भारत में दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम चल रहा है। 21 जून से सरकार ने नई वैक्सीनेशन पॉलिसी लागू की है, उसके बाद से वैक्सीनेशन ने रफ्तार पकड़ी है। अब तक 32 करोड़ से भी ज्यादा डोज दिए जा चुके हैं, लेकिन इसके साथ ही देश में फर्जी वैक्सीन का धंधा भी पनप रहा है।
महाराष्ट्र के बाद पश्चिम बंगाल में भी नकली वैक्सीन लगाए जाने के मामले आए हैं। इसी तरह के एक वैक्सीनेशन कैंप में नकली वैक्सीन लगाए जाने से TMC सांसद मिमी चक्रवर्ती बीमार हो गई हैं।
आप कैसे असली और नकली वैक्सीन की पहचान कर सकते हैं? वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट को कैसे जांच सकते हैं? वैक्सीनेशन के नाम पर दुनियाभर में किस तरह से फर्जीवाड़ा हो रहा है?आइए समझते हैं…
पहले समझिए फर्जी वैक्सीन लगाने के अब तक देश में कितने मामले सामने आए हैं?
इस तरह का पहला बड़ा मामला मुंबई में सामने आया था। मुंबई के कांदिवली इलाके में हीरानंदानी हेरिटेज सोसायटी में 30 मई को वैक्सीनेशन कैंप का आयोजन किया गया। इसमें 390 लोगों को वैक्सीन लगाई गई। इस फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब वैक्सीन लगने के बाद किसी में भी पोस्ट वैक्सीनेशन सिंप्टम्स नहीं दिखाई दिए।
लोगों का शक तब और गहरा हो गया जब वैक्सीनेशन के सर्टिफिकेट दिए गए। सर्टिफिकेट में जिन अस्पतालों का नाम लिखा था वहां जाकर जब सोसायटी के लोगों ने पूछताछ की तब पता लगा कि अस्पताल ने सोसायटी में इस तरह का कोई कैंप लगाया ही नहीं था।
इस तरह का मामला बंगाल में भी सामने आया। यहां एक शख्स ने खुद को IAS अफसर बताकर अलग-अलग जगहों पर वैक्सीनेशन कैंप लगाए, जिसमें कई लोगों को वैक्सीन लगाई गई। इस फर्जी वैक्सीनेशन का शिकार TMC सांसद और एक्ट्रेस मिमी चक्रवर्ती भी हो गईं। मिमी की शिकायत पर पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया जिससे पूछताछ में खुलासा हुआ कि इस कैंप में कोरोना की वैक्सीन की जगह एंटीबायोटिक का डोज दिया गया था।
दुनिया के दूसरे देशों में भी क्या इस तरह के मामले सामने आए हैं?
हां। कई देशों में नकली वैक्सीन से लेकर नकली सर्टिफिकेट तक बनाने के मामले सामने आए हैं। अमेरिका में वैक्सीनेशन के बाद एक कार्ड दिया जाता है जो इस बात का सबूत होता है कि आपको वैक्सीन लग चुकी है। वहां इस तरह के फर्जी वैक्सीनेशन कार्ड ईबे, शॉपीफाय और दूसरी ई-कॉमर्स साइट पर बिकने लगे।
अप्रैल में मैक्सिको में 80 लोगों को फाइजर की नकली वैक्सीन लगाने का मामला सामने आया था। इसका खुलासा वायल की पैकिंग और बैच नंबर देखकर हुआ था। इसी तरह पोलैंड में फाइजर वैक्सीन बताकर लोगों को झुर्रियां मिटाने की दवा लगा दी गई थी।
किस तरह चल रहा है नकली वैक्सीन का खेल?
मुंबई में जिस सोसायटी में लोगों को नकली टीके लगे हैं, वहां SP इवेंट्स नामक कंपनी से जुड़े दो लोगों ने सोसायटी के मेंबर से संपर्क कर सोसायटी में ही वैक्सीनेशन कैंप लगाने की बात कही। 30 मई को वैक्सीनेशन कैंप लगाया गया जिसमें 390 लोगों को वैक्सीन लगी और एक डोज के 1260 रुपए लिए गए। इस दौरान किसी को भी वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट नहीं दिया गया।
कोलकाता में एक शख्स ने खुद को IAS अफसर बताकर ट्रांसजेंडर और दिव्यांग लोगों के लिए वैक्सीनेशन कैंप का आयोजन किया। इस कैंप में लोगों को फ्री वैक्सीन लगाई गई। इस शख्स ने TMC सांसद मिमी चक्रवर्ती को कैंप में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया और उन्हें भी वैक्सीन लगाई गई।
मिमी के मुताबिक, शख्स ने कहा था कि आप कैंप में वैक्सीन लगवाएंगी तो आपको देखकर बाकी लोग भी वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित होंगे। वैक्सीन लगवाने के बाद मिमी के पास वैक्सीनेशन कंफर्मेशन का कोई मैसेज नहीं आया तो उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस से की।
भास्कर ने कुछ सवालों का जवाब जानने के लिए डॉक्टर पूनम चंदानी से बात की। डॉक्टर पूनम चंदानी फिलहाल भोपाल के जवाहरलाल नेहरू हॉस्पिटल में कोरोना मरीजों की सैंपलिंग का काम देख रही हैं…
वैक्सीन लगने के बाद मैसेज और सर्टिफिकेट कब तक आ जाता है?
