भारत की शाही धरोहर में गोलकोंडा ब्लू डायमंड एक बेहद महत्वपूर्ण और दुर्लभ रत्न है, जिसे अब पहली बार नीलामी के लिए रखा जा रहा है। यह नीलामी क्रिस्टी के “मैग्नीफिसेंट ज्वेल्स” इवेंट के तहत 14 मई 2025 को जिनेवा में आयोजित होगी। गोलकोंडा ब्लू डायमंड, जो कभी इंदौर और बड़ौदा के महाराजाओं के पास था, अब 430 करोड़ रुपये तक की कीमत में नीलामी में पेश किया जाएगा।
गोलकोंडा ब्लू डायमंड की विशिष्टता गोलकोंडा ब्लू डायमंड एक चमकीला और अनमोल 23.24 कैरेट का नीला हीरा है, जिसे दुनिया के सबसे दुर्लभ और मूल्यवान नीले हीरों में से एक माना जाता है। यह रत्न गोलकोंडा की प्रसिद्ध हीरा खदानों से प्राप्त हुआ था, जो भारतीय इतिहास में अपनी विरासत के लिए मशहूर है। गोलकोंडा की खदानें न केवल गोलकोंडा ब्लू, बल्कि कोहिनूर और होप जैसे ऐतिहासिक हीरों के लिए भी प्रसिद्ध हैं।
गोलकोंडा खदानों का इतिहास भी काफी प्राचीन है। इसे लेकर कई महत्वपूर्ण पांडुलिपियों में जिक्र मिलता है, और यहां तक कि सिकंदर के भारत यात्रा के समय भी वह कई हीरे यूरोप लेकर गए थे। इन खदानों का नाम आज भी दुनिया के सबसे शानदार और मूल्यवान हीरों के उत्पादन के रूप में लिया जाता है।
शाही परिवारों से नीलामी तक का सफर गोलकोंडा ब्लू डायमंड का इतिहास भारतीय शाही परिवारों से जुड़ा हुआ है। यह हीरा इंदौर के महाराजा यशवंत राव होलकर द्वितीय के पास था। 1923 में इस हीरे को फ्रांसीसी जौहरी चौमेट ने एक कंगन में जड़वाया था। बाद में 1930 के दशक में महाराजा के आधिकारिक जौहरी ने इसे एक भव्य हार में पिरोकर और भी आकर्षक बना दिया। इस हार को प्रसिद्ध चित्रकार बर्नार्ड बाउटेट डी मोनवेल ने इंदौर की महारानी के पोट्रेट में चित्रित किया, जिससे इस रत्न को और भी प्रसिद्धि मिली।
1947 में यह हीरा अमेरिका पहुंचा और न्यूयॉर्क के प्रसिद्ध जौहरी हैरी विंस्टन के पास गया, जिन्होंने इसे एक सफेद हीरे के साथ एक ब्रोच में जड़वाया। यह ब्रोच बाद में बड़ौदा के महाराजा के पास पहुंचा और फिर से भारतीय शाही परिवार का हिस्सा बन गया। इस तरह, गोलकोंडा ब्लू डायमंड का सफर शाही परिवारों से होते हुए निजी हाथों तक पहुंचा, और अब यह नीलामी के लिए तैयार है।
नीलामी और इसके महत्व गोलकोंडा ब्लू डायमंड की नीलामी भारतीय और अंतरराष्ट्रीय ज्वेलरी बाजार में एक ऐतिहासिक घटना मानी जा रही है। यह रत्न अपनी शाही विरासत, असाधारण रंग और आकार के कारण किसी भी हीरे से कहीं अधिक मूल्यवान है। क्रिस्टीज़ के ज्वेलरी विभाग के अंतरराष्ट्रीय प्रमुख, राहुल कडाकिया के अनुसार, इस स्तर के असाधारण रत्न जीवन में केवल एक बार ही बाजार में आते हैं।
यह नीलामी न केवल भारतीय इतिहास और संस्कृति का हिस्सा है, बल्कि यह रत्न गोलकोंडा खदान की विश्व प्रसिद्धि को भी फिर से जिंदा करता है। इसके रंग और आकार की अनूठी खूबसूरती इसे दुनिया के सबसे दुर्लभ नीले हीरों में से एक बनाती है।
गोलकोंडा ब्लू डायमंड की नीलामी एक ऐतिहासिक अवसर है, जो भारतीय शाही धरोहर के महत्व को दुनिया भर में फिर से प्रकट करेगा। इस हीरे का मूल्यांकन और नीलामी भारतीय विरासत, कला और संस्कृति की एक अमूल्य धरोहर को सहेजने के रूप में देखा जा सकता है। अब, यह देखना बाकी है कि इस अनमोल रत्न की नीलामी में कौन सा भाग्यशाली व्यक्ति इसे अपने संग्रह का हिस्सा बनाता है।
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