पढ़िए दी लॉजिकली की ये खबर…
आपने एम्ब्यूलेंस सर्विस के बारे में तो सुना ही होगा जो इंमरजेंसी से जूझ रहे मरीजों व घायलों को अस्पताल लाने व ले जाने का काम करती है। यहां तक कि बीमार व सड़कों पर दुर्घटना ग्रसित जानवरों को भी एम्ब्यूलेंस के द्वारा हॉस्पिटल तक पहुंचाया जाता है। लेकिन क्या आपने ऐसी एम्ब्यूलेंस सेवा(Ambulance Service) के बारे में सुना या देखा है जो मुरझा चुके या कीड़ा ग्रसित बीमार पेड़ -पौधों की देखभाल या उन्हे एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रत्यारोपित करने का काम करती हो?
ऐसे में बेशक ही आपके मन में ये विचार आ रहा होगा कि भला पेड़-पौधों के लिए एम्ब्यूलेंस सेवा होने के पीछे क्या तर्क है? दरअसल, इसी तथ्य से प्रेरित होकर पंजाब के भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी(Indian Revenue Service Officer) रोहित मेहरा(Rohit Mehra) ने ट्री-एम्ब्यूलेंस सर्विस और हॉस्पिटल (Tree Ambulance Service and Hospital)शुरु करने की सराहनीय पहल की है।
क्या है ट्री-एम्ब्यूलेंस और हॉस्पिटल सर्विस
मुरझाए अथवा कीड़ा ग्रसित पेड़-पौधों या यूं कहें कि बीमार पेड़-पौधों की देखरेख के लिए पंजाब के अमृतसर में एक अनोखा एवं प्रशसनीय कदम वहां के भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी रोहित मेहरा द्वारा उठाया गया है। किसी भी पेड़ के बीमार होने की स्थिति में संबंधित सूचना हेल्पलाइन नंबर – 8968339411 पर दी जाती है। प्रक्रिया के अगले चरण के तौर पर व्हाट्सएप के ज़रिये उस पेड़ की फोटो मंगाई जाती है। फिर ट्री-एम्ब्यूलेंस के ज़रिये वहां पहुंचकर उस पेड़ का चेकअप या मुआयना किया जाता है जिससे पेड़ का उचित इलाज किया जा सके।
पेड़ों के पुनर्वास पर भी काम करती हैं ये ट्री-एम्ब्यूलेंस
आपने अक्सर ही देखा होगा कि कई बार पेड़ ऐसे स्थान पर उग आते हैं जो उनके लिए उपयुक्त नही हैं या फिर कई बार घरों की दीवारों तक पर पेड़ उग आते हैं। इन परिस्थितियों में उन पौधों को वहां से हटाकर न केवल नई जगह पर उनका प्रत्यारोपण किया जाता है बल्कि उन्हे बेहतरीन खाद व अन्य पोषक तत्व देकर उन पौधों को नवजीवित किया जाता है।
वर्तमान में 32 किस्म के पेड़ों को दी जा रही है ट्री-एम्ब्यूलेंस की सुविधा
न्यूज मीडिया ‘आजतक’ के मुताबिक – पंजाब स्थित अमृसर के मजीठा रोड़ पर रहने वाले 43 वर्षीय IRS अधिकारी रोहित मेहरा बड़े पेड़ों के लिए वर्तमान में सही इंतजाम न होने के कारण अभी केवल 7 से 8 फुट ऊंचे पेड़-पौधों को ही रिप्लांट कर पाते हैं। वर्तमान में ट्री-एम्ब्यूलेंस की सुविधा के माध्यम से 32 किस्म के पेड़ों को दी जा रही है। बता दें कि यह सेवा बिल्कुल निःशुल्क है।
‘पुष्पा ट्री एंड प्लांट हॉस्पिटल एंड डिस्पेनसरी’ के नाम से शुरु की है ट्री-एम्ब्यूलेंस
रोहित मेहरा बताते हैं कि- “मेरी पत्नी की मां को आरंभ से ही पेड़-पौधों से खासा लगाव रहा है। उन्ही के नाम पर मैंने ‘पुष्पा ट्री एंड प्लांट हॉस्पिटल एंड डिस्पेनसरी’ के नाम से यह ट्री-एम्ब्यूलेंस सेवा शुरु की है। पेड़ों की सेवा में मेरे साथ जुड़ी 13 लोगों की टीम में वनस्पति विज्ञान(Botany) के 7 स्पेशलिस्ट भी काम करते हैं, हालांकि मैंने स्वंय बॉटनी की कोई पढ़ाई नही की है“
पेड़ों की प्रजनन क्षमता पर भी काम करते हैं रोहित
रोहिक के मुताबिक – “हमारे आस-पास या घर में ही ऐसे बहुत से पेड़ या पौधे होते हैं जो सालों से उगे हैं लेकिन उन पर फल या फूल नही आ रहे। ऐसे में हम उन को ट्रीटमेंट देकर उनकी प्रजनन क्षमता (Reproducing Power) को बढ़ाने पर भी फोकस करते हैं। इसके अलावा कई लोगों के घरों में पीपल का पेड़ उग आता है जिसे हटाने को लेकर अनेकों मान्यताएं है। लेकिन, अगर लोग उसे हटवाना चाहते हैं तो इन परिस्थितियों में बिना पौधे को कोई नुकसान पहुंचाये उसे ट्री-एम्ब्यूलेंस के माध्यम से दूसरे स्थान पर रिप्लांट किया जाता है। कभी-कभी कई पेड़ों में दीमक लग जाती हैं, किन्ही में लोग कील ठोक देते हैं, हम उनका भी हर संभावित इलाज करते हैं”
पेड़ों के इलाज संबंधी सभी आवश्यक सामग्री लेकर चलती है ‘पुष्पा ट्री-एम्ब्यूलेंस’
इस ट्री-एम्ब्यूलेंस में गैंती, फावड़ा, गड्ढा खोदने की मशीन, कटर, कैंची, आरी, पानी की टंकी, खाद की बोरी, दवा डालने की मशीन जैसे पेड़ों के इलाज संबंधी सभी आवश्यक सामग्रियों का इंतज़ाम है।
500 वर्टिकल गार्डन भी कर चुके हैं तैयार रोहित
पर्यावरण की सुरक्षा व अपने रुझान को देखते हुए रोहित प्लास्टिक की तकरीबन 70 टन बेकार बोतलों का प्रयोग करते हुए लुधियाना के सार्वजनिक स्थलों तथा कॉलेजों समेत जम्मू, सूरत, अमृतसर जैसे शहरों में 500 वर्टिकल गार्डन्स् (Vertical Gardens) लगा चुके हैं। इसकी शुरुआत उन्होंने लुधियाना के रेलवे स्टेशन पर एक वर्टिकल गार्डन लगा कर की थी।
25 छोटे-बड़े जंगल भी लगा चुके हैं रोहित मेहरा
ट्री-एम्ब्यूलेंस सर्विस और हॉस्पिटल सेवा के ज़रिये IRS अधिकारी रोहित मेहरा कम समय में जंगल उगाने की जापान की ‘मियावाकी तकनीक’ (Miyavaki Technique) को अपनाते हुए अब तक 500 वर्ग फुट से लेकर चार एकड़ तक की जगह में 25 छोटे- बड़े जंगल भी लगा चुके हैं। बता दें कि इस तकनीक के द्वारा तीन तरह के पौधों- झाड़ीनुमा, मध्यम आकार के पेड़ और छांव देने वाले बड़े पेड़ को जमीन में रोपकर जंगल बनाए जा सकते हैं।साभार-दी लॉजिकली
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