मुरादनगर हादसा: कैसे हुआ, कौन-कौन हैं जिम्मेदार? जानिए परत-दर-परत भ्रष्टाचार की कहानी

गाजियाबाद: गाजियाबाद के मुरादनगर में श्मशान घाट की छत गिरने के मामले में एक और नया खुलासा हुआ है. जानकारी के मुताबिक श्मशान स्थल पर हुए निर्माण की पहले ही शिकायत की गई थी. दो शिकायती-पत्र भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. पत्र लिखने वाले का नाम महंत विजय पाल बताया जा रहा है. इन पत्रों के जरिए श्मशान घाट के निर्माण में इस्तेमाल हो रहे घटिया सामान और घोटाले की शिकायत गाजियाबाद के डीएम से की गई थी. इस पत्र से ऐसा लग रहा है कि यह भ्रष्टाचार का श्मशान घाट है.

पूरे मामले को ऐसे समझिए
16 जून 2020 को पहला पत्र डीएम को लिखा गया था जिसकी प्रतिलिपि प्रमुख सचिव नगर विकास को भी भेजी गई थी. जबकि दूसरा पत्र 10 जुलाई 2020 को नगर पालिका की ईओ को लिखा गया था. दोनों ही पत्रों में घटिया निर्माण कार्य की शिकायत की गई थी. दावा किया जा रहा है कि अधिकारीयों ने दोनों पत्रों पर कोई कार्रवाई नहीं की. शिकायतकर्ता डॉ. विजय पाल को मुरादनगर नगरपालिका का सभासद भी बताया जा रहा है.

आरोप-डीएम भी इस भ्रष्टाचार में शामिल
डॉ. विजय पाल ने बताया कि उन्होंने निर्माणकार्य के दौरान घटिया सामग्री को शिकायत दर्ज की थी. निर्माण के लिए 10-1 का मसाला लगाया जा रहा था. इसकी शिकायत उन्होंने जिलाधिकारी से की थी, लेकिन जिलाधिकारी ने कोई कार्रवाई नहीं की थी. अगर कार्रवाई उसी समय हो जाती है तो आज ये 25 परिवार उजड़ते नहीं. मुरादनगर पालिका परिषद में भी शिकायत की थी, वहां से भी कोई कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें खुलकर भ्रष्टाचार हुआ है, नीचे से लेकर ऊपर तक के कर्मचारी-अधिकारी संलिप्त हैं. जिलाधिकारी की भी मिली भगत थी. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि डीएम ने नियमों को ताक पर रखकर टेंडर जारी किया था, वह अजय त्यागी से दबते हैं क्योंकि त्यागी दबंग किस्म का व्यक्ति है.

हादसे की जांच के लिए बनी कमेटी
इस हादसे की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी भी बनाई गई है. कमेटी मामले की जांच के बाद तीन दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. कमेटी में जीडीए और नगर निगम के चीफ इंजीनियर के अलावा यूपी निर्माण निगम के जीएम भी शामिल हैं. जांच टीम ने घटनास्थल का मुआयना किया और घाट में बने अंतिम संस्कार स्थल, लकड़ी के गोदाम समेत 3 निर्माणों को रेड जोन में मार्क किया है. इसके अलावा निर्माण का कोई नक्शा भी मौजूद नहीं है. कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद टेक्निकल टीम से भी जांच कराई जा सकती है.

ठेकेदार ने किए बड़े खुलासे
बताया यह भी जा रहा है कि गाजियाबाद के मुरादनगर हादसे में मौत की छत भ्रष्टाचार के पिलर पर खड़ी की गई थी. निर्माण करने के लिए 10-1 एक मसाला लगाया गया. यानी 10 बोरी रेत और एक बोरी सीमेंट. जबकि ज्यादातर भवनों के निर्माण में 5-1 या फिर 7-1 का मसाला तैयार किया जाता है. आरोपी ठेकेदार अजय त्यागी ने पुलिस को बताया कि वह मैसर्स अजय त्यागी कांट्रैक्टर नाम की फर्म चलाता है. फरवरी 2020 में ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया के तहत उसकी फर्म को मुरादनगर श्मशान घाट के सौंदर्यीकरण और निर्माण का ठेका 55 लाख में मिला था. उसे मार्च में 26 लाख की पहली किश्त और जुलाई महीने में 16 लाख की दूसरी किश्त मिली. ठेका आवंटित होने की एवज में उसने जेई के कहने पर नगर पालिका ईओ निहारिका सिंह के कार्यालय में 16 लाख रुपये की रिश्वत दी थी. उसने बताया कि अधिकारियों को 28 से 30 पर्सेंट कमीशन एडवांस देना पड़ता था.

पांच लोग गिरफ्तार
श्मशान घाट हादसे में अब तक कुल पांच लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं. इसमें नगर पालिका ईओ निहारिका सिंह, जेई चंद्रपाल, सुपरवाइजर आशीष और ठेकेदार अजय त्यागी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या और गबन का केस दर्ज किया गया है. वहीं अजय त्यागी से पूछताछ के बाद पुलिस ने श्मशान घाट के गलियारे के निर्माण में उसके पार्टनर रहे संजय गर्ग को भी गिरफ्तार कर लिया है. दोनों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है.

हादसे के हो सकते हैं कारण
आसपास के लोगों के मुताबिक वो कई बार आकर कर्मचारियों को नसीहत देते थे कि कम से कम श्मशान में तो सही निर्माण सामग्री लगा दो, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी. लोग बताते हैं कि निर्माण सामग्री में रेत की मात्रा ज्यादा होती थी, रोड़ी बहुत कम होती थी और घटिया क्वालिटी का सीमेंट इस्तेमाल किया जाता था. छत बनाने में न सिर्फ घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया, बल्कि बीम डालने में भी कटौती की गई. 70 फुट लंबी छत में एक भी क्रॉस बीम न डाले जाने को भी हादसे का कारण बताया जा रहा है. श्मशान घाट के गलियारे की छत गिरने की बड़ी वजह पिलर का धंस जाना भी हो सकता है जो लेंटर के दोनों ओर बनाए गए थे. अब जांच के बाद सारे खेल का पर्दाफाश हो जाएगा.

क्या है मामला?
मुरादनगर में रहने वाले फल विक्रेता जयराम की रविवार सुबह मौत हो गई थी. जयराम के परिजन और उनके जानकार मुरादनगर के श्मशान घाट में उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने आए थे. अंतिम संस्कार के बाद जब बारिश होने लगी तो लोग बारिश से बचने के लिए लेंटर के नीचे खड़े हो गए. उसी दौरान ये लेंटर भरभरा कर गिर गया जिसके नीचे दबने से 24 लोगों की जान चली गई. 16 घायल अब भी अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं.साभार-जी उत्तर प्रदेश

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