प्रत्येक बच्चे के हिसाब से कुल 1110 रुपये की धनराशि अभिभावाकों के खाते में भेजी जाएगी। इसके लिए विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के अभिभावकों की खाता संख्या के साथ सूची तैयार की जा रही है। काम जारी है और इसे पूरा करने का निर्देश भी शासन की ओर से आया है।
गाजियाबाद । दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की ड्रेस, जूते और मोजे स्कूल से मिलते थे, लेकिन अब बच्चों की ड्रेस की धनराशि अभिभावकों के खाते में भेजी जाएगी। अभिभावकों की जिम्मेदारी होगी कि वह उस धनराशि से अपने बच्चों की समय से ड्रेस बनवाएं। प्रत्येक बच्चे के हिसाब से कुल 1110 रुपये की धनराशि अभिभावाकों के खाते में भेजी जाएगी। इसके लिए विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के अभिभावकों की खाता संख्या के साथ सूची तैयार की जा रही है। काम जारी है और इसे पूरा करने का निर्देश भी शासन की ओर से आया है।
गौरतलब कि छात्र-छात्राओं के ड्रेस, जूते-मेजे और बैग आदि विभाग द्वारा पोर्टल से खरीदे जाते थे। जिसकी वजह से कई बार ड्रेस आदि के वितरण में काफी देरी भी हो जाती थी। इसी के सात आए दिन नाप या क्वालिटी को लेकर अभिभावक शिकायत करते रहते थे। इतना ही नहीं, बच्चों की ड्रेस कभी छोटी या फिर बड़ी बन जाती थी। कई बार तो जूते तक गलत साइज के आ जाते थे, जिन्हें बार-बार गुजारिश करके बदलवाना पड़ता था। इन सभी शिकायतों को दूर करने के लिए धनराशि खाते में भेजने की तैयारी है। जिनसे अब अभिभावक स्वयं अपनी पसंद से अपने बच्चों की यूनिफार्म खरीद सकेंगे। इसके लिए उनके खाते में 1110 रुपये उनके खाते में भेजे जाएंगे। जिले के 425 परिषदीय विद्यालय हैं जिनमें करीब 93 हजार छात्र-छात्राओं के नामांकन हैं। इन सभी बच्चों के अभिभावकों की खाता संख्या के साथ सूची तैयारी की जा रही है।
बृजभूषण चौधरी (बेसिक शिक्षा अधिकारी) का कहना है कि छात्र-छात्राओं की यूनिफार्म की धनराशि खाते में जाने से वे अपनी पसंद से बच्चों की ड्रेस खरीद सकेंगे। इससे नाप या क्वालिटी को लेकर शिकायत भी नहीं रहेगी। इसके लिए अभिभावकों की खाता संख्या के साथ सूची तैयार कराई जा रही है।
बता दें कि बेसिक शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए यूनिफॉर्म व स्कूल बैग के लिए सीधे बैंक खाते में पैसा भेजने की योजना बनाई है। इसके लिए विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया है, जिसमें सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों के खाते में विभाग सीधे पैसे भेज सकेगा। साभार-दैनिक जागरण
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