कोराना वैक्सीन: दूसरे चरण में निजी अस्पतालों में भी मिलेगी टीका

भारत में कोरोना वायरस से मुक़ाबले के लिए टीकाकरण अभियान चरण दर चरण आगे बढ़ता जा रहा है.

अभी तक भारत में एक करोड़ से ज़्यादा लोगों को कोरोना का टीका दिया जा चुका है, जिनमें स्वास्थ्यकर्मी और फ़्रंटलाइन वर्कर्स शामिल हैं.

अब मार्च में कोरोना टीकाकरण का दूसरा चरण यानी टीकाकरण 2.0 शुरू होने वाला है. सरकार ने टीकाकरण के दूसरे चरण की घोषणा कर दी है.

इसमें 60 साल से ज़्यादा उम्र वाले और किसी न किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे 45 साल से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन दी जाएगी. इसकी शुरुआत एक मार्च से होगी.

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को कैबिनेट के फ़ैसलों की जानकारी देते हुए इसकी घोषणा की.

उन्होंने बताया कि देश के जिन 10 हज़ार सरकारी सेंटर्स पर लोग वैक्सीन लगवाने जाएँगे, वहाँ टीका मुफ़्त में लगाया जाएगा. साथ ही निजी अस्पतालों में भी इसकी सुविधा शुरू हो जाएगी. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि दूसरे चरण में क़रीब 10 करोड़ लोग 60 साल से ज़्यादा उम्र के हैं.

दूसरे चरण में क्या है नया?

भारत में टीकाकरण अभियान की शुरुआत 16 जनवरी 2021 से हुई थी. सरकार का लक्ष्य जुलाई तक 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने का है.

कोरोना टीकाकरण चरणबद्ध तरीक़े से किया जा रहा है. पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों यानी डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स और स्वास्थ्य से जुड़े लोगों को वैक्सीन दी गई है.

साथ ही फ़्रंटलाइन वर्कर्स यानी पुलिसकर्मियों, पैरामिलिट्री फ़ोर्सेज और सैन्यकर्मियों को भी टीका लगाया गया है. 14 लाख लोगों को टीके की दूसरी डोज़ भी दी जा चुकी है.

पहले चरण के मुक़ाबले दूसरा चरण कुछ मामलों में अलग है.

पहले चरण में सिर्फ़ सरकारी केंद्रों पर वैक्सीन दी जा रही थी लेकिन, अब निजी अस्पतालों में भी वैक्सीन मिल पाएगी. इसके लिए लोगों को ख़ुद भुगतान करना होगा.

निजी अस्पतालों में वैक्सीन की क़ीमत कितनी होगी, इस संबंध में फ़िलहाल स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोई घोषणा नहीं की है. लेकिन, क़रीब 20 हज़ार प्राइवेट सेंटर्स पर वैक्सीन लगवाई जा सकती है.

प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि जो लोग प्राइवेट अस्पतालों में वैक्सीन का टीका लगवाएँगे, उन्हें पैसे देने होंगे. स्वास्थ्य मंत्रालय जल्द ही वैक्सीन की क़ीमत भी बताएगा.

प्रेस कॉन्फ़्रेंस में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद भी मौजूद थे. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के सभी मंत्री पैसे देकर कोरोना का टीका लगवाएँगे.

वैक्सीन

कैसे लगेगा टीका?

स्वास्थ्यकर्मियों और फ़्रंटलाइन वर्कर्स के पहले चरण में टीका लगाने की प्रक्रिया अलग थी. तब टीका लगवाने के लिए को-विन (Co-WIN) ऐप पर रजिस्टर नहीं कराना होता था.

सरकार के पास पहले से स्वास्थ्यकर्मियों और फ़्रंटलाइन वर्कर्स का डेटा मौजूद था और उन्हें एक मैसेज के जरिए तारीख़ और टीकाकरण केंद्र की जानकारी दी जाती थी. उनके पास तारीख़ या स्थान चुनने का विकल्प नहीं था.

दूसरे चरण में ये बदल जाएगा. अब कोरोना का टीका लगवाने के लिए आपको पहले को-विन ऐप पर रजिस्टर करना होगा. इस ऐप में जीपीएस की सुविधा भी होगी, जिससे लोग अपनी सुविधानुसार तारीख़ और स्थान चुन सकते हैं.

हालाँकि, ये इस पर निर्भर करेगा कि किसी वैक्सीनेशन सेंटर में कितने स्लॉट उपलब्ध हैं. साथ ही लोग ये भी पता कर सकेंगे कि उनका नज़दीकी वैक्सीनेशन सेंटर कौन-सा है, चाहे सरकारी या प्राइवेट.

रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया

जब आप कोविन ऐप में रजिस्टर करेंगे यानी उसमें माँगी गई सूचना डालेंगे, तो ऐप में पहले से मौजूद मतदाता सूची और आधार संबंधी डेटा के आधार पर आपकी पहचान हो जाएगी. अगर आप संबंधित आयु समूह में पाए जाते हैं, तो आगे की प्रक्रिया पूरी कर सकेंगे.

अगर सरकारी रिकॉर्ड से आपका डेटा मेल नहीं खाता, तो आप आगे की प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाएँगे. ऐसी स्थिति में आपको किसी वैक्सीनेशन सेंटर पर जाकर ख़ुद को ऐप में रजिस्टर कराना होगा. इसके लिए आपको कोई पहचान पत्र लेकर जाना होगा, ताकि आपके आयु समूह का पता लगाया जा सके.

