक आते थे।
-पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के प्रधान प्यारे लाल सेठ ने कहा कि मांग के अनुरूप आयात न होने से त्यौहारी सीजन सबसे ज्यादा प्रभावित होगा।
होजरी एवं हैंड टूल इंडस्ट्री का 70 करोड़ का व्यापार प्रभावित
-लुधियाना का होजरी उद्योग अफगानिस्तान में हर साल करीब 50 करोड़ और हैंड टूल उद्योग करीब 20 करोड़ रुपये का निर्यात करता है। फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्टर्स आर्गेनाइजेशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एससी रल्हन ने कहा कि अफगानिस्तान में हालात खराब होने से निर्यात को झटका लगा है।
10 हजार करोड़ से अधिक का व्यापार
-वित्त वर्ष 2020-21 में दोनों देशों के बीच 1.4 अरब डालर यानी लगभग 10,387 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ।
-भारत की तरफ से निर्यात की बात करें तो 2020-21 में अफगानिस्तान को करीब 6,129 करोड़ रुपये के उत्पाद भेजे गए थे।
-इस निर्यात की तुलना में भारत ने 3,783 करोड़ रुपये के उत्पादों का आयात अफगानिस्तान से किया था।
-इससे पहले वाले साल यानी वित्त वर्ष 2019-20 में दोनों देशों के बीच व्यापार 1.52 अरब डालर का रहा था। भारतीय रुपये में आंकें तो करीब 11,131 करोड़ रुपये का व्यापार इस साल हुआ था।
-साल 2011 में एक रणनीतिक समझौते के तहत भारत ने वहां बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में सहयोग के साथ ही शिक्षा और तकनीकी मदद का वादा किया था।
-नवंबर 2020 में जिनेवा में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि अफगानिस्तान का कोई भी ऐसा हिस्सा नहीं है जिसे भारत ने नहीं छुआ है।
-भारत और अफगानिस्तान के बीच दो एयर कारिडोर हैं, काबुल-दिल्ली और हेरात- दिल्ली।
हम क्या मंगाते हैं अफगानिस्तान से
-दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान के उत्पादों का सबसे बड़ा बाजार भारत है।
-अफगानिस्तान से भारत को मुख्य रूप से सूखे मेवे और फल मिलते हैं।
-किशमिश, अखरोट, बादाम, अंजीर, पाइन नट, पिस्ता, सूखी खूबानी का निर्यात अफगानिस्तान से प्रमुख रूप से होता है।
-इसके अलावा अफगानिस्तान से ताजे फल जैसे अनार, सेब, चेरी, खरबूजा, तरबूज और मसाले जैसे हींग, जीरा और केसर का भी आयात किया जाता है।
-एप्रिकोट, चेरी और औषधीय जड़ी बूटियां भी पड़ोसी देश से आती हैं।
भारत क्या भेजता है अफगानिस्तान
-भारत से मुख्यत: चाय, काफी, कपास और काली मिर्च का निर्यात अफगानिस्तान को किया जाता है।
’ इसके अलावा भारत हजारों करोड़ की परियोजनाओं में शामिल रहा है जिनमें कुछ अब भी चल रही हैं।
भारत ने किया 22,500 करोड़ रुपये का निवेश
-भारत ने अफगानिस्तान में सड़क, बांध, अस्पताल जैसे अहम बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं पर काम किया है। उसने वहां करीब 22,500 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
चिंता में डूबे दिल्ली के थोक बाजार
-पुरानी दिल्ली के थोक बाजार चिंता में डूब गए हैं क्योंकि अफगानिस्तान के साथ चांदनी चौक का कारोबारी संबंध दशकों पुराना है। करोड़ों रुपये की उधारी फंस गई है। वहां से सूखे मेवे यहां आते हैं तो यहां से परिधान, दवा, मेडिकल उपकरण और आटो पाट्र्स जाते हैं।
-आटोमोटिव एंड जनरल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन, मोरी गेट के अध्यक्ष निरंजन पोद्दार कहते हैं कि अफगानिस्तान ट्रैक्ट्रर पाट्र्स, अर्थ मूवर्स, क्रेन, हाइड्रा, पोकलेन व जेसीबी मशीनों के पाट्र्स के लिए बड़ा बाजार है। करोड़ों रुपये फंसे हैं।
-दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केटाइल एसोसिएशन, चांदनी चौक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीभगवान बंसल ने बताया कि चांदनी चौक के कपड़ा बाजार से काबुल और कंधार में लेडीज सूट व काटन के कुर्ते जाते हैं।
क्या कहते हैं ट्रेडर्स यूनियन से जुड़े लोग
-द्विपक्षीय व्यापार बुरी तरह प्रभावित होगा क्योंकि इन परिस्थितियों में भविष्य अनिश्चित होगा। शिपमेंट फंसे हुए हैं। बड़ी मात्र में भुगतान अवरुद्ध हो सकता है। सरकार को भी इसका संज्ञान लेना चाहिए।
प्रवीन खंडेलवाल, महामंत्री, कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट)
-हो सकता है कि हम सब कुछ न खोएं क्योंकि उन्हें हमारे उत्पादों की जरूरत है।
एस के सराफ, फियो के पूर्व अध्यक्ष और देश के प्रमुख निर्यातक
-करनाल के चावल निर्यात कारोबार पर अधिक असर नहीं पड़ा है। यहां से अफगानिस्तान में कम ही आयात होता है।
सुशील जैन, अध्यक्ष, हरियाणा राइस एक्सपोर्टर एसोसिएशन -साभार-दैनिक जागरण
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