कोरोना के दौर में शाम की वर्जिश:मेटाबॉलिक हेल्थ के लिए शाम की एक्सरसाइज ज्यादा कारगर, दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है और ब्लड शुगर भी कंट्रोल होता है

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लोग इस समय कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रहे हैं। हेल्दी रहने के लिए तमाम तरह की एक्सरसाइज कर रहे हैं। ऐसे समय में ऑस्ट्रेलिया में हुई एक स्टडी का कहना है कि शाम की एक्सरसाइज आपकी मेटाबॉलिक हेल्थ सुधारने के साथ-साथ, दिल की बीमारी और ब्लड शुगर कंट्रोल करने में भी मदद कर सकती है।

आपके डॉक्टर ने भी कई बार मेटाबॉलिज्म का जिक्र किया होगा, लेकिन क्या आपको पता है कि मेटाबॉलिक हेल्थ के लिए सुबह की बजाय शाम की एक्सरसाइज ज्यादा कारगर है।

एक्सरसाइज टाइमिंग पर हुई एक नई रिसर्च में यह सामने आया है कि सुबह की बजाय शाम को एक्सरसाइज करने के कई फायदे हैं और सबसे ज्यादा फायदा आपकी मेटाबॉलिक हेल्थ को होता है।

इस स्टडी में केवल उन पुरुषों को शामिल किया गया था, जो हाई-फैट डाइट लेते थे। इसमें महिलाओं को शामिल न करने की वजह ये बताई गई कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं का मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है। स्टडी में शामिल पुरुषों में शाम की एक्सरसाइज से काफी ज्यादा फर्क नजर आया। जबकि उसी एक्सरसाइज को सुबह करने वाले लोगों में ज्यादा फर्क नहीं दिखा।

क्या है मेटाबॉलिज्म?
हम जो खाते-पीते हैं, उसको पचाकर ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया मेटाबॉलिज्म कहलाती है। सामान्य शब्दों में यह वह प्रक्रिया है, जो कैलोरी को ऊर्जा में बदल देती है। हमारे शरीर को हर समय ऊर्जा की जरूरत होती है।

शरीर में मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया 24 घंटे चलती रहती है। उस वक्त भी, जब हम आराम की मुद्रा में होते हैं। सोते समय शरीर की आंतरिक क्रियाओं जैसे रक्त संचार, सांस लेने, कोशिकाओं की मरम्मत आदि के लिए भी ऊर्जा की जरूरत होती है।

दो तरह का होता मेटाबॉलिज्म
मेटाबॉलिज्म दो तरह का होता है। बीएमआर (बेसल मेटाबॉलिक रेट) और आरएमआर (रेस्टिंग मेटाबॉलिक रेट)। आराम की मुद्रा में भी हमारा शरीर ऊर्जा की खपत कर रहा होता है।
हम दिनभर में जितनी कैलरी का सेवन करते हैं, उसके 75 फीसदी की खपत आरएमआर करता है। बाकी कैलरी पाचन और अन्य शारीरिक गतिविधियों के लिए होती है।

मेटाबॉलिक हेल्थ और शाम की एक्सरसाइज का कनेक्शन
शरीर के हर टिश्यू में एक मॉलिक्यूलर क्लॉक होती है जो रोजाना धूप, भोजन और नींद के असर को बताने के लिए एक मैसेज भेजती है। यही मॉलिक्यूलर क्लॉक शरीर के अंदर होने वाली सारी प्रॉसेस जैसे ब्लड शुगर को बढ़ाने या घटाने, एनर्जी, मांसपेशियों की ताकत, भूख, हार्ट रेट, बॉडी टेम्परेचर, सेल डिवीजन के लिए बायोलॉजिकल सिस्टम से कोऑर्डिनेट करती है।

स्टडी के मुताबिक जिन लोगों की दिनचर्या और मेटाबॉलिक हेल्थ ठीक नहीं है, उनके लिए शाम की एक्सरसाइज फायदेमंद हो सकती है। खास तौर पर उन लोगों के लिए जो देर रात तक जागते हैं और सुबह देर तक सोते हैं।

