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कोरोना संक्रमण के इलाज में मोनोक्लोनल एंटीबाडी को काफी हद तक प्रभावी माना जा रहा है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी यही इलाज दिया गया था। दूसरी लहर में न्यूटिमा कोविड केंद्र में एक डाक्टर दंपत्ती को एंटीबाडी दी गई जो ठीक होकर घर चले गए।
मेरठ। कोरोना की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में मरीजों की जान गई। प्रदेश सरकार ने तीसरी लहर से पहले आइसीयू मैनेजमेंट को बेहतर करने पर जोर दिया है, वहीं निजी अस्पतालों ने यूएसए और यूरोपीय देशों जैसा इलाज देने के लिए दवा कंपनियों से संपर्क साधा है। मोनोक्लोनल एंटीबाडी के साथ ही प्लाज्मा थेरेपी, 2-डीजी एवं नई आयुर्वेदिक पद्धतियों से होने वाला इलाज का बंदोबस्त किया जा रहा है।
कोरोना संक्रमण के इलाज में मोनोक्लोनल एंटीबाडी को काफी हद तक प्रभावी माना जा रहा है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी यही इलाज दिया गया था। दूसरी लहर में न्यूटिमा कोविड केंद्र में एक डाक्टर दंपत्ती को एंटीबाडी दी गई, जो ठीक होकर घर चले गए। डाक्टर अमित उपाध्याय का कहना है कि मोनोक्लोनल एंटीबाडी दरअसल एंटीबाडी के क्लोन होते हैं, जो एक खास प्रकार के एंटीजन को टारगेट करते हैं। इस थेरेपी में दो ड्रग एक साथ दी जाती है। यह कोविड वायरस को कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकती है। सामान्य रूप से संक्रमित मरीज को एंटीबाडी चढ़ाने के 24 घंटे के अंदर डिस्चार्ज किया जा सकता है।
प्लाज्मा थेरेपी और रेमडेसिविर भी
पिछले दो साल के संक्रमण के दौरान मेरठ में दर्जनभर मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी और सैकड़ों को रेमडेसिविर दी गई। मेडिकल कालेज से लेकर निजी अस्पतालों में रेमडेसिविर का भारी संकट रहा। कई बार मरीजों को यह दवा 50 हजार रुपए में मंगवानी पड़ी। हालांकि आइसीएमआर ने इसे ज्यादा कारगर नहीं माना है, लेकिन डाक्टरों का कहना है कि संक्रमण के चार दिन के अंदर रेमिडीसिविर इंजेक्शन लगाने से वायरस की ताकत कम हो जाती है। मेडिकल में प्लाज्मा थेरेपी के लिए कई डोनरों को पंजीकृत किया गया है।
संभव है कि तीसरी लहर ज्यादा ताकतवर न हो, लेकिन हर स्तर पर अस्पतालों को तैयार किया जा रहा है। सौ बेडों से ज्यादा क्षमता वाले 13 अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं, वहीं 2-डीजी जैसी नई दवाएं, उपकरण, मास्क, सैनिटाइजर व अन्य जरूरी सामान मंगाए गए हैं। निजी अस्पतालों में मरीजों को मोनोक्लोनल एंटीबाडी भी देने की तैयारी है।
डा. अखिलेश मोहन, सीएमओ
आयुर्वेद की खुराक से वायरस नष्ट
मेडिकल कालेज समेत सात सरकारी एवं 26 निजी अस्पतालों में कोविड का इलाज चला। आनंद अस्पताल में पंचकर्म चिकित्सा से छाती में संक्रमण को नियंत्रित किया गया। डा. आलोक शर्मा ने कई प्रकार की आयुर्वेदिक दवाइयों से मरीजों का इलाज किया। अन्य निजी कोविड केंद्रों में मरीजों को काढ़ा, भाप, अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी, चिरायता, पीपल, काली मिर्च, दालचीनी, सोंठ, कुटकी व अन्य दवाएं दी गईं। तीसरी लहर में सभी अस्पतालों में आयुष विंग खुल जाएगी। वहीं, नाक में डाला जाने वाला षड बिंदु तेल भी वायरस को रोकने में बेहद फायदेमंद बताया गया है। साभार-दैनिक जागरण
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