इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन से बाबा रामदेव की कंपनी द्वारा तैयार की गई कोरोना की ‘तथाकथित दवा’ कोरोनिल को लॉन्च करने पर स्पष्टीकरण माँगा है.
आईएमए ने सोमवार को एक प्रेस रिलीज़ जारी करके डॉ. हर्ष वर्धन से एक के बाद एक कई सवाल पूछे हैं.
आईएमए की ओर से जारी बयान में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री पर मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया के कोड ऑफ़ कंडक्ट की अवहेलना करने का अभियोग भी लगाया गया है.
बयान में लिखा है, ”नियम कहते हैं कि कोई भी डॉक्टर किसी दवा को प्रमोट नहीं कर सकता है, लेकिन केंद्रीय मंत्री जो कि स्वयं एक डॉक्टर हैं, उनके द्वारा दवा को प्रमोट किया जाना चौंकाता है.”
भारतीय चिकित्सक संघ ने इस मामले को मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया तक ले जाने का ऐलान किया है.
लेकिन सवाल ये उठता है कि भारतीय चिकित्सक संघ की डॉ. हर्ष वर्धन के प्रति नाराज़गी की वजह क्या है.?
आख़िर क्या है मामला
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने पिछले शुक्रवार दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में बाबा रामदेव द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया था. इस कार्यक्रम में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी शामिल हुए थे.
बाबा रामदेव ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि उनके संस्थान द्वारा तैयार की गई कोरोनिल से जुड़े शोध पत्रों को कई अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित किया गया है. इस प्रेस वार्ता में दोनों केंद्रीय मंत्रियों ने कोरोनिल के साथ तस्वीरें खिंचवाईं.
प्रेस वार्ता के बाद रामदेव ने अलग-अलग टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में ये भी कहा कि कोरोनिल को विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से दुनिया के 154 देशों में भेजने की मान्यता मिल गई है.
लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से इस दावे का खंडन किया गया है. इसके बाद से आईएमए इस कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की मौजूदगी पर सवाल उठा रहा है.
IMA HQs Press Release on Health Minister – February 22, 2021 pic.twitter.com/72DWWs90KG
— Indian Medical Association (@IMAIndiaOrg) February 22, 2021
आईएमए के मुताबिक़, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री द्वारा एक अवैज्ञानिक दवा को जारी किया जाना और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तत्काल उसे ख़ारिज किया जाना इस देश के लोगों का अपमान है.
आईएमए ने पूछे कड़े सवाल
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से रामदेव के दावे का खंडन सामने आने के बाद भारतीय चिकित्सक संघ (आईएमए) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को आड़े हाथ लिया है.
आईएमए ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से ये सवाल पूछे हैं-
- देश के स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते, ये कितना उचित और तार्किक है कि आप इस तरह की झूठी जानकारी पूरे देश के सामने रखें?
- देश के स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते, ये कितना न्यायसंगत है कि आप झूठी जानकारी के साथ अवैज्ञानिक उत्पाद को देश की जनता के सामने जारी करें?
- देश के स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते, ये कितना नैतिक है कि आप किसी उत्पाद को अनैतिक, ग़लत और झूठे ढंग के साथ पूरे देश के सामने पेश करें?
- देश के स्वास्थ्य मंत्री और आधुनिक मेडिसिन डॉक्टर होने के नाते, आपका एक अवैज्ञानिक उत्पाद को देश की जनता के समक्ष पेश करना कितना नैतिक है?
- देश के स्वास्थ्य मंत्री और आधुनिक मेडिसिन डॉक्टर होने के नाते, क्या आप स्वयं द्वारा जारी किए गए तथाकथित एंटी-कोरोना उत्पाद के तथाकथित क्लिनिकल ट्रायल, अगर हुए हैं तो, उनका टाइम फ्रेम और टाइम लाइन स्पष्ट कर सकते हैं?
