गाजियाबाद। विकास कार्यों में कमीशन के जिस खेल को ठेकेदार अजय त्यागी ने उजागर किया है, वह खेल मुरादनगर नगर पालिका तक ही सीमित नहीं है। नगर निगम में भी नजराने के लिए सरकारी फंड को कैसे ठिकाने लगाया जा रहा है, इसकी जीती जागती मिसाल है शहर में हाल ही में लगाई गईं फैंसी स्ट्रीट लाइटें। शहर में कई स्थानों पर अंधेरा है, लेकिन नगर निगम ने इन क्षेत्रों को रोशन करने की बजाय गुड़मंडी, रेलवे रोड, विजयनगर समेत कई क्षेत्रों में पहले से स्ट्रीट लाइटें होने के बावजूद अब महंगी फैंसी लाइटें लगाने के नाम पर लाखों का बजट खर्च कर दिया है। सुंदरीकरण के नाम पर एक ही क्षेत्र में दो बार लाइटें लगाकर फंड को ठिकाने लगाया जा रहा है।
नगर निगम ने पांच साल पहले शहर में 37 हजार सोडियम लाइटें बदलवाकर एलईडी स्ट्रीट लाइटें लगवाई गई थीं। इसके लिए नगर निगम ने एक नामचीन कंपनी को करीब 9 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया है। इसके अलावा नगर निगम शहर में अपने स्तर पर भी एलईडी लाइटें खरीदकर लगवा चुका है, लेकिन अब निगम ने इन एलईडी लाइटों के लगे होने के बावजूद शहर में फैंसी स्ट्रीट लाइटें लगवानी शुरू कर दी हैं।
नगर निगम इन फैंसी लाइटों के लगाने पर करीब 60 लाख रुपये खर्च किए हैं। जिन स्थानों पर इन फैंसी लाइटों को लगाया गया है, वहां पहले से ही एलईडी स्ट्रीट लाइटें लगी हुई हैं। राजनगर फाटक से आरडीसी की ओर जाने वाले प्रमुख मार्ग पर निगम ने अभी तक स्ट्रीट लाइटें नहीं लगाई हैं, जबकि आरडीसी में सैकड़ों कार्यालय होने के चलते इस मार्ग से महिला कर्मचारियों का आवागमन रहता है। अंधेरा होने की वजह यहां कई महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और स्नैचिंग की वारदातें हो चुकी हैं। ऐसे कई और भी क्षेत्र हैं जहां अभी भी अंधेरा है।
सुंदरीकरण के नाम पर खर्च किया जा रहा फंड
नगर निगम ने नवयुग मार्केट, कंपनी बाग, गुड़मंडी, रेलवे स्टेशन रोड और भूड़ भारत नगर में फैंसी स्ट्रीट लाइटें लगाई हैं। यहां सुंदरीकरण के नाम पर दो-दो बार लाइटें लगाकर सरकारी फंड को ठिकाने लगाया जा रहा है। खुद पार्षदों का कहना है कि दो बार लाइटें लगाकर कुछ अधिकारी सिर्फ अपना कमीशन बना रहे हैं। शहर के जिन क्षेत्रों में स्ट्रीट लाइटें लगाई जानी चाहिए, वहां लगाई ही नहीं जा रही हैं।
नए सिरे से लगाए जा रहे पोल
नगर निगम इन फैंसी लाइटों को लगाने के लिए नए सिरे से पोल भी लगा रहे हैं, जबकि पुरानी एलईडी लाइटें लगाने के लिए विद्युत निगम की ओर से लगाए गए पोल का ही इस्तेमाल किया जाता है। जिन पांच स्थानों पर फैंसी लाइटें लगाई गई हैं, उन सभी स्थानों पर विद्युत पोल भी पहले से लगे हुए हैं। बावजूद इसके फैंसी लाइटों के लिए महंगे पोल भी दोबारा लगाने पड़े। इन पर भी मोटा बजट खर्च किया जा रहा है।
एक फैंसी लाइट की कीमत में खरीद सकते थे 7 साधारण लाइटें
नगर निगम ने नवयुग मार्केट, गुड़मंडी और रेलवे स्टेशन रोड पर जो फैंसी लाइटें लगाई हैं, उनकी प्रत्येक की कीमत 34500 रुपये है। इसमें लाइट के पोल की कीमत भी शामिल है। वहीं नगर निगम अगर साधारण एलईडी लाइट खरीदता है तो इसकी कीमत महज चार से पांच हजार रुपये होती है। यानी एक फैंसी लाइट की कीमत में सात एलईडी लाइटें खरीदीं जा सकती है। ऐसे में यह फिजूलखर्ची निगम की तिजोरी पर भी भारी पड़ रही है।
शहर के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां स्ट्रीट लाइटें हैं ही नहीं। नगर निगम इन क्षेत्रों को रोशन करने की बजाय ऐसे क्षेत्रों में फैंसी लाइटें लगा रहा है जहां जरूरत ही नहीं है। यह सब कमीशन का खेल है। निगम के फंड की यह बर्बादी बंद होनी चाहिए। – जाकिर सैफी, कांग्रेस पार्षद व कार्यकारिणी सदस्य
सरकारी धन की बर्बादी हो रही है। अधिकारियों से पूछने और हिसाब लेने वाला कोई नहीं है। लाइटों को लगाने पर पैसा बर्बाद किया जा रहा है। इसी तरह शौचालयों का सुंदरीकरण कराने पर मोटा बजट खर्च किया जा रहा है। सभी 100 वार्डों में विकास की एक जैसी नीति नहीं है