मई में डायबेटोलोजिया में प्रकाशित हुई ऑस्ट्रेलियन कैथोलिक यूनिवर्सिटी की मैरी मैककिलोप इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च से संबंधित वैज्ञानिकों की इस स्टडी में एक्सरसाइज का टाइम बदलने वालों से हाई-फैट डाइट लेने के लिए कहा गया था। इसके लिए 24 ओवरवेट ऑस्ट्रेलियाई पुरुषों को चुना गया था। वैज्ञानिकों ने सबसे पहले इनकी एरोबिक फिटनेस, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड-शुगर कंट्रोल और हेल्थ से जुड़े अन्य पहलुओं की जांच की, उनसे खाने की आदतों के बारे में पूछा और बताया कि एक्सपेरिमेंट के दौरान उन्हें क्या खाना है।

वॉलंटियर्स को दिया हाई-फैट वाला खाना
इनकी मील में लगभग 65 प्रतिशत फैट शामिल था, क्योंकि शोधकर्ता यह जानना चाहते थे कि एक्सरसाइज का टाइम मेटाबॉलिज्म और ब्लड-शुगर कंट्रोल को कैसे प्रभावित कर सकता है। पांच दिन तक वॉलंटियर्स ने सिर्फ फैट वाला खाना खाया और टेस्ट करवाते रहे। शोधकर्ताओं ने इन वॉलंटियर्स को 3 ग्रुप में बांट दिया। एक ग्रुप को सुबह 6.30 बजे एक्सरसाइज करने के लिए कहा, दूसरे ग्रुप को शाम को 6.30 बजे और तीसरे ग्रुप को एक्सरसाइज न करने के लिए कहा गया।

शाम को एक्सरसाइज करने वालों में दिखे ज्यादा बेहतर रिजल्ट
पहले पांच दिन फैट वाला खाना खाने के बाद पुरुषों का कोलेस्ट्रॉल तेजी से बढ़ गया था, खासतौर पर एलडीएल जो सबसे खतरनाक होता है। उनके ब्लड में मेटाबॉलिज्म और हार्ट की बीमारी के लिए जिम्मेदार मॉलिक्यूल्स भी मिले।

जो ग्रुप सुबह एक्सरसाइज कर रहा था, उसमें बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल और ब्लड में हुए बदलाव पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा।

जबकि शाम के समय एक्सरसाइज करने वालों का कोलेस्ट्रॉल तेजी से कम हुआ, हार्ट की बीमारी और मेटाबॉलिज्म से जुड़े जो बदलाव उनके ब्लड में हुए थे, वो भी धीरे-धीरे सुधरने लगे। साथ ही वर्कआउट के बाद जब ये लोग सोए तो उनका ब्लड शुगर भी काफी तेजी से कंट्रोल हुआ।

हाई-फैट डाइट के असर को शाम की एक्सरसाइज ने तेजी से कम किया
ऑस्ट्रेलिया में विजिटिंग रिसर्चर के रूप में इस स्टडी का नेतृत्व करने वाले नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में एक्सरसाइज साइंटिस्ट ट्राइन मोहोल्ट ने बताया कि हाई-फैट खाना खाने के बाद लोगों के शरीर में जो बदलाव हुए थे, वो शाम को एक्सरसाइज करने वालों में तेजी से सुधरे। जबकि सुबह एक्सरसाइज करने वालों में ऐसा नहीं हुआ।

हालांकि इस स्टडी से यह पता नहीं चल पाया कि शाम की एक्सरसाइज मेटाबॉलिक हेल्थ के लिए कैसे इतनी ज्यादा प्रभावी साबित हुई, लेकिन मोहोल्ट का मानना है कि इससे मॉलिक्यूल क्लॉक भी प्रभावित हुई, जिसकी वजह से ये बदलाव हुए।

साभार-दैनिक भास्कर

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