वैक्सीनेशन का प्रमाण नहीं तो मुश्किल होगी विदेश यात्रा:वैक्सीन पासपोर्ट की डिमांड तेज, यूरोप के किसी भी देश में जाने के लिए आपको भरने पड़ सकते हैं 1.82 लाख रुपए

पढ़िये दैनिक भास्कर की ये रिपोर्ट

अमेरिका, कनाडा, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, यूरोपीयन यूनियन और कुछ एशियाई देशों की सरकारें व एयरलाइंस इंडस्ट्रीज कथित तौर पर वैक्सीन पासपोर्ट लागू करने की तैयारी कर रही हैं। कोरोना महामारी के चलते इजराइल ने इस साल फरवरी से ही वैक्सीन पासपोर्ट या वैक्सीन सर्टिफिकेट अनिवार्य कर दिया है। असल में एक मोबाइल ऐप के जरिए यह पूरी व्यवस्‍था तैयार की जा रही है, जिसके जरिए यात्री यह साबित कर पाएं कि उन्होंने वैक्सीनेशन करा लिया है। इससे वो अनायास क्वारैंटाइन होने के नियमों से बच जाएंगे।

पिछले हफ्ते यूरोपीय देशों ने भी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए दो लिस्ट बना ली है। इनमें ग्रीन लिस्ट और एम्बर लिस्‍ट है।

ग्रीन लिस्ट: पुर्तगाल, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, इजराइल और न्यूजीलैंड समेत 16 देशों के नागरिक यूरोपीय यूनियन के सभी 30 देशों में बेरोक-टोक घूम सकते हैं। उन्हें कोरोना टेस्ट कराने और क्वारैंटाइन होने की जरूरत नहीं होगी।

एम्बर या रेड लिस्ट: चीन, स्पेन, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, इटली समेत 12 देशों के नागरिकों को यूरोपियन यूनियन के देशों में दाखिल होने के लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं। यात्रा से 3 दिन पहले की निगेटिव रिपोर्ट और 10 दिन आइसोलेशन जैसी शर्तें माननी होंगी। इसमें यात्री को खुद को सेल्फ आइसोलेशन में रखने का खर्च भी उठाना होगा, जो 1750 यूरो यानी करीब 1 लाख 82 हजार रुपए होंगे। हालांकि अगर यात्री के पास वैक्सीन पासपोर्ट हो तो वो इन शर्तों से बच सकता है।

भारत, ब्राजील लिस्ट से बाहर, लेकिन रेड लिस्ट में जाने की उम्मीद
कोरोना की दूसरी लहर के शिकार हुए ब्राजील, भारत और साउथ अफ्रीका जैसे देशों को अभी दोनों ही लिस्ट से बाहर रखा गया है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि भारत को रेड लिस्ट में रखा जाएगा।

इस तरह की समस्या से बचने के लिए हो रही है सबके लिए एक कॉमन पास की तैयारी
अलग-अलग देश यात्रियों को लेकर अपने अजीबो-गरीब नियम बना रहे हैं। इससे बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (IATA) और विश्व इकोनॉमिक फोरम (WEF) करीब 350 प्राइवेट और पब्लिक साझेदारों के साथ मिलकर एक ‘कॉमन पास’ लॉन्च करने की तैयारी में है, लेकिन अभी कर नहीं पाया है। अगर ये कॉमन पास वाली सुविधा जल्दी आ जाए तो भारतीय यात्रियों को आने-जाने में आसानी हो जाएगी।

इसी साल जनवरी में यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन (UNWTO) और ग्लोबल टूरिज्म क्राइसिस कमेटी ने स्पेन में एक बैठक की थी। इसमें सहमति बनी थी कि यात्रा के लिए जरूरी दस्तावेजों में वैक्सीन पासपोर्ट को सबसे अहम दस्तावेजों में शामिल किया जाए।

6 महीने से लगा हुआ है WHO, लेकिन अभी कोई ऐसी व्यवस्‍था नहीं, जो सब पर लागू की जा सके
वैक्‍सीन पासपोर्ट में विश्व स्वास्‍थ्य संगठन (WHO) को भी अहम भूमिका निभानी है। WHO बीते छह महीने से कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ मिलकर “कॉमन ट्रस्ट नेटवर्क” बनाने में भी लगा है। कॉमन ट्रस्ट नेटवर्क का उद्देश्य एक ऐसा यूनिवर्सल टूल डेवलप करना है, ताकि यह पता चल सके कि यात्री ने वैक्सीन ली है या नहीं। अगर ली है तो किस कंपनी की? क्या उसे पहले कोरोना हो चुका है? क्या वो पहले किसी देश में क्वारैंटाइन किया गया था?

लेकिन पिछले हफ्ते WHO ने भी इस बात को लेकर जल्द गाइडलाइन जारी करने का आश्वासन दिया। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने हाल ही में कहा कि वैक्सीन पासपोर्ट पर WHO से चर्चा चल रही है, लेकिन अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

क्या होगा वैक्सीन पासपोर्ट में, कैसे बनेगा?
ये एक डिजिटल कार्ड जैसा होगा। IATA ने एक मोबाइल ऐप लगभग डेवलप कर लिया है, जिसे वैक्सीन पासपोर्ट, कोविड पासपोर्ट या ट्रैवल पास कह सकते हैं।

इसमें यात्री के कोरोना टेस्ट रिकॉर्ड, वैक्सीन लगने के रिकॉर्ड, स्वास्‍थ्य संबंधी निजी जानकारियों के साथ यात्री के पासपोर्ट के ई-कॉपी रहेगी। आइसोलेशन और यात्राओं का भी विवरण रहेगा। ताकि यात्री के हेल्‍थ की पूरी जानकारी ले ली जाए, उसके बाद ही अपने देश में घुसने दिया जाए। हालांकि वैक्सीन पासपोर्ट होने पर यात्री को उस देश में क्वारैंटाइन होने के नियमों पर छूट मिल जाएगी।

वैक्सीन पासपोर्ट की जरूरत क्यों पड़ी?
इसकी जरूरत इसलिए पड़ रही है, क्योंकि इंटरनेशनल फ्लाइट से आने वाले पैसेंजर्स कोरोना पॉजिटिव मिल रहे थे। पिछले साल 9 नवंबर से भारत और ओमान के बीच एयर बबल एग्रीमेंट के तहत इंटरनेशनल उड़ान शुरू हुई। इस दौरान भी कई यात्री पॉजिटिव निकले, जिसके बाद सीटों की संख्या 10 हजार से घटाकर 5 हजार कर दी गई। हॉन्गकॉन्ग ने भी कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद 3 दिसंबर तक एअर इंडिया की फ्लाइट पर रोक लगा दी थी। कोरोना की दूसरी लहर ने भारत की छवि इस खास मामले में कमजोर कर दी है। साभार-दैनिक भास्कर

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