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क़रीब एक महीने बाद सीबीएसई की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएँ होनी हैं. जब सीबीएसई ने परीक्षा की तारीख़ों की घोषणा की थी उस वक़्त देश में कोरोना के मामले कम हो रहे थे, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है.
हाल के दिनों में देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेज़ी आई है. जहां सात अप्रैल को एक दिन में संक्रमण के 115,736 मामले दर्ज किए गए थे, वहीं आठ अप्रैल को 126,789 मामले और नौ अप्रैल को संक्रमण के 131,968 मामले दर्ज किए गए.
अभी संक्रमण के जितने मामले एक दिन में दर्ज किए जा रहे हैं, उतनी संख्या में मामले कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान भी नहीं आए थे.
वर्ल्डमीटर्स डॉट इन्फो के अनुसार सितंबर में जब भारत में महामारी की पहली लहर अपने पीक पर थी, उस वक़्त भी एक दिन में कोरोना के एक लाख मामले दर्ज नहीं किए गए थे.
मौजूदा स्थिति को देखते हुए दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र समेत कई प्रदेशों ने स्कूलों को फ़िलहाल बंद रखने का फ़ैसला किया है. कई राज्यों में रात का कर्फ़्यू और अन्य पाबंदियाँ लगाई हैं.
There are some persons deliberately trying to create confusion about board exams by circulating old news of 1.4.20 regarding Xand XII exams . students should ignore this old circular of last year and not be misled . pic.twitter.com/EuAmgZYwf6
— CBSE HQ (@cbseindia29) April 2, 2021
लेकिन सीबीएसई ने स्पष्ट कर दिया है कि चार मई से होने वाली 10वीं और 12वीं की परीक्षाएँ ऑनलाइन नहीं होंगी, यानी छात्रों को परीक्षा केंद्र में जाकर परीक्षा देनी होगी.
सीबीएसई बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएँ 4 मई से 10 जून के बीच होनी हैं. परीक्षाओं के नतीजे 15 जुलाई तक आएंगे.
परीक्षाओं से पहले ऑनलाइन-ऑफ़लाइन पर बढ़ी चर्चा
इस साल जनवरी और फ़रवरी में कोरोना के कम होते मामलों को देखते हुए कई स्कूल अकादमिक साल 2021-22 में ऑफ़लाइन कक्षाएँ शुरू करने पर विचार कर रहे थे, लेकिन मार्च के आख़िर तक जब संक्रमण के मामले बढ़ने लगे, उन्हें अपनी योजना बदल कर एक बार फिर ऑनलाइन कक्षाएँ कराने का फ़ैसला लेना पड़ा.
इन सबके बीच सीबीएसई की 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं को लेकर थोड़ा डर और थोड़ा संशय होना लाज़मी है. कई लोग परीक्षाओं को रद्द कराने या फिर इन्हें ऑनलाइन कराने के बारे में विचार करने की गुज़ारिश कर रहे हैं.
चेंज डॉट ओआरजी पर पोस्ट किए गए एक पीटिशन में शिक्षा मंत्रालय से इन परीक्षाओं को रद्द करने की गुज़ारिश की गई है. चेंज डॉट ओआरजी पर ऐसे ही कई और पीटिशन भी पोस्ट किए गए हैं.
इन पीटिशन में सरकार से सवाल किया गया है कि जब देश में संक्रमण के मामले कम थे तब सरकार ने परीक्षाएँ टालने का फ़ैसला किया था तो फिर अब, जब स्थिति बद से बदतर हो रही है तब सरकार छात्रों की सुरक्षा को ताक पर रख कर बोर्ड की परीक्षाएँ ऑफ़लाइन क्यों कराना चाहती है.
सोशल मीडिया में बीते कुछ दिनों से #cancelboardexams2021 हैशटैग ट्रेंड कर रहा है. इसके ज़रिए लोग सरकार से परीक्षा रद्द करने या टालने के लिए कह रहे हैं.
#cancelboardexams2021 #cancelboardexam2021 #cancelboards2021 Dear government before you decide online or offline remember the student votes for next year pic.twitter.com/zVRxoHwWSX
— Ritesh_Jaiswal (@RiteshJ25899144) April 9, 2021
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी इन हालातों में परीक्षा करवाने को ग़ैर-ज़िम्मेदाराना करार देते हुए इन्हें रद्द करने या स्थगित करने की बात की है
कोरोना के बढ़ते मामलों की तरफ़ इशारा करते हुए उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “सीबीएसई जैसे बोर्ड के लिए ये बेहद ग़ैर-ज़िम्मेदाराना है कि वो मौजूदा हालात के बीच छात्रों को परीक्षा के लिए आने को बाध्य कर रही है. इन परीक्षाओं को रद्द किया जाना चाहिए, कुछ दिनों के लिए टाल देना चाहिए, या फिर इस तरीक़े से कराया जाना चाहिए कि छात्र परीक्षा केंद्र में भीड़ का हिस्सा न बनें.”