वैक्सीन लगने के 5 मिनट के भीतर ही आपको कंफर्मेशन मैसेज आ जाता है और 1 घंटे में कोविन पोर्टल पर सर्टिफिकेट भी आ जाता है। यानी कोई आपको कहे कि आपको सर्टिफिकेट बाद में दिया जाएगा तो आप उसकी वजह जान सकते हैं।
मुंबई में जिस वैक्सीनेशन कैंप में फर्जीवाड़ा हुआ था वहां कहा गया था कि सभी सर्टिफिकेट एक साथ बाद में दिए जाएंगे। जबकि सर्टिफिकेट एक घंटे के भीतर ही आ जाता है।
वैक्सीन रजिस्ट्रेशन के वक्त क्या सावधानियां बरतें?
दरअसल वैक्सीन रजिस्ट्रेशन के बहाने भी ठगी के कई मामले सामने आ चुके हैं। लोगों को वैक्सीन रजिस्ट्रेशन के लिए एक मैसेज भेजा गया जिसमें एक लिंक थी। इस लिंक पर क्लिक करते ही आपके फोन में एक दूसरी ऐप डाउनलोड हो जाती है। इस ऐप का इस्तेमाल आपकी जानकारी चुराने के लिए किया जा रहा है।
यहां हम आपको रजिस्ट्रेशन के वक्त ध्यान रखने वाली बातें बता रहे हैं
- केवल कोविन ऐप या पोर्टल से ही वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन करें। भारत सरकार ने वैक्सीनेशन के लिए कोविन पर ही सारी सुविधा दी है। दूसरे किसी ऐप या वेबसाइट को न खोलें, न ही अपनी कोई जानकारी दें।
- कोविन पोर्टल का लिंक
- कोविन ऐप डाउनलोड करने के लिए लिंक
- रजिस्ट्रेशन के वक्त अपना ही मोबाइल नंबर एंटर करें। अगर आपके पास कोविन से जुड़ा कोई ओटीपी आता है तो उसे किसी के साथ शेयर न करें।
- रजिस्ट्रेशन करने के बाद आप स्लॉट बुक करेंगे तब भी आपके पास एक ओटीपी आएगा। इस ओटीपी को वैक्सीन लगवाने के पहले स्वास्थ्यकर्मी को बताना होगा।
- कोविन पोर्टल पर आप एक मोबाइल नंबर से 4 लोगों का रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। ध्यान रखें कि अपने मोबाइल नंबर से अपने परिचित का ही रजिस्ट्रेशन करें।
वैक्सीन के सर्टिफिकेट को कैसे जांचें?
- वैक्सीन के सर्टिफिकेट पर एक QR कोड होता है जिसे स्कैन कर आप सर्टिफिकेट की असली या नकली की जांच कर सकते हैं।
- साथ ही सर्टिफिकेट पर आपका नाम, उम्र, वैक्सीन लगाने की तारीख और टाइम, वैक्सीनेशन सेंटर का नाम और आपको जिस स्वास्थ्यकर्मी ने टीका लगाया है उसका नाम भी होता है। अगर इस जानकारी में कोई भी गलती या गड़बड़ी है तो तुरंत इसकी शिकायत करें।
अगर आपको नकली वैक्सीन लगी है तो उसका क्या प्रभाव होगा?
अगर आपको नकली वैक्सीन लगी है तो आपको कोई भी पोस्ट वैक्सीनेशन सिंप्टम्स नहीं होंगे। जैसे हाथ दुखना, हल्का बुखार आना या थकान होना। सामान्यत: वैक्सीन लगने के बाद 80% लोगों में इस तरह के लक्षण देखे जाते हैं। हालांकि ये आपकी इम्यूनिटी और वैक्सीन के प्रकार पर भी निर्भर करता है।
तो फिर वैक्सीन असली है या नकली ये जानने का पक्का तरीका क्या है?
वैक्सीनेशन के लिए सरकारी वैक्सीनेशन सेंटर पर ही जाएं। अगर प्राइवेट सेंटर पर जा रहे हैं तो पहले पता करें कि ये अधिकृत है या नहीं। प्राइवेट वैक्सीन सेंटर भी कोविन पोर्टल पर होते हैं। आप कोविन पोर्टल या ऐप से ही प्राइवेट सेंटर पर भी स्लॉट बुक कर सकते हैं।
वैक्सीन लगने के एक महीने बाद आप एंटीबॉडी टेस्ट भी करा सकते हैं। इस टेस्ट के जरिए आपके शरीर में एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है। आपको अगर सही वैक्सीन लगी है तो आपके शरीर में एंटीबॉडी जरूर बनेगी।
क्या कोई आम आदमी बैच नंबर से वायल ट्रेस कर सकता है?
नहीं। वायल के बैच नंबर से आप इसे ट्रेस नहीं कर सकते। कुछ गड़बड़ी होने की आशंका पर केवल सरकारी कर्मचारी ही वैक्सीन कंपनी से बैच नंबर की जानकारी निकलवा सकते हैं। साभार-दैनिक भास्कर
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