भारत में बहुत से ऐसे लोग हैं, जो ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने में सक्षम नहीं हैं. ऐसे में वो सीधे वैक्सीनेशन सेंटर भी जा सकते हैं. उन्हें अपने साथ कोई पहचान प्रमाण पत्र ले जाना होगा, जैसे मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड, पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस आदि. वैक्सीनेशन सेंटर पर मौजूद वॉलिंटियर्स उन्हें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने में मदद करेंगे.

को-विन ऐप के पूरी तरह शुरू होने के बाद ही रजिस्ट्रेशन किया जा सकेगा. फ़िलहाल ये केवल स्वास्थ्यकर्मियों और फ़्रंटलाइन वर्कर्स के संबंध में ही काम कर रहा है.

आप उस राज्य के वैक्सीनेशन सेंटर पर भी जा सकते हैं, जहाँ आप मतदाता सूची में शामिल नहीं हैं. जैसे कि अगर आप दिल्ली के निवासी हैं और मातदाता सूची में आपका नाम दर्ज है, लेकिन आप मुंबई रहते हैं, तब भी आप मुंबई में वैक्सीन लगवा सकते हैं.

अगर आप यात्रा कर रहे हैं या अन्य ज़रूरी काम होने की स्थिति में आप वैक्सीन की दोनों डोज़ अलग-अलग सेंटर्स पर भी लगवा सकते हैं. बशर्ते कि उस सेंटर पर आपकी दूसरी डोज़ की तारीख़ पर वैक्सीन की दूसरी डोज़ उपलब्ध हो.

वैक्सीन लगाने के बाद आपको वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट भी जारी किया जाएगा. इसे आप आरोग्य सेतु ऐप से डाउनलोड कर सकते हैं. इसके लिए वैक्सीन की कम से कम एक डोज़ लेनी ज़रूरी होगी. साथ ही 14 अंकों का बेनिफिशियरी रेफरेंस आईडी भी दर्ज करना होगा.

एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया

गंभीर बीमारियों की श्रेणी

अभी इस पर भी स्पष्टता आनी बाक़ी है कि 45 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों में गंभीर बीमारियाँ किसे माना जाएगा.

एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने न्यूज़ वेबसाइट एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में बताया, “गंभीर बीमारियों में कौन-सी बीमारियाँ शामिल होंगी, इस पर एक समूह विचार कर रहा है. ख़ासतौर पर उन बीमारियों पर विचार हो रहा है, जिनमें कोविड-19 होने पर ज़्यादा तबीयत बिगड़ने या मृत्यु होने की आशंका होती है. जैसे डायबिटीज, दिल की बीमारी और कैंसर आदि.”

लेकिन, बीमारी का प्रमाण आप किस तरह देंगे इसे लेकर उन्होंने बताया, “अपनी बीमारी प्रमाणित करने के लिए आपको कोई टेस्ट कराने की ज़रूरत नहीं है. आपको पहले एक फ़ॉर्म भरना होगा, जिसमें अपनी बीमारी की जानकारी देनी होगी.”

“फिर उस फ़ॉर्म और अगर आपके पास पहले से कोई रिकॉर्ड है, जो बीमारी के बारे में बताता है, तो दोनों को लेकर किसी सरकारी या प्राइवेट डॉक्टर के पास जाएँ और उनसे साइन व स्टैंप लगवा लें. तब आप गंभीर बीमारियों वाली सूची में मान लिए जाएँगे.”

रणदीप गुलेरिया ने अंग्रेजी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि टीकाकरण का अगला चरण बेहद महत्वपूर्ण है. खासतौर पर ऐसे समय में जब कुछ राज्यों में कोरोना वायरस मामले बढ़ रहे हैं. हमें याद रखना होगा कि कोविड-19 अभी गया नहीं है. इसके नए स्ट्रेन भी सामने आ रहे हैं. ऐसे में हमें कोरोना के नियमों का पूरी तरह पालन करना होगा और वैक्सीनेशन को भी तेज़ी से बढ़ाना होगा.

उन्होंने कहा कि वैक्सीन मृत्यु दर कम करने में मदद करेगी और ये बीमारी की गंभीरता को भी कम करेगी. साथ ही वैक्सीन से कोरोना संक्रमण के मामले भी कम होंगे. इसके ज़रिए कोरोना के नए स्ट्रेन से भी निपटा जा सकता है. जितना संक्रमण होगा, उतना ही नए स्ट्रेन को रोका जा सकेगा.

भारत में भी कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें ब्रिटेन, दक्षिण अफ़्रीका और ब्राज़ील में मिले वैरिएंट शामिल हैं.

इसके साथ ही 25 फरवरी तक भारत में कोरोना वायरस के एक करोड़ 10 लाख मामले सामने आ चुके हैं और एक करोड़ सात लाख से ज़्यादा लोग ठीक हो चुके हैं. जबकि एक लाख 56 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.साभार-बीबीसी न्यूज़ हिंदी

आपका साथ – इन खबरों के बारे आपकी क्या राय है। हमें फेसबुक पर कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं। शहर से लेकर देश तक की ताजा खबरें व वीडियो देखने लिए हमारे इस फेसबुक पेज को लाइक करें।हमारा न्यूज़ चैनल सबस्क्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
Follow us on Facebook http://facebook.com/HamaraGhaziabad
Follow us on Twitter http://twitter.com/HamaraGhaziabad

Exit mobile version