- देश के स्वास्थ्य मंत्री और आधुनिक मेडिसिन डॉक्टर होने के नाते, क्या आप स्वयं द्वारा जारी किए गए तथाकथित एंटी-कोरोना उत्पाद के तथाकथित क्लिनिकल ट्रायल के लिए डबल ब्लाइंड और सिंगल ब्लाइंड क्लिनिकल ट्रायल में शामिल मरीज़ों के बारे में स्पष्ट कर सकते हैं?
- देश के स्वास्थ्य मंत्री और आधुनिक मेडिसिन डॉक्टर होने के नाते, क्या आप स्वयं द्वारा जारी किए गए तथाकथित एंटी-कोरोना उत्पाद के तथाकथित क्लिनिकल ट्रायल के लिए डबल ब्लाइंड और सिंगल ब्लाइंड क्लिनिकल ट्रायल में शामिल मरीज़ों के बारे में स्पष्ट कर सकते हैं? क्या इन मरीजों से सुविज्ञ सहमति ली गई थी?
- लॉन्च के बाद एक इंटरव्यू में बाबा रामदेव ने आधुनिक चिकित्सा पद्धति की आलोचना करते हुए इसे मेडिकल टेरेरिज़्म की संज्ञा दी. देश के स्वास्थ्य मंत्री और आधुनिक मेडिसिन डॉक्टर होने के नाते, क्या आप बाबा रामदेव के इन बेहद आपत्तिजनक और भड़काऊ बयान पर स्पष्टीकरण दे सकते हैं?
- आपकी उपस्थिति में बताया गया है कि इस दवा को डीजीसीआई द्वारा अनुमति मिल गई है, ये किस आधार पर किया गया?
भारतीय चिकित्सक संघ (आईएमए) ने ये सवाल भी उठाया कि अगर कोरोनिल, कोरोना से बचाव में इतनी प्रभावशाली है तो भारत सरकार टीकाकरण पर 35 हज़ार करोड़ रुपये क्यों खर्च कर रही है.
क्यों विवादों के घेरे में आई प्रेस कॉन्फ्रेंस
प्रेस कॉन्फ्रेंस में रामदेव ने दावा किया कि कोरोनिल के संदर्भ में नौ शोध पत्र दुनिया के मशहूर जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं और 16 शोध पत्र कतार में हैं.
कार्यक्रम में मौजूद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, “अभी तक आयुर्वेद में होता था कि ये दवाई लो, हम ले लेते थे क्योंकि विश्वास था. फायदा भी होता था. पर अब इसका वैज्ञानिक मूल्यांकन एवं विश्लेषण करके इसके शोध पत्र के साथ इसका प्रेज़ेंटेशन करने का काम भी इन्होंने (आचार्य बालकृष्ण) किया है.”
वैज्ञानिक तरीके से आयुर्वेद को दुनिया में पुनर्स्थापित करने के इस यज्ञ में आहुति डाली जानी चाहिए। इसे विश्व कल्याण का बहुत बड़ा प्रकल्प मान कर आगे बढ़ाया जाना चाहिए। @PMOIndia @moayush pic.twitter.com/p9KuJrEqLp
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) February 19, 2021
वहीं डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि आयुर्वेद की क्षमताओं को लेकर किसी भी तरह के शक की गुंजाइश नहीं है. उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर ये भी लिखा है कि ‘आयुर्वेद को लेकर जो सपना बाबा रामदेव का है, वही भारत सरकार का सपना है’.
डॉ. हर्षवर्धन ने आयुर्वेद दवाओं के बाज़ार में बढ़त को लेकर कहा कि आयुर्वेद का बाज़ार कोविड से पहले 15 से 20 फीसदी की दर से बढ़ता था. लेकिन कोविड के बाद ये बाज़ार पचास से नब्बे फीसदी की दर से आगे बढ़ रहा है.
इसके साथ ही उन्होंने कोरोनिल के शोध को लेकर बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को बधाई दी.
