कोडवर्ड में हो रहा था धर्मांतरण:इस्तेमाल हो रहे 7 कोड में से 6 को ATS ने किया डिकोड, मूक बधिरों के साइन लैंग्वेज को बनाते थे हथियार

पढ़िए  दैनिक भास्कर की ये खबर…

उत्तर प्रदेश में लगातार बढ़ते धर्मांतरण को लेकर ATS को कई अहम कोड वर्ड मिले हैं। इन कोडवर्ड के सहारे ही लोगों का धर्मांतरण किया जाता था। आरोपी मौलानाओं से पूछताछ में ATS ने धर्मांतरण के सिंडिकेट को लेकर बड़ा खुलासा किया है। ATS ने बताया कि सिंडिकेट के लिए मूक बधिरों का साइन लैंग्वेज बड़ा हथियार था। इस तरह वो इशारों में अपने मकसद को लोगों तक पहुंचाते थे।

ये सिंडिकेट से जुड़े लोगों के लिए सुरक्षा एजेंसियों से बचे रहने का आसान तरीका था। यही नहीं, इस नेक्सस के लोग धर्म बदलने के इस खेल में सामान्य बोल-चाल की भाषा के बजाय कोड वर्ड का इस्तेमाल करते थे। ATS को 7 कोडवर्ड मिले जिसमें से 6 को डिकोड करके उसका मतलब पता कर लिया गया है। आइए देखें, कौन से हैं वे कोड…

ये हैं धर्मांतरण के खुफिया कोड वर्ड

  1. अल्लाह के बंदे: मूक बधिर बच्चों के लिए साइन लैंग्वेज में बने वीडियो यू-ट्यूब पर अपलोड किए जाते थे। अगर कोई वीडियो को लाइक करता था तो, उसको कोर्ड वर्ड में उस वीडियो के चैट बॉक्स में अल्लाह के बंदे उर्दू में लिखा संदेश मिलता था। इसके वीडियो को लाइक करने वालों से सिंडिकेट से जुड़े लोग संपर्क करते थे। हिंदू से मुस्लिम बने कानपुर के आदित्य की मां ने भी एटीएस को यही जानकारी दी थी।
  2. बर्थडे डिजिट: धर्मांतरण के लिए चिह्नित लोगों के नाम न लिखकर उनके मोबाइल नंबर, जन्मतिथि के कुछ डिजिट से उनकी लिस्टिंग की जाती थी।
  3. धर्म परिवर्तन को (रिवर्ट बैक टू इस्लाम प्रोग्राम) कोड वर्ड में कहते थे। नोएडा डेफ सोसायटी के जिस टीचर के माध्यम से यह गिरोह बच्चों को टारगेट कर रहा था। उसका काम ऐसे बच्चों की पहचान करना होता था, जो आसानी से इनके जाल में फंस सकें।
  4. रहमत: जांच में पता चला कि विदेशी फंडिंग पर इसके साथ उर्दू में एक मैसेज आता था (रहमत)। यह फंडिंग के लिए इनका कोडवर्ड था।
  5. मुतक्की: इस शब्द का प्रयोग छात्रों के लिए किया जाता था। यूपी एटीएस ने जब इस कोड को डिकोड किया तो उन्हें पता चला कि, मुतक्की वो शख्स होता है जो हक को और सच को तलाश करने वाला होता है। छात्रों को इस्लाम पढ़ाने से पहले इस तरह की भावना इसी कोड वर्ड से उनके मन मे भरी जाती थी।
  6. सलात: इस शब्द का प्रयोग हर तकरीर में किया जाता था। यह शब्द वो व्यक्ति बार-बार प्रयोग करता था जिसको इस्लाम में धर्मांतरण कराने की जिम्मेदारी दी जाती थी। एटीएस ने जब इस कोड को ब्रेक किया तो, पता चला कि ये नमाज़ के लिए कहा जाने वाला शब्द है। इस शब्द का अर्थ -नमाज़ को नियमपूर्वक पढ़ना पुण्य तथा इस प्रथा का पालन ना करना या त्याग देना पाप होना बताया गया है।
  7. कौम का कलंक: एटीएस को कौम का कलंक कोडवर्ड भी मिला है जिसका अभी तक मतलब नहीं पता चल पाया है। ATS इसे डिकोड करने में जुटी है।

धर्मांतरण प्रकरण में अब तक 5 गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश में हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराने के मामले में अब तक 5 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। बीते 21 जून को मौलाना जहांगीर और मौलाना उमर गौतम को ATS ने लखनऊ से पकड़ा था। इसके बाद सोमवार को यूपी ATS ने महाराष्ट्र के बीड से इरफान, दिल्ली से राहुल भोला और गुरुग्राम से मन्नू यादव से दबोचा। मौलाना उमर गौतम और जहांगीर, इरफान खान के साथ मिलकर लालच देकर धर्मांतरण करवाते थे। मन्नू यादव उर्फ अब्दुल मन्नान पुत्र राजीव यादव भी मूक बधिर है। इसने ही कानपुर के आदित्य गुप्ता का धर्मांतरण कराया था।

मौलाना उमर गौतम असम के मरकज-उल-मारिफ नाम की संस्था के साथ काम कर रहा था। यह संगठन बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों के लिए काम करता है। असम में इसे आतंकी संगठन करार देकर 2010 में इसके खिलाफ दिसपुर में फेरा के तहत में मुकदमे दर्ज किए गए हैं।

फिलीपींस के बिलाल फिलिप से जुड़ा है धर्मांतरण के तार
यूपी में धर्मांतरण के तार फिलीपींस के घोषित आतंकी बिलाल फिलिप से जुड़े हैं। बिलाल फिलिप की मदद से उमर गौतम के इंस्टीट्यूट IDC को विदेशों से फंड मिल रहा था। इंटरनेशनल तस्कर के रूप में मशहूर बिलाल दोहा कतर में आतंकी ट्रेनिंग सेंटर चलता है। इंडिया से धर्म परिवर्तन करवाकर मुस्लिम बनाए गए युवाओं को इसी ट्रेनिंग सेंटर तक पहुंचाने की योजना था। साभार-दैनिक भास्कर

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