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गाजियाबाद। युवाओं को स्वरोजगार और उद्योग लगाने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार की ओर से कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इनमें एक जनपद एक उत्पाद (ओडीओपी), मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना (एमवाईएसवाई), प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत जिला उद्योग केंद्र की ओर से स्वीकृत आवेदनों को बैंकों की ओर से ऋण की स्वीकृति नहीं मिली है।
समीक्षा बैठकों में गत 2020-21 के आवेदन अभी तक लंबित हैं, जबकि मौजूदा वर्ष 2021-22 के अधिकांश आवेदनों पर बैंकों की ओर से ऋण देने की प्रक्रिया भी आरंभ नहीं हो सकी है। आलम यह है कि ओडीओपी के तहत आए कुल 49 आवेदनों में सिर्फ एक आवेदन को ढाई लाख रुपये के ऋण के लिए स्वीकृति मिल सकी है, जबकि तीन करोड़ रुपये से अधिक ऋण लेने के लिए आवेदक कतार में हैं। इसके अलावा एमवाईएसवाई के 105 आवेदकों में सिर्फ चार को 18 लाख रुपये का ऋण मिल सका है।
योजनाओं के लिए आवेदन और ऋण की स्थिति
योजना — आवेदन – स्वीकृत – वितरित – निरस्त – लंबित – लंबित ऋण
ओडीओपी — 49 —— 01 — 00 — 00 — 48 — 309.67 लाख
पीएमईजीपी — 563 — 89 —– 60 —- 423 — 56 — 871.96 लाख
एमवाईएसवाई — 109 — 04 — 01 — 00 — 105 — 190.20 लाख
पीएमईजीपी — 206 — 07 —– 04 —- 72 — 130 — 110.27 लाख
तीन बैंकों के जिला समन्वयक रोज देंगे रिपोर्ट जिला प्रशासन की ओर से लगातार चेतावनी के बावजूद सुधार न होने पर तीन बैंकों के जिला समन्वयकों को नोटिस जारी किए गए हैं। इन बैंकों में पीएनबी, एसबीआइ व इंडियन बैंक के तीनों जिला समन्वयक रोज ओडीओपी, एमवाईएसवाई, पीएमईजीपी के तहत ऋण के लिए आए आवेदकों की प्रतिदिन प्रगति रिपोर्ट मुख्य विकास अधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर प्रस्तुत करेंगे। प्रशासनिक रिपोर्ट के मुताबिक एसबीआइ, पीएनबी, कैनरा, इलाहाबाद और इंडियन बैंक उक्त योजनाओं में आवेदकों को तमाम प्रक्रिया पूर्ण करने के बावजूद ऋण देने में फिसड्डी हैं।
समीक्षा बैठक से एक दिन पहले पूछा पासवर्ड केंद्र व प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी स्वरोजगार योजनाओं को लेकर बैंक अधिकारी कितने संवेदनशील हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि डीएम की अध्यक्षता में होने वाली समीक्षा बैठक से एक दिन पहले जिले की 27 बैंक शाखाओं ने जिला उद्योग केंद्र से पोर्टल का पासवर्ड मांगा। यानी इससे पहले उन्होंने आवेदनों को खोलकर भी नहीं देखा।
जिला उद्योग केंद्र की ओर से संचालित योजना के तहत समय-समय पर बैंक अधिकारियों से वार्ता की जा चुकी है। इसमें योजना के तहत लंबित आवेदनों के निस्तारण व स्वीकृत आवेदकों के ऋण वितरित करने को कहा गया है। इस मामले में शासन-प्रशासन स्तर पर मानिटरिग की जा रही है।
– बीरेंद्र कुमार, संयुक्त आयुक्त उद्योग
बैंक तमाम प्रयासों के साथ सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में लगे हैं। बैंकों की ओर से पहले किन्हीं कारणवश निरस्त किए गए आवेदनों को फिर से भेजा गया है। इनकी जांच के बाद संबंधित कागजात मांगे गए हैं। बैंक जांच पड़ताल के बाद ही पात्रों को ऋण दे रहा है। किसी भी पात्र आवेदक का ऋण नहीं रोका गया है।
– एसपी यादव, अग्रणी बैंक प्रबंधक
साभार-दैनिक जागरण
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