नई दिल्ली/फरीदाबाद। रोजाना दिल्ली-हरियाणा के बीच आवागमन करने वालों के लिए इस बार बरसात के दिन बड़ी मुश्किल भरे रहेंगे। चंडीगढ़-दिल्ली मार्ग पर सोनीपत के पास कुंडली और बहादुरगढ़ के पास टीकरी बॉर्डर पर पिछले सात माह से किसान संगठनों का कब्जा है। इसके चलते लोग आसपास के गांवों के वैकल्पिक मार्गों से आवागमन करते हैं। फरीदाबाद की तरफ से दिल्ली पहुंचने का रास्ता बदरपुर बॉर्डर होते हुए है। लेकिन बॉर्डर पार करने के आठ किलोमीटर बाद आश्रम चौक पर निर्माणाधीन अंडरपास का काम अधूरा होने की वजह से लोग बिना बरसात ही 30 से 45 मिनट तक जाम में फंसे रहते हैं। बरसात होने के बाद तो दिल्ली पहुंचना किसी जंग जीतने से कम नहीं होगा। कमोबेश यही हाल दिल्ली-गुरुग्राम मार्ग का है। यहां सिरहौल बार्डर के पास सामान्य दिनों में भी जाम की स्थिति रहती है। सुबह-शाम जब दोनों महानगरों में काम करने वाले लोग एक ही समय में आवागमन करते हैं तो यहां यातायात का दबाव इस कदर बढ़ जाता है कि जैसे नजदीक होते हुए भी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली बहुत दूर हो गई है। दिल्ली-गुरुग्राम मार्ग पर एंबियंस के सामने यू-टर्न अंडरपास निर्माणाधीन है। इसका काम अभी पूरा नहीं हुआ है। बरसात के दिनों में वाहन चालकों के लिए इन मार्गों से निकलना सबसे मुश्किल काम होगा। लंबे जाम के अतिरिक्त आश्रम चौक पर सड़क पूरी तरह टूटी हुई है। सड़क के गड्ढों में जलभराव के चलते यातायात और धीमा हो जाता है।

काम पर जाने से पहले थकान भर देता है आश्रम का लंबा जाम

फरीदाबाद से बदरपुर बार्डर फ्लाईओवर पार करने में महज 15 मिनट लगते हैं। यह दूरी 16 किलोमीटर है। लेकिन फ्लाईओवर के बाद आली गांव से आश्रम चौक पार करने में 30 से 45 मिनट तक लगते हैं। जबकि यह दूरी महज आठ किलोमीटर है। सुबह नौ बजे से 11 बजे तक तो इस आठ किलोमीटर की दूरी पूरे 45 मिनट में ही तय होती है। इससे पहले दो घंटे (सुबह सात से नौ बजे) में यह दूरी 15 मिनट में और सुबह 11 से एक बजे तक 30 मिनट में तय होती है। दिल्ली से प्रतिदिन आवागमन करने वाले लोग बताते हैं कि आश्रम का लंबा जाम तो काम पर जाने से पहले ही थकावट महसूस करा देता है।

सिर्फ चालान काटने तक सीमित है ट्रैफिक पुलिस की भूमिका

आली गांव से आश्रम चौक तक दोनों तरफ तीन जगह दिल्ली ट्रैफिक पुलिस कर्मी खड़े होते हैं। फरीदाबाद से दिल्ली जाते समय आली गांव के पास, नेहरू प्लेस फ्लाईओवर के नीचे और न्यू फ्रेंड्स कालोनी ईस्ट का कट पार करने के बाद ट्रैफिक पुलिस कर्मी पूरी मुस्तैदी के साथ खड़े रहते हैं। इनका ध्यान ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने की बजाय नियमों तोड़ने वालों का चालान करने पर होता है। आश्रम चौक से तो पुलिस कर्मी अक्सर नदारद ही रहते हैं। यदि ट्रैफिक पुलिसकर्मी कभी दिखाई देते हैं तो सिर्फ चालान करना ही उनका मकसद होता है।

जयदीप सांगवान (फरीदाबाद) का कहना है कि आश्रम से दो किलोमीटर पहले से लगने वाले जाम का आलम यह है कि इसमें एक किलोमीटर तक तो गाड़ी सुरक्षित निकल जाती है। जैसे ही आश्रम चौक के नजदीक 800 मीटर लंबी टूटी सड़क पर गाड़ी पहुंचती है तो हम उस समय को कोस रहे होते हैं जब यहां से निकलने का फैसला किया था। इस टूटी सड़क पर महंगी गाड़ी में कब कोई ट्रक, आटो रिक्शा या माल ढोने वाला टैंपू साइड मार दे, कुछ पता नहीं चलता। इसलिए हम वैकल्पिक मार्ग से निकलना पसंद करते हैं। साभार-दैनिक जागरण

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