9 दिन बाद दिशा रवि को जमानत; कोर्ट ने ऋगवेद का श्लोक पढ़ा, कहा- ऐसे विचार आते रहें, जिन्हें न दबाया जा सके और न रोका जा सके

22 साल की क्लाइमेट एक्टिविस्ट दिशा रवि को गिरफ्तारी के 9 दिन बाद सशर्त जमानत मिल गई। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को उनकी रिहाई के आदेश जारी किए। कोर्ट ने कहा, ‘‘वॉट्सऐप ग्रुप बनाना या किसी टूलकिट को एडिट करना कोई अपराध नहीं है।’’ ऋगवेद का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे कल्याणकारी विचार आते रहें, जिन्हें न रोका जा सके और न दबाया जा सके।

बेंगलुरु की रहने वाली दिशा पर किसान आंदोलन से जुड़ी वह टूलकिट बनाने और एडिट करने का आरोप है, जिसे क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने शेयर किया था। इस विवादास्पद टूलकिट में 26 जनवरी और उससे पहले डिजिटल स्ट्राइक का जिक्र था।

दिशा और जांच के बारे में कोर्ट की 5 टिप्पणियां

  • दिशा 5 दिन से पुलिस हिरासत में थीं। सामान्य तरह के आरोपों के आधार पर उनकी स्वतंत्रता में खलल पैदा करना जायज या वाजिब नहीं होगा। इसलिए जमानत का विरोध दिखावा ज्यादा लगता है।
  • रिकॉर्ड में ऐसा कुछ नहीं मिला, जो बताता हो कि दिशा किसी अलगाववादी विचारधारा से जुड़ी थीं। दिशा का अपनी पहचान छुपाने की कोशिश करना भी बेवजह के विवादों से खुद को दूर रखने का एक तरीका था।
  • प्रॉसिक्यूशन यह भी साबित करने में नाकाम रहा कि ग्रेटा थनबर्ग को टूलकिट फॉरवर्ड करने के अलावा दिशा ने किस तरह दुनियाभर के लोगों को अलगाववादी तत्वों से जोड़ा।
  • अब तक मिले छोटे और अधूरे सबूतों के मद्देनजर 22 साल की एक लड़की को जमानत देने के सामान्य से नियम से अलग जाकर जेल भेजने का कोई साफ कारण नजर नहीं आता क्योंकि इस लड़की का पिछला रिकॉर्ड पूरी तरह से अपराध रहित रहा है और समाज में उसकी गहरी जड़ें हैं।
  • वॉट्सऐप ग्रुप बनाना या किसी टूलकिट को एडिट करना अपराध नहीं है। चूंकि कथित टूलकिट या पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के बीच का रिश्ता आपत्तिजनक नहीं है, इसलिए वॉट्सऐप चैट को डिलीट कर देने की बात भी निरर्थक है।

कोर्ट ने सबूत मांगे थे
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा था कि आपके पास क्या सबूत है कि टूलकिट और 26 जनवरी को हुई हिंसा में कोई कनेक्शन है। इस पर दिल्ली पुलिस ने बताया था कि अभी जांच चल रही है। पुलिस ने कहा था कि भारत को बदनाम करने की ग्लोबल साजिश में दिशा भी शामिल है। इसके जरिए किसान आंदोलन की आड़ में माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गई। दिशा ने न सिर्फ टूलकिट बनाई और शेयर की, बल्कि वह खालिस्तान की वकालत करने वाले व्यक्ति के संपर्क में भी थी। हालांकि, दिशा के वकील ने इन आरोपों को निराधार बताया था।साभार-दैनिक भास्कर

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