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भारतीय रेलवे के पास इन पुलों और ओवरब्रिजों के रखरखाव और निगरानी के लिए एक व्यवस्थित प्रणाली है। इन पुलों का निरीक्षण साल में दो बार किया जाता है। इनमें पहला मानसून शुरू होने से पहले और दूसरा मानसून सीजन समाप्त होने के बाद होता है।
रेलवे पुल टूटने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भारतीय रेलवे पुख्ता एहतियाती उपाय कर रहा है। इसके लिए रेलवे ने अपनी रुटीन जांच के साथ सुरक्षा और संरक्षा के मद्देनजर पुलों और ओवरब्रिजों की सेहत की थर्ड पार्टी से भी जांच कराने का फैसला किया है। इससे इन पुलों की समय पर मरम्मत कराई जा सकेगी और दुर्घटना से बचा सकेगा। रेलवे के पास फिलहाल देशभर में कुल डेढ़ लाख से अधिक पुल हैं। इनमें लगभग साढ़े तीन हजार ऐसे ओवरब्रिज हैं, जो रेलवे ट्रैक से होकर गुजरने वाली सड़कों पर बनाए गए हैं। जबकि 3,700 से अधिक ऐसे ओवरब्रिज हैं जो पैदल सवारियों और यात्रियों की सहूलियत के लिए बनाए गए हैं।
स्वतंत्र विशेषज्ञों से ऑडिट कराने का फैसला
भारतीय रेलवे के पास इन पुलों और ओवरब्रिजों के रखरखाव और निगरानी के लिए एक व्यवस्थित प्रणाली है जो वास्तविक स्थितियों का पता लगाती रहती है। इन पुलों का निरीक्षण साल में दो बार किया जाता है। इनमें पहला मानसून शुरू होने से पहले और दूसरा मानसून सीजन समाप्त होने के बाद होता है। मौजूदा बुनियादी ढांचे को मजबूती प्रदान करने, सही स्थितियों से वाकिफ रहने और किसी भी संदेह से बचने के लिए स्वतंत्र विशेषज्ञों से ऑडिट कराने का फैसला किया गया है। इसमें पुराने पड़ चुके पुलों में अंदरूनी तौर पर जंग लगने से कमजोर होने का अध्ययन भी कराया जाता है।
80 साल से अधिक पुराने सभी पुलों को होगी जांच
थर्ड पार्टी जांच के लिए विशेषज्ञों की टीम को दायित्व सौंपा जाएगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग रिसर्च सेंटर समेत अन्य संस्थानों को यह जिम्मेदारी दी जाएगी। थर्ड पार्टी जांच में डिजाइन, पुलों के भार सहने की क्षमता, मौजूदा ढांचा समेत अन्य पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इनमें 80 साल से अधिक पुराने सभी पुलों को शामिल किया जाएगा। रेलवे जिन पुलों को नाजुक अथवा कमजोर समझ रहा है, उनकी भी जांच कराई जाएगी। जिन पुलों पर ट्रेनों की गति को प्रतिबंधित कर दिया गया है, उन्हें जरूर जांचा जाएगा।
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