It is downright irresponsible of boards like the CBSE to force students to sit for exams under the prevailing circumstances. Board exams should either be cancelled, rescheduled or arranged in a manner that does not require the physical presence of children at crowded exam centres
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) April 9, 2021
सीबीएसई ने तैयारी को लेकर क्या कहा?
सीबीएसई परीक्षा नियंत्रक, डॉक्टर संयम भारद्वाज ने कहा है कि बोर्ड की परीक्षा के मद्देनज़र छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोविड-19 से जुड़े सभी दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा.
इसी सप्ताह एक टेलीविज़न चैनल से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि “सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन बेहतर तरीक़े से हो इसके लिए सीबीएसई परीक्षा केंद्रों की संख्या 40 से 50 फ़ीसदी तक बढ़ाने वाली है.”
”परीक्षा केंद्रों में कोविड-19 से जुड़े दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए शिक्षकों को भी जागरूक किया जा रहा है. इसके साथ ही बेहतर और भयमुक्त माहौल में छात्र परीक्षा दे सकें इसके लिए सीबीएसई परीक्षा केंद्रों को सभी तरह की मदद मुहैय्या करा रही है.”
उन्होंने कहा, “सरकार के जारी किए गए सभी दिशानिर्देशों का हम पालन करेंगे. साथ ही सीबीएसई भी इसके लिए अलग से गाइडलाइन्स जारी करने वाली है.”
इससे पहले उन्होंने कहा था कि परीक्षा के दौरान कोई छात्र या उनके घर में कोई और अगर कोरोना पॉज़िटिव हो जाते हैं तो प्रैक्टिकल परीक्षा के लिए उन्हें अलग केस की तरह देखा जाएगा और फिर से प्रैक्टिकल देने का मौक़ा दिया जाएगा.
उन्होंने कहा था, “उन्हें अपने शिक्षकों को इस बात की जानकारी देनी होगी और उनके लिए एक और बार परीक्षा करवाने के लिए ख़ास व्यवस्था की जाएगी.”
छात्रों और अभिभावकों में चिंता भी, उम्मीद भी
दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में पढ़ रहे गौतम शर्मा एक महीने में 12वीं की परीक्षा देने वाले हैं. वो कहते हैं कि ऑफ़लाइन परीक्षाएँ ही सही होंगी क्योंकि ऑनलाइन में नक़ल करने के मौक़े अधिक हो सकते हैं.
उन्होंने कहा, “कोविड-19 के कारण मुझे और मेरे माता-पिता को डर लगता है. लेकिन हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है. छात्र के तौर पर हमें अपना भविष्य भी देखना है, हर जगह इन्हीं परीक्षाओं के स्कोर माँगे जाते हैं अगर हम इसमें बेहतर नहीं कर पाए तो मुझे नहीं लगता कि हमारा भविष्य सुरक्षित हो सकेगा.”
वो कहते हैं कि स्कूलों को कोरोना को लेकर सभी सावधानियाँ कड़ाई से बरतनी चाहिए, इससे परीक्षा में छात्रों को सहूलियत होगी.
वो कहते हैं, “मैं ऑफ़लाइन परीक्षा देना चाहता हूँ और अपनी माँ को भरोसा दिलाता हूँ कि मैं सुरक्षा के लिए सभी क़दमों का पालन करूँगा, सैनिटाइज़र हमेशा साथ रखूँगा और मास्क नहीं निकालूँगा.”
दिल्ली के ही साकेत में एक स्कूल में पढ़ाई कर रहे ध्रुव गुप्ता कहते हैं कि सीबीएसई ने परीक्षा केंद्र बढ़ाने की बात की है ताकि छात्र एक-दूसरे के संपर्क में न आएं, इससे उन्हें थोड़ा भरोसा आया है.
ध्रुव 10वीं की परीक्षा देने वाले हैं. वो कहते हैं कि वो ऑफ़लाइन परीक्षा देना चाहते हैं, लेकिन कोरोना के मामले बढ़ने की सूरत में ऑनलाइन परीक्षा देने के लिए भी मानसिक तौर पर तैयार हैं.
वो कहते हैं, “मैंने ऑफ़लाइन मोड में प्री-बोर्ड परीक्षाएँ दी थीं और वो बेहतर था. परीक्षा अपने स्कूल में हो तो बेहतर होगा क्योंकि हमें सभी कक्षाओं के बारे में पता है और मुझे पता है कि स्कूल किस तरह के एतहतियाती कदम उठा रहे हैं.”
