दिल्ली का होगा अपना स्कूल शिक्षा बोर्ड, अरविंद केजरीवाल ने कैबिनेट बैठक के बाद किया एलान

Delhi Board of School Education पिछले साल राज्य शिक्षा बोर्ड के गठन और पाठ्यक्रम सुधारों के लिए योजना एवं रूपरेखा तैयार करने के लिए दो समितियों का गठन किया था। इस पर चर्चा के बाद कैबिनेट की बैठक में शनिवार को दिल्ली बोर्ड ऑफ एजुकेशन को मंजूरी दी है।

नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। अब दिल्ली का अपना स्कूल शिक्षा बोर्ड होगा। दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी ने पिछले साल राज्य शिक्षा बोर्ड के गठन और पाठ्यक्रम सुधारों के लिए योजना एवं रूपरेखा तैयार करने के लिए दो समितियों का गठन किया था। इस पर चर्चा के बाद दिल्ली सरकार की कैबिनेट की बैठक में शनिवार को दिल्ली बोर्ड ऑफ एजुकेशन (Delhi Board of School Education) को मंजूरी दी है। इसका एलान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal) ने खुद किया है। उन्होंने बताया कि शनिवार को कैबिनेट की अहम बैठक हुई थी, जिसमें Delhi Board of School Education के गठन को मंजूरी दी गई है।

अरविंद केजरीवाल ने डिजिटल पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि आज हम लोगाें ने कैबिनेट में दिल्ली बोर्ड ऑफ एजुकेशन को दी मंजूरी दे दी है। इससे अब शिक्षा के लिए दिल्ली का अपना बोर्ड होगा। अभी तक दिल्ली का अपना शिक्षा बोर्ड नहीं था। अरविंद केजरीवाल ने यह भी कहा कि हमने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किए हैं। शिक्षा पर कुल बजट का 25 फीसद शिक्षा के लिए रखा है। स्कूलाें में शिक्षा में सुधार किया गया है। आज हमारे स्कूलों के बच्चों का परीक्षा परिणाम 98 फीसद तक आ रहा है।

अब अगला स्टेप लेना का समय आ गया है। हमारे बच्चे हर क्षेत्र के लिए तैयार हों। ऐसी शिक्षा देने का समय आ गया है। हमारा शिक्षा बाेर्ड ऐसी शिक्षा प्रणाली तैयार करेगा कि बच्चा जब स्कूल से निकले तो उसे रोजगार के लिए दर दर ने भटकना पड़े। ऐसी व्यवस्था बनाई जाएगी। रटने से ध्यान हटाकर समझने पर जाेर दिया जाएगा। बोर्ड में अंतरराष्ट्रीय स्तर की विशेषताओं को शामिल किया जाएगा। 21-22 में 20 से 25 सरकारी स्कूलों को इस बोर्ड से जोड़ा जाएगा। 4 से 5 साल में सभी सरकारी व प्राइवेट स्कूल इस बाेर्ड में शामिल हो जाएंगे।

पिछले साल दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि अन्य राज्य बोर्डों में यह होता है कि निजी स्कूलों के पास सीबीएसई, आईसीएसई या राज्य बोर्ड में से किसी को चुनने का विकल्प होता है जबकि सरकारी स्कूलों में राज्य बोर्ड का पाठ्यक्रम लागू होता है। लेकिन यहां यह सरकारी और निजी दोनों ही तरह के स्कूलों के लिए वैकल्पिक होगा। हम बोर्ड को उपयोगी एवं समृद्ध बनाना चाहते हैं। साभार-दैनिक जागरण

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