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गाजियाबाद। बारिश होने से सोमवार को दोपहर पौने दो बजे भले ही तापमान में गिरावट आ गई, लेकिन कलक्ट्रेट में माहौल गर्म था। यहां भारतीय किसान यूनियन (अम्बावता) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी ऋषिपाल अम्बावता व प्रदेश अध्यक्ष सचिन की अगुआई में संगठन से जुड़े पदाधिकारी कृषि कानून के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे।
नारेबाजी का शोर कार्यालय में बैठकर दो बजे होने वाली वीडियो कान्फ्रेंसिंग की तैयारी कर रहे जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह के कानों में पड़ी, तो उन्होंने संगठन से जुड़े पदाधिकारियों को बुलवाया। उन्हें कार्यालय में बैठाकर कृषि कानून के मुद्दे की विरोध की वजह पूछी। जागरूक होने के बजाय प्रदर्शनकारियों को कृषि कानून के मुद्दे पर भ्रमित देख जिलाधिकारी ने तसल्ली से उनके एक-एक सवाल का जवाब दिया, तो वे 50 मिनट में ही निरुत्तर हो गए।
2:40 बजे स्थानीय समस्याओं का समाधान कराने और केंद्र सरकार तक ज्ञापन पहुंचाने की बात कहकर वापस लौट गए। आइए, बताते हैं डीएम ने प्रदर्शनकारियों को कैसे किया निरुत्तर..
प्रदर्शनकारी: कृषि कानून किसान विरोधी है।
जिलाधिकारी : नए कृषि कानून से सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाकर किसानों की आय बढ़ाने की तैयारी में है। ऐसा होता है तो कृषि कानून में बुराई क्या है।
प्रदर्शनकारी: किसानों को फसल का दाम ठीक नहीं मिल पाता और मंडी बंद होने पर किसानों को फसल बेचने में परेशानी होगी।
जिलाधिकारी: मंडी को इसलिए बनाया गया था कि किसानों का उनकी फसल का ज्यादा दाम मिले। किसान उत्पाद लेकर मंडी जाएं और वहां बोली लगाकर आढ़ती उसे खरीदें। अब ऐसा नहीं होता है। एजेंटों के जरिए खरीद होती है। इससे किसानों को उत्पाद का सही दाम नहीं मिल पाता है। नए कृषि कानून से इस समस्या का समाधान होगा। खेत से ही किसान की फसल बिक जाएगी। जो किसान चाहें वे मंडी लाकर भी बेच सकते हैं।
प्रदर्शनकारी: कृषि कानून अच्छे हैं तो देश के किसान धरने पर क्यों बैठे हैं।
जिलाधिकारी: कुछ संगठन या विरोध कर रहे लोग ही किसान नहीं है। देश की 70 फीसद आबादी जीविकापार्जन के लिए खेती पर निर्भर है। मेरे पिता भी किसान हैं। विश्वास न हो तो अयोध्या में जाकर देख लो वे 75 साल की उम्र में भी खेती करते हैं। दिन में किसी खेत की मेड़ पर खडे़ दिखेंगे। सरकार किसानों के लिए गलत पालिसी लाकर खुद का नुकसान क्यों करेगी।
प्रदर्शनकारी: पुलिस द्वारा उत्पीड़न किया जाता है। गली में बाइक चलाते वक्त हेलमेट न लगाने पर चालान कर दिया जाता है, जबकि खुद पुलिसवाले हेलमेट नहीं लगाते।
जिलाधिकारी: सड़क सुरक्षा सप्ताह की बैठक में पता चलता है कि हेलमेट न लगाने से कितने लोगों की जान गई है। इसलिए हेलमेट लगाना अनिवार्य है। खुद ही सबको हेलमेट लगाकर ही दोपहिया वाहन चलाना चाहिए। पुलिसकर्मी हेलमेट नहीं पहनते तो गलती करते हैं। उनके खिलाफ भी कार्रवाई होती है।
प्रदर्शनकारी: लोनी में जलभराव की समस्या हैं, बिजली विभाग में भ्रष्टाचार है।
जिलाधिकारी: लोनी में जलभराव की समस्या का समाधान कराने के लिए प्रयास किया जा रहा है। बेहटा नहर की सफाई कराई जा रही है। जलनिकासी की व्यवस्था बनाने के लिए मानक संस्था की मदद ली जाएगी। इसके लिए नगरपालिका परिषद के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। रही बात बिजली विभाग में भ्रष्टाचार की, तो उस पर कार्रवाई होगी।
साभार : दैनिक जागरण
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