ध्रुव बताते हैं, “इस साल हमारा सिलेबस कम कर दिया गया था लेकिन अगले साल अगर चीज़ें सामान्य हुईं तो सिलेबस पूरा होने पर मेरे और दूसरे छात्रों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं.”
ध्रुव की माँ श्रुति गुप्ता कहती हैं कि “फ़िलहाल की स्थिति डराने वाली है, लेकिन अगर स्थिति और बिगड़ेगी तो हमारे लिए परीक्षा को लेकर कोई फ़ैसला लेना मुश्किल हो जाएगा.”
वो कहती हैं, ”हम नहीं चाहते कि बच्चों का एक साल बर्बाद हो, लेकिन हालात को लेकर चिंता तो है. हमारे घर में बुज़ुर्ग हैं और ख़तरा अधिक हो सकता है. मैं ये भी चाहती हूँ कि जितनी जल्दी हो बच्चे अपने सामान्य जीवन में फिर लौटें.”
जम्मू की रहने वाली कुमुद महाजन कक्षा 12वीं की परीक्षा देने वाली हैं. वो कुंजवानी में मौजूद एक स्कूल में पढ़ाई कर रही हैं.
वो कहती हैं, “मैं ख़ुश थी कि एक साल की मुश्किलों से गुज़रने के बाद अब परीक्षाएँ ऑफ़लाइन होने वाली हैं. लेकिन अब संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और इस कारण मुझे चिंता हो रही है कि परीक्षाएँ कैसे करवाई जाएँगी.”
कुमुद सवाल करती हैं कि “अगर परीक्षा के दौरान कोई संक्रमित हो जाए तो उसकी बाक़ी परीक्षाओं का क्या होगा. मुझे लगता है कि सरकार को परीक्षा के लिए ऑनलाइन और ऑफ़लाइन – दोनों तरीक़ों पर ही विचार करना चाहिए.”
वो बताती हैं, “मेरे माता-पिता भी परीक्षाओं को लेकर डरे हुए हैं लेकिन साल भर बाद स्कूल खुल रहे हैं. वो भी चाहते हैं कि परीक्षाएँ ऑफ़लाइन तरीक़े से हों. वो मुझे कहते हैं कि मास्क लगाना चाहिए, सैनिटाइज़र का इस्तेमाल बार-बार करना है.”
सीबीएसई से उन्हें क्या उम्मीद है? इस सवाल के जवाब में कुमुद कहती हैं, “परीक्षाओं के लिए सीबीएसई को क्लासेज़ सैनिटाइज़ करवानी चाहिए और देखना चाहिए कि छात्र मास्क, सेनिटाइज़र और हैंड ग्लव्स का इस्तेमाल करें.”
महाराष्ट्र के नवी मुंबई इलाक़े के एक स्कूल में पढ़ाई कर रहे आयुष मिश्रा 10वीं की परीक्षा की तैयारी में जुटे हैं. वो कहते हैं कि परीक्षा ऑनलाइन हो या ऑफ़लाइन हो इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता क्योंकि हर हाल में परीक्षा तो देनी ही है.
वो कहते हैं, “सभी के पास ऑनलाइन सुविधाएँ नहीं हैं तो ऑफ़लाइन परीक्षा हों तो बेहतर होगा. आने वाले दिनों में क्या होगा हमें नहीं पता लेकिन मैं दोनों ही तरीक़े से परीक्षा देने के लिए तैयार हूँ.”
आयुष बताते हैं, “दिसंबर में मैंने एनटीएससी परीक्षा दी थी जो ऑफ़लाइन हुई थी. उस वक़्त भी कोरोना के मामले आ ही रहे थे और मुझे लगता है कि उस वक़्त का मेरा अनुभव अब मेरे काम आएगा.”
वो कहते हैं कि उनकी माँ ऑफ़लाइन परीक्षा को लेकर चिंतित हैं लेकिन परीक्षा ऑफ़लाइन हुई तो वो उन्हें परीक्षा केंद्र जाने देंगी. वो कहते हैं, “मेरी माँ मेरी सुरक्षा को लेकर काफ़ी टेंशन लेती हैं. वो मुझे बार-बार समझाती हैं कि क्या करना है और क्या नहीं. लेकिन परीक्षा जिस तरीक़े से भी हो वो मेरी मदद करेंगी.”
परीक्षा को लेकर अभिभावकों की क्या राय है? इस सवाल के उत्तर में ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और वकील अशोक अग्रवाल कहते हैं कि परीक्षा को लेकर सीबीएसई काम कर रही और हमें इस फ़ैसले को उन पर छोड़ देना चाहिए.
