प्लास्टिक का बिजनेस छोड़कर डेयरी फार्मिंग का काम शुरू किया, अब हर साल 10 लाख रुपए कमा रहे

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अगर कोई पशुपालन में रुचि रखता है तो उसके लिए डेयरी फार्मिंग सबसे बढ़िया सेक्टर है, जहां तरक्की की ढेर सारी संभावनाएं हैं। यह एक ऐसा सेक्टर है जिसमें कभी मंदी का दौर नहीं देखना पड़ता है। सालों भर इसमें कमाई होती है। एक बड़ा एडवांटेज यह भी है कि इसकी शुरुआत के लिए लागत भी ज्यादा नहीं लगती है। साथ ही केंद्र और राज्य स्तर पर सरकार पशुपालन के लिए लोन और सब्सिडी भी मुहैया कराती है। गुजरात में बनासकांठा जिले के रहने वाले महेन्द्र सिंह ने चार साल पहले पशुपालन शुरू किया था। आज वे इससे 10 लाख रुपए सालाना कमा रहे हैं।

30 साल के महेंद्र पहले हीरा व्यापारी थे। वे मुंबई में काम करते थे। इस बिजनेस में जब उन्हें नुकसान होने लगा तो उन्होंने हैदराबाद में प्लास्टिक का बिजनेस भी किया, लेकिन वहां भी उनका मन नहीं लगा। इसके बाद वे गांव वापस लौट आए। गांव आने के बाद पशुपालन के बारे में उनकी दिलचस्पी बढ़ी। उन्होंने तय किया कि वे अब पशुपालन का ही काम करेंगे। और 2016 में एक गाय खरीदी और बिजनेस शुरू कर दिया। वे दूध निकालकर आसपास के इलाकों में बेचने लगे। हालांकि शुरुआत में उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं हुआ।

हर दिन 400 लीटर दूध की मार्केटिंग

महेंद्र के पास आज कुल 45 पशु हैं। इनमें 30 अमेरिकन (जर्सी) गाय,10 बन्नी और राजस्थानी भैसें हैं।

शुरुआत में घाटे के बावजूद भी महेंद्र सिंह ने न तो हार मानी और न ही बिजनेस बदला। उन्होंने तय किया कि इस विषय में पहले जानकारी जुटाई जाए, फिर आगे और बड़े लेवल पर काम को ले जाएंगे। इसके बाद उन्होंने दुधारु नस्लों की गाय-भैंसों की जानकारी ली। कुछ एक्सपर्ट से भी मिले और अपने बिजनेस को नए सिरे से शुरू किया।

सबसे पहले उन्होंने गिर नस्ल की एक गाय खरीदी और उसकी अच्छी देखरेख और खानपान का ध्यान रखा। इसका फायदा हुआ कि अधिक मात्रा में दूध का प्रोडक्शन होने लगा। इससे उनकी आमदनी बढ़ गई। कुछ दिनों बाद उन्होंने पशुओं की संख्या बढ़ा दी और हैप्पी डेयरी फार्म नाम से खुद का डेयरी फार्म शुरू किया। आज उनके पास 45 पशु हैं। इनमें 30 अमेरिकन (जर्सी) गाय,10 बन्नी और राजस्थानी भैसें हैं। हर दिन वे 400 लीटर दूध की मार्केटिंग करते हैं।

हर महीने 80 से 90 हजार रुपए का मुनाफा

महेंद्र बताते हैं कि शुरुआत में मुझे इस व्यवसाय का कोई अनुभव नहीं था। इसके चलते मुझे एक साल तक नुकसान उठाना पड़ा। गाय की कौन-सी नस्ल खरीदनी है? उनकी देखरेख कैसे करनी है? उनके खानपान का किस तरह ख्याल रखना है। मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं थी, लेकिन धीरे-धीरे लोगों से बातचीत और प्रयासों से मैंने सीखा और दूध बेचकर मुनाफा कमाना शुरू कर दिया।

गाय का दूध निकालते हुए महेंद्र। हर दिन वे 400 लीटर दूध की मार्केटिंग करते हैं।

महेंद्र बताते हैं कि मेरे तबेले में एक अमेरिकन गाय रोजाना 30 लीटर दूध देती है। वहीं, भैसें प्रतिदिन 18 लीटर दूध देती हैं। यह दूध मैं सीधे डेयरी में पहुंचा देता हूं। जिसका हर महीने पेमेंट होता है। पशुओं के चारों का खर्च अगर निकाल ले तो भी मुझे हर महीने 80 से 90 हजार रुपए का मुनाफा हो जाता है।

पशुओं का हर समय ध्यान रखना पड़ता है

वे कहते हैं कि सुनने में पशुपालन का काम आसान लगता है, लेकिन ऐसा है नहीं। अच्छे खानपान के अलावा पशुओं के स्वास्थ्य का भी विशेष ख्याल रखना पड़ता है। तबेले में दूध निकालने वाले लोग हैं, लेकिन सुबह-शाम 3 से चार घंटे मैं खुद तबेले में मौजूद रहता हूं। समय-समय पर इनका मेडिकल चेकअप भी कराता रहता हूं, जिससे कि वे स्वस्थ रहें। इसी मेहनत की वजह से आज मैं अच्छा-खासा पैसा कमा रहा हूं। अब तो कई लोग पशुपालन के लिए मुझसे सलाह लेने भी आने लगे हैं।

आप भी सरकारी सब्सिडी लेकर कर सकते हैं शुरुआत

अगर आप डेयरी का काम करना चाहते हैं तो इसके लिए नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से जानकारी ले सकते हैं। राज्य सरकार और केंद्र सरकार की तरफ से मदद भी मिलती है। इसके साथ ही आप नाबार्ड से 25% तक सब्सिडी ले सकते हैं। आरक्षित वर्ग के लोगों को 33% तक सब्सिडी देने की व्यवस्था है। इसके लिए कम से कम पशुओं की संख्या दो और अधिकतम 10 पशु होने चाहिए। साथ ही आप वर्मी कम्पोस्ट, दूध निकालने वाली मशीन, ट्रांसपोर्टेशन और प्रोसेसिंग यूनिट के लिए भी 25% सब्सिडी का लाभ ले सकते हैं। साभार-दैनिक भास्कर

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