कोरोना संकट के कारण अप्रिय खबरों के इस दौर में इस खबर ने थोड़ी राहत दी है। न केवल राहत दी है, बल्कि दिशा भी दी है कि कोरोना से लड़ने के लिए स्वस्फूर्त समन्वित प्रयास किए जाएं, तो काफी हद तक संकट से उबरा जा सकता है। पढ़िए पूरी खबर-
रायपुर। किसी भी विपरीत परिस्थिति का सामना यदि सामुदायिक रूप से किया जाए तो उसके परिणाम हमेशा सकारात्मक रहते हैं। महासमुंद जिले के गा्रमीणों ने इसे साबित कर दिया। महासमुंद जिले के सरायपाली विकासखंड के दो गांव कुटेला और तोरेसिंहा में ग्रामीणों के कोरोना संक्रमित पाए जाने पर वहां कंटेनमेंट जोन बनाया गया। इसके बाद इन गांवों की पंचायतों ने स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन के कर्मचारियों की मदद से संक्रमितों को चिकित्सा सुविधा सहित राशन सामग्री, दूध, सब्जी आदि पहुंचाई। ग्रामीणों की मदद से कंटेनमेंट जोन में सुविधाएं उपलब्ध कराने और संक्रमण रोकने के प्रयासों की, यहां 12 अप्रैल को निरीक्षण करने आई केन्द्रीय टीम ने भी सराहना की।
प्राप्त जानकारी के अनुसार संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आए लोगों की ट्रेसिंग शिक्षकों द्वारा तत्काल की गई, जिसके कारण संक्रमण फैलने की संभावना कम हुई। दोनों ग्राम पंचायत में स्वेच्छा से लॉकडाउन किया गया और बेरीकेड लगाकर पूरे क्षेत्र को सेनेटाइज कराया गया।
ग्राम पंचायत द्वारा संक्रमित क्षेत्र में वन वे मार्ग बनाया गया, जिसे केवल आवश्यक सामग्री पहुंचाने के लिए उपयोग किया गया। संक्रमित व्यक्तियों की 24 घंटे देखभाल और निगरानी के लिए शिक्षक, पुलिसबल, सरपंच, सचिव, कोटवार, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका की ड्यूटी लगाई गई। इसके अलावा संक्रमित के मकान में अनुविभागीय अधिकारी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी, तहसीलदार, थाना प्रभारी, सरपंच, सचिव का मोबाइल नंबर चस्पा किया गया, जिससे किसी भी प्रकार की समस्या से तत्काल अवगत कराया जा सके। कंट्रोल रूम सरायपाली द्वारा संक्रमित व्यक्तियों के मोबाइल में संपर्क कर आवश्यक जानकारी भी ली जा रही है। इन सब प्रयासों से यहां संक्रमण रूका जिसकी केन्द्रीय टीम ने भी सराहना की। साभार -हरिभूमि
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