हरियाणा के किसान का कमाल, रेतीली जमीन में पैदा कर रहे सेब और बादाम, तैयार की चमत्कारी दवा

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हरियाणा के चरखी दादरी के गांव कन्हड़ा निवासी धर्मेंद्र श्योराण किसानों के लिए प्रेरणा हैं। सरकार की ओर से कोई मदद नही मिली। फिर भी हौसला रखते हुए रेगिस्तान में सेब के साथ बादाम अखरोट खुरमानी खजूर अंजीर आम के पेड़ भी उगा दिए।

बाढड़ा (चरखी दादरी)। चरखी दादरी के गांव कान्हड़ा निवासी किसान धर्मेंद्र श्योराण ने लेह लद्दाख में पैदा होने वाले खुरमानी फल व कश्मीर में होने वाले बादाम, सेब अपने खेतों में पैदा किए हैं। इतना ही नहीं किसान ने एक ऐसी आर्गेनिक दवा भी तैयार की है जो किसी भी फल ना देने वाले पौधे पर प्रयोग किया जाए तो वह फल देना शुरू कर देता है।

गांव कन्हड़ा निवासी धर्मेंद्र श्योराण देशभर के किसानों के लिए प्रेरणा बने हैं। हालांकि किसान को सरकार की ओर से कोई मदद नही मिली फिर भी हौसला रखते हुए रेगिस्तान में सेब के साथ बादाम अखरोट, खुरमानी, खजूर, अंजीर, आम के पेड़ भी उगा दिए। धर्मेंद्र श्योराण द्वारा रेतीली मिट्टी में सेब पैदा करने व आर्गेनिक दवा तैयार करने की चर्चा प्रदेश सरकार ही नहीं पीएम आफिस तक पहुंच चुकी है। किसान ने बताया कि वह अपने स्तर पर नई तकनीक से खेती कर रहा है। सरकार द्वारा कोई सम्मान या सुविधा नहीं दी गई है। धर्मेंद्र का कहना है कि दवाई बारे आइसीआर के वैज्ञानिक संपर्क करने की बात कह रहे हैं लेकिन अभी वह अपने देसी शोध में किसी को शामिल नहीं करेंगे। किसान धर्मेंद्र की मेहनत से लगता है अब हरियाणा में भी वह दिन दूर नहीं जब सेब, बादाम, खुरमानी अखरोट, खजूर, अंजीर की खेती होगी।

2019 में डेढ़ एकड़ में लगाया सेब का बाग

2019 में सेब लगाने के बाद 2019 दिसंबर में डेढ़ एकड़ में सेब का बाग लगाया। 2021 में दर्जन भर पौधों पर सेब लगे हुए थे। किसान के खेत में 225 से ज्यादा सेब के पेड़ हैं और 50 के आसपास बादाम के पौधे हैं। अब की बार एक एकड़ में चने की खेती की है जिसमें 18 क्विंटल पैदावार हुई। एक चने के पौधे पर 500 से ज्यादा टांट लगी। हरियाणा के इस क्षेत्र में चना कम ही पैदा होता है। लेकिन इस किसान ने अपनी आय दोगुनी नहीं तीन गुना तक बढ़ाई।

कई प्रदेशों से ले चुके हैं जानकारी

धर्मेंद्र के वर्ष 2019 में सेब के पेड़ लगाने के बाद बागवानी विभाग ने आधा एकड़ में सेब का बाग लाडवा कुरुक्षेत्र में लगाया। धर्मेंद्र भारत के कई प्रदेशों में जाकर वहां की जलवायु, जमीन और पानी के बारे में जानकारी ले चुके हैं। इसके बाद ही उन्होंने इस दिशा में कदम उठाया है। साभार-दैनिक जागरण

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