वो कहते हैं, “इस साल बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन हुई है और इससे उन ग़रीब बच्चों को काफी दिक़्क़तें पेश आई हैं जिनके पास स्मार्टफ़ोन नहीं है. ऐसे में परीक्षा ऑनलाइन होने की बजाय ऑफ़लाइन कराई जाएँ तो ही बेहतर होगा. हाल फ़िलहाल में सरकार ने कई परीक्षाएँ ऑफ़लाइन तरीक़े से करवाई हैं और मुझे लगता है कि उन्हें इस बारे में अधिक पता है. सरकार इस बारे में जो फ़ैसला लेती है हमें उससे सहमत होना चाहिए.”
“ये सीबीएसई को सुनिश्चित करना चाहिए कि कैसे वो सुरक्षित तरीक़े से परीक्षाएँ करवाए. मुझे लगता है कि ऑफ़लाइन परीक्षाएँ ही ज़्यादा से ज़्यादा बच्चों के हित में होंगी.”
सुरक्षित माहौल में परीक्षा के लिए क्या कर सकती है सीबीएसई?
इंडियन मेडिकल असोसिएशन के महासचिव डॉक्टर जयेश लेले कहते हैं कि बीते एक साल से छात्र घरों पर हैं और उनकी परीक्षाएँ नहीं हो पाईं.
वो कहते हैं, “महामारी से हमने काफ़ी कुछ सीखा है और उम्मीद कर रहे हैं कि परीक्षाओं से पहले मामलों में कमी आएगी.”
वो कहते हैं, कि इन सबके बीच सुरक्षित तरीक़े से परीक्षा करवाने के बारे में विचार किया जाना चाहिए.
किन बातों का ख़याल रखा जाना चाहिए –
- स्कूलों को बार-बार सैनिटाइज़ किया जाए. स्कूल की एंट्री और एग्ज़िट पर हमेशा अधिक भीड़ जमा होती है और यहाँ संक्रमण का ख़तरा बढ़ सकता है. ऐसे में स्कूल की एंट्री और एग्ज़िट गेट पर सैनिटाइज़र की ख़ास व्यवस्था की जाए और भीड़ इकट्ठा न होने दी जाए.
- मास्क और सोशल डिस्टेन्सिंग के नियमों का कड़ाई से पालन किया जाए. छात्रों के बैठने की जगह में दो कुर्सियों के बीच उचित दूरी बनाई जाए.
- स्कूल में आने वाले छात्रों की टेम्परेचर स्क्रीनिंग किया जाए. हालाँकि हर परीक्षा से पहले छात्र को आरटी-पीसीआर टेस्ट का सर्टिफिकेट लाने के लिए कहना उचित नहीं होगा.
- जहां पर स्कूलों में अभी कक्षाएँ जारी हैं वहाँ तुरंत कक्षाएँ बंद कर बच्चों को घरों पर तैयारी करने के लिए कहा जाए ताकि परीक्षा के वक़्त तक किसी तरह के ख़तरे को कम किया जा सके.
- कक्षाओं तक जाने के लिए एक से अधिक वैकल्पिक रास्तों की व्यवस्था हो ताकि छात्र दूसरों के संपर्क में आने से बचें.
- परीक्षा होने में जितना वक़्त बचा है उतने वक़्त में सभी छात्रों को वैक्सीन दे पाना संभव नहीं है. परीक्षा के दौरान कक्षा में छात्र के साथ टीचर अधिक वक़्त के लिए होते हैं. ऐसे में स्कूल टीचर और सभी स्टाफ़ को कोरोना वैक्सीन दिए जाने पर इस ख़तरे को कम किया जा सकता है और ये काम इतना मुश्किल नहीं है.
- संभव हो तो ऐसी व्यवस्था की जाए कि छात्र को परीक्षा केंद्र तक पहुँचने के लिए कम से कम सफ़र करना पड़े. अच्छा होगा यदि घर के पास ही परीक्षा केंद्र हो या फिर स्कूली छात्रों के लिए परिवहन की विशेष व्यवस्था करें ताकि वो सार्वजनिक परिवहन में सफ़र न करें और अधिक लोगों के संपर्क में न आएं.
- छात्र एक डिक्लेरेशन दे सकते हैं कि उनके घर के आसपास, उनके परिवार में कोरोना संक्रमण के मामले हैं या नहीं. इस आधार पर उनके लिए विशेष व्यवस्था की जा सकती है.
- अगर कोई छात्र एक या दो परीक्षा देने के बाद कोरोना संक्रमित हो जाता है तो उसके लिए चिंता बढ़ जाती है, क्योंकि उसे आइसोलेशन में जाना पड़ सकता है. ऐसे में छात्र के अभिभावक से मदद लेकर उनके लिए विशेष व्यवस्था की जा सकती है. पहले भी चिकन पॉक्स के मामलों में कॉलेज और स्कूल परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए अलग कमरे या फिर विशेष व्यवस्था किया करते रहे हैं.साभार-बीबीसी न्यूज़ हिंदी
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