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नोएडा शहर के किस स्पाट पर कितने हादसे हुए। कितने लोगों की मौत हुई। कितने घायल हुए। हादसे की वजह क्या रही। इन सभी तथ्यों की जानकारी अब सिर्फ एक क्लिक पर मिल सकेगी। यातायात पुलिस ने इसके लिए इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस (आइआरएडी) एप आधारित योजना लागू की है। इसके सफल क्रियान्वयन के लिए परिवहन विभाग पुलिस व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इसमें शामिल किया गया है।
नोएडा : शहर के किस स्पाट पर कितने हादसे हुए। कितने लोगों की मौत हुई। कितने घायल हुए। हादसे की वजह क्या रही। इन सभी तथ्यों की जानकारी अब सिर्फ एक क्लिक पर मिल सकेगी। यातायात पुलिस ने इसके लिए इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस (आइआरएडी) एप आधारित योजना लागू की है। इसके सफल क्रियान्वयन के लिए परिवहन विभाग, पुलिस व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इसमें शामिल किया गया है। प्रथम चरण में सेक्टर-24 व सेक्टर-58 कोतवाली में तैनात पुलिसकर्मियों को प्रोजेक्ट का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सोमवार को सेक्टर-14 स्थित यातायात कार्यालय के समीप योजना का ड्राई रन किया गया।
योजना के तहत दुर्घटना स्थल पर पुलिस मोबाइल एप पर विवरण दर्ज करेगी। घटना के कारण प्रभावित व्यक्ति का नाम, उम्र, पता, लाइसेंस संख्या, स्थान, दुर्घटना का संभावित कारण, गति, फोटो, वीडियो आदि अपलोड करेगी। डाटा फीड होने के बाद संबंधित जानकारी स्वत: परिवहन, पीडब्लूडी, राष्ट्रीय राजमार्ग व नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंच जाएगी। इसके बाद संबंधित व्यक्ति तक मदद पहुंचाना आसान होगा। साथ ही दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु के कारणों की जांच कर उनमें कमी लाने का प्रयास भी हो सकेगा। इस संबंध में यातायात व एआरटीओ को एप के संचालन की जानकारी उपलब्ध कराई जा चुकी है। ड्राई रन के दौरान एआरटीओ प्रवर्तन प्रशांत तिवारी, एसआइसीपी जय नारायण, ट्रैफिक इंस्पेक्टर रविद्र वशिष्ठ मौजूद रहे। ऐसे काम करेगा सिस्टम :
दुर्घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंचने के बाद मोबाइल से फोटो, वीडियो अपलोड करेगी। सड़क पर चल रहे वाहनों की जानकारी भी एप पर उपलब्ध रहेगी। इसके बाद इस संगृहीत डेटा का भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मद्रास विश्लेषण करेगी और सड़क की रुपरेखा को सुधारने के लिए कदम उठाए जाएंगे, ताकि हादसों में कमी लाई जा सके।
वर्जन..
हादसे की वजहों को बारीकी से जांचा-परखा जाएगा। हादसा कब, कहां और क्यों हुआ, न केवल इसका डाटा जुटाया जाएगा, बल्कि इस डाटा को एकत्रित कर सड़क हादसों को रोकने के लिए अपेक्षित सुधार भी कराया जाएगा।
-गणेश प्रसाद साहा, डीसीपी ट्रैफिक-साभार-दैनिक भास्कर
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