हिन्दू समाज के खिलाफ फिल्मों के उस्ताद आमिर खान ने भी ये सच अपनी फिल्म मंगल पाण्डेय द राइजिंग में छिपा लिया, क्योंकि उनको कुचलने के लिए केवल हिन्दू भावनाएँ चाहिए। 1857 की क्रान्ति के उद्घोष में मंगल पाण्डेय ने ब्रिटिश सत्ता को हिला दी थीं, लेकिन उसी समय एक और बलिदानी को उनके बाद फांसी की सजा मिली थी, जो उनके साथ खड़ा पूरे मामले को देख रहा था। वामपंथी और झोलाछाप इतिहासकारों ने उनका जिक्र कही भी नहीं किया। इस वीर सिपाही का नाम था ईश्वरी प्रसाद पाण्डेय, जिन्होंने मंगल पाण्डेय का साथ दिया था तथा जिन्हें मंगल पाण्डेय का साथी मान कर फांसी की सजा दे दी गयी थी।
लेकिन क्या कभी देश को बताया गया उस गद्दार का नाम जो असल में जिम्मेदार है मंगल पाण्डेय की फांसी का? ऐसा क्या था जो उस नाम को छिपाया गया .. मंगल पाण्डेय के हमले से घायल अंग्रेज अफसर सार्जेंट मेजर ह्वीसन और लेफ्टीनेंट बॉब जमीन में पड़ा लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की और अंदर ही अंदर सब अंग्रेजो की मौत से खुश भी दिखाई दे रहे थे। वो दोनों अंग्रेज मदद के लिए चीखते रह गये ..भले ही कोई लाख कहे कि उस से देशभक्ति का सबूत न माँगा जाए लेकिन पल्टू शेख की गद्दारी मंगल पाण्डेय की जांबाजी जैसी सदा सदा के लिए अमर ही रहेगी।
पल्टू शेख वही गद्दार है जो बाद में मंगल पाण्डेय की फांसी का कारण बना था क्योंकि इसने इन दोनों योद्धाओं के खिलाफ गवाही दी थी। इस पूरे मामले के बाद किसी ने भी मंगल पाण्डेय के खिलाफ मुँह नहीं खोला था लेकिन इस पल्टू शेख ने न सिर्फ अंग्रेजों को मारते मंगल पाण्डेय की कमर को कस के पकड़ लिया था बल्कि बाद में उसने अंग्रेजो के आगे पूरे मामले में गवाही भी दी और कहा कि मंगल पाण्डेय ने उसके आगे ही ह्वीसन और वोघ को मारा है .. उसको उसके तमाम साथियों ने बहुत समझाया था लेकिन वो टस से मस नहीं हुआ और बाद में मंगल पाण्डेय को फांसी दिलवा कर अंग्रेजों से काफी इनाम आदि वसूला था।
जब मंगल पाण्डेय दोनों अग्रेज अफसरों का वध कर रहे थे तब इस पल्टू शेख ने न सिर्फ मंगल पाण्डेय की कमर को कस के पकड़ कर अंग्रेजो की मदद करनी चाही बल्कि खुद से भी मंगल पाण्डेय पर हमला किया ..लेकिन दो अंग्रेज अफसरों को अकेले मार गिराने वाले जांबाज़ मंगल पाण्डेय ने इस पल्टू शेख पर भी हमला किया जिसमें वो घायल हो कर भाग गया और बाद में गवाही देने के लिए सामने आया। जिसके बाद मंगल पाण्डेय और ईश्वरी प्रसाद पाण्डेय को फांसी की सजा हुई थी। इतना ही नहीं, पल्टू शेख ने अंग्रेजो को पूरी जानकारी भी दी कि उनकी सेना में उनके लिए कौन क्या सोचता है जिसके बाद अंग्रेजो ने और भी सैनिको को उसी के हिसाब से सजाएं दी थी। जिसमें नौकरी से निकालना और जेल में डालना आदि प्रमुख था।
आज आजादी के उस उद्घोष की सभी भारतीयों को याद दिलाते हुए दो अंग्रेज अफसरों को मार गिराने वाले मंगल पाण्डेय और उनके सहयोगी ईश्वरी प्रसाद पाण्डेय को बारम्बार नमन और वन्दन करते हुए उस गद्दार पल्टू शेख को अनंत काल तक धिक्कार है जिसकी गद्दारी के चलते भारत माता को अपने दो जांबाज़ लाल खोने पड़े थे। मंगल पाण्डेय की जन्मजयंती पर उनकी जांबाजी के साथ पल्टू शेख की गद्दारी को भी सुदर्शन न्यूज प्रमुखता से सबके आगे रखता है और सवाल करता है उन तमाम नकली कलमकारों से कि उन्होंने क्यों इस नाम को अपने तक सीमित रखा और क्यों नहीं जानने दिया दुनिया को गद्दारी की एक ऐसी मिसाल जिसकी भरपाई भारत आज तक नहीं कर पाया है।
साभार-सुदर्शन न्यूज
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