कोरोना काल के पहले आयुर्वेदिक दवाओं का कारोबार 15 से 20 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा था लेकिन अब इसमें 50 से 90 प्रतिशत की दर से वृद्धि हो रही है। यह इस बात का प्रतीक है कि दुनिया ने आर्युवेद को तेज़ी से स्वीकार किया है।@PMOIndia @moayush @PypAyurved pic.twitter.com/0j9xQXUDUa
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) February 19, 2021
रामदेव ने इस कार्यक्रम के बाद एक इंटरव्यू में दावा किया है कि कोरोनिल को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (डीसीजीआई)की ओर से अनुमति मिल गई है और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 154 देशों में इस दवा को बेचने की अनुमति दे दी है.
पतंजलि की कोरोनिल टैबलेट से अब कोविड का इलाज होगा. आयुष मंत्रालय ने करोनिल टैबलेट को कोरोना की दवा के तौर पर स्वीकार कर लिया है.#Patanjalis_EvidenceBased_Medicine4Corona #PatanjaliCoronil pic.twitter.com/kx4QXKB9GN
— Patanjali Ayurved (@PypAyurved) February 19, 2021
पतंजलि आयुर्वेद ने भी अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से लिखा है, “पतंजलि की कोरोनिल टैबलेट से अब कोविड का इलाज होगा. आयुष मंत्रालय ने कोरोनिल टैबलेट को कोरोना की दवा के तौर पर स्वीकार कर लिया है.”
पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट और पुरुषार्थ से विश्व को करो ना जैसी महामारी से मुक्ति दिलाने की यह सफल अनुसंधान संभव हो पाया है।#Patanjalis_EvidenceBased_Medicine4Corona #PatanjaliCoronil pic.twitter.com/cwYHLoTzRQ
— Patanjali Ayurved (@PypAyurved) February 19, 2021
पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा गया, “हम ये बताते हुए काफ़ी खुश हैं और गौरव का अनुभव कर रहे हैं कि कोरोनिल को विश्व स्वास्थ्य संगठन जीएमपी क्वालिटी अप्रूवल को ध्यान में रखते हुए डीजीसीआई की ओर से सीओपीपी लाइसेंस दे दिया गया है.”
We are delighted and proud to state that Coronil has been granted a CoPP license by DCGI, in accordance with the WHO GMP quality approvals. pic.twitter.com/4wT0TEbrV2
— Acharya Balkrishna (@Ach_Balkrishna) February 19, 2021
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ख़ारिज किया दावा
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से इस बारे में स्पष्टीकरण जारी किया है.
.@WHO has not reviewed or certified the effectiveness of any traditional medicine for the treatment #COVID19.
— WHO South-East Asia (@WHOSEARO) February 19, 2021
विश्व स्वास्थ्य संगठन के साउथ ईस्ट एशिया के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा गया, “विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड – 19 के इलाज के लिए किसी भी पारंपरिक दवा के प्रभाव की समीक्षा नहीं की है और न ही किसी दवा को प्रमाणित किया है.”
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से स्पष्टीकरण आने के बाद से रामदेव के दावे पर सवाल उठाए जा रहे हैं.
आचार्य बाल कृष्ण ने दी सफाई
इस मामले में विवाद खड़ा होने के बाद आचार्य बाल कृष्ण ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करके अपनी कंपनी का पक्ष रखा है.
बाल कृष्ण ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा है, “हम ये स्पष्ट करना चाहते हैं ताकि किसी तरह के भ्रम की स्थिति न रहे. कोरोनिल को जो डब्ल्यूएचओ -जीएमपी कंप्लाइंट सीओपीपी सर्टिफ़िकेशन दिया गया है, वो डीजीसीआई, भारत सरकार ने जारी किया है. ये स्पष्ट है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन किसी दवा को स्वीकृति या अस्वीकृति नहीं देता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन पूरी दुनिया के लोगों के लिए एक बेहतर और स्वस्थ भविष्य बनाने की दिशा में काम करता है.”साभार-बीबीसी न्यूज़ हिंदी
हालांकि अभी भी कोरोना को दवा बताने या इम्यूनिटी बढ़ाने वाली चीज के ऊपर विवाद बना हुआ है.
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