पेट्रोल की कीमतें मध्य प्रदेश और राजस्थान में शतक लगा चुकी हैं। डीजल भी बराबरी से उसके पीछे-पीछे चल रहा है। दोनों की कीमतों में कुछ न कुछ पैसे लगभग रोजाना बढ़ोतरी हो रही है। 9 फरवरी से अब तक दिल्ली में पेट्रोल का दाम 3.28 रुपए और डीजल का दाम 3.49 रुपए बढ़ चुका है।
केंद्र सरकार का कहना है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम करना उसके हाथ में नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कीमतों में बढ़ोतरी के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। ये सब तब हो रहा है, जब कच्चे तेल की कीमत कांग्रेस सरकार की तुलना में लगभग आधी हो चुकी है।
अब जब मोदी ने बढ़ती कीमतों के लिए पिछली कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया है, तो ऐसे में ये जानना भी जरूरी है कि मनमोहन सरकार से मोदी सरकार तक पेट्रोल-डीजल पर कितना टैक्स बढ़ गया? सरकार की कमाई कितनी बढ़ गई? सरकारी तेल कंपनियों का मुनाफा कितना बढ़ गया? इसे टूलकिट में समझते हैं…
कच्चे तेल पर मोदी का नसीब अच्छा है
मई 2014 में जब मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने, तब कच्चे तेल की कीमत 106.85 डॉलर प्रति बैरल थी। एक बैरल यानी 159 लीटर। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के तीन महीने बाद ही यानी सितंबर में कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर के नीचे आ गई और तब से नीचे ही है।
सत्ता में आने के बाद जब कच्चे तेल की कीमतें घटीं, तो कांग्रेस ने इसे मोदी का नसीब बताया था। प्रधानमंत्री मोदी भी कहते थे कि मेरे नसीब से अगर जनता का भला हो रहा है, तो दिक्कत क्या है?
कच्चे तेल की कीमत को लेकर मोदी का नसीब वाकई अच्छा है। जनवरी 2021 में कच्चे तेल की कीमत 54.79 डॉलर प्रति बैरल थी। यानी, मनमोहन सरकार जाने के बाद से कच्चे तेल की कीमतें लगभग आधी हो गई हैं।
…लेकिन जनता का नसीब अच्छा नहीं है
कच्चे तेल की कीमतों पर मोदी का नसीब तो अच्छा है, लेकिन जनता का नहीं क्योंकि कीमतें कम होने के बाद भी पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम नहीं हुईं। उल्टा हम पर टैक्स का बोझ बढ़ गया।
इसको ऐसे देखिए कि जब मोदी सत्ता में आए, तब पेट्रोल पर 34% और डीजल पर 22% टैक्स लगता था, लेकिन आज पेट्रोल पर 64% और डीजल पर 58% तक टैक्स लग रहा है। यानी अब हम पहले की तुलना में पेट्रोल पर दोगुना और डीजल पर ढाई गुना टैक्स दे रहे हैं।
13 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी, घटाई सिर्फ तीन बार
केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी के जरिए टैक्स लेती है। मई 2014 में जब मोदी सरकार आई थी, तब केंद्र सरकार एक लीटर पेट्रोल पर 10.38 रुपए और डीजल पर 4.52 रुपए टैक्स वसूलती थी। ये टैक्स एक्साइज ड्यूटी के रूप में लिया जाता है।
मोदी सरकार में 13 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई है, लेकिन घटी सिर्फ तीन बार। आखिरी बार मई 2020 में एक्साइज ड्यूटी बढ़ी थी। इस वक्त एक लीटर पेट्रोल पर 32.98 रुपए और डीजल पर 31.83 रुपए एक्साइज ड्यूटी लगती है। मोदी के आने के बाद केंद्र सरकार पेट्रोल पर तीन गुना और डीजल पर 7 गुना टैक्स बढ़ा चुकी है।
इससे सरकार की कमाई तीन गुना बढ़ी
पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी से केंद्र सरकार की अच्छी-खासी कमाई होती है। मोदी सरकार ने तो इससे कमाई तीन गुना तक बढ़ा ली है। पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल यानी PPAC के मुताबिक 2013-14 में सिर्फ एक्साइज ड्यूटी से सरकार ने 77,982 करोड़ रुपए कमाए थे। जबकि 2019-20 में 2.23 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई हुई।
2020-21 के पहली छमाही में यानी अप्रैल से सितंबर तक मोदी सरकार को 1.31 लाख करोड़ रुपए की कमाई हुई। अगर इसमें और दूसरे टैक्स भी जोड़ लें, तो ये कमाई 1.53 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाती है। ये आंकड़ा और ज्यादा होता, अगर कोरोना नहीं आया होता और लॉकडाउन न लगा होता।
रुकिए, राज्य सरकारें भी तो टैक्स लगाती हैं
केंद्र सरकार ने तो एक्साइज ड्यूटी लगाकर कमाई कर ली। अब बारी है राज्य सरकारों की क्योंकि केंद्र सरकार एक ही है, इसलिए पूरे देश में एक्साइज ड्यूटी एक ही लगती है, लेकिन राज्य सरकारें अलग-अलग हैं, तो हर राज्य में अलग-अलग टैक्स लगता है।
राज्य सरकारें पेट्रोल-डीजल पर कई तरह के टैक्स और सेस लगाती हैं। इनमें सबसे प्रमुख वैट और सेल्स टैक्स होता है। पूरे देश में सबसे ज्यादा वैट/सेल्स टैक्स राजस्थान सरकार वसूलती है। यहां पेट्रोल पर 38% और डीजल पर 28% टैक्स लगता है।
उसके बाद मणिपुर, तेलंगाना और कर्नाटक हैं, जहां पेट्रोल पर 35% या उससे अधिक टैक्स लगता है। इसके बाद मध्य प्रदेश में पेट्रोल पर 33% वैट लगता है।
राज्यों की कमाई भी बढ़ी, लेकिन ज्यादा नहीं
पेट्रोल-डीजल पर वैट और सेल्स टैक्स लगाकर राज्य सरकारों ने भी अच्छी कमाई की है। हालांकि ये कमाई केंद्र की तुलना में कम है। 2013-14 में राज्य सरकारों ने वैट और सेल्स टैक्स से 1.29 लाख करोड़ रुपए कमाए थे। 2019-20 में ये कमाई 55% बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गई।
2020-21 की पहली छमाही में ही राज्य सरकारों ने 78 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा कमाए हैं। यहां भी वही फॉर्मूला लागू होता है, जो केंद्र पर लागू हुआ था। यानी ये कमाई और ज्यादा होती, अगर लॉकडाउन न लगा होता।
सरकारी कंपनियों के अच्छे दिन आए
देश में तीन बड़ी सरकारी तेल कंपनियां हैं। इनमें इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम शामिल हैं। इन तीनों ही कंपनियों का मुनाफा बढ़ा है। इन तीनों कंपनियों ने दिसंबर 2019 में 4,347 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया था। जबकि दिसंबर 2020 में इनका मुनाफा बढ़कर 10,050 करोड़ रुपए हो गया।
अब बात पड़ोसी देशों की भी
मोदी सरकार आने के बाद दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 15 रुपए और डीजल की कीमत 25 रुपए तक बढ़ गई है। अप्रैल 2014 में दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल 72.26 रुपए और डीजल 55.49 रुपए में आता था। लेकिन आज पेट्रोल 90 रुपए और डीजल 80 रुपए से ज्यादा हो गया है।
इस दौरान भारत में जहां पेट्रोल-डीजल की कीमतें जबर्दस्त बढ़ीं। वहीं दूसरी तरफ पड़ोसी देशों में इनकी कीमतों में कमी आई है। पाकिस्तान में ही अप्रैल 2014 में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 66.17 रुपए और डीजल की कीमत 71.27 रुपए थी। लेकिन अब वहां एक लीटर पेट्रोल 51.13 रुपए और डीजल 53 रुपए के आसपास है। हमारे चार पड़ोसियों में सिर्फ बांग्लादेश ही ऐसा है, जिसने इस दौरान पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ाई हैं, वो भी मामूली।साभार-दैनिक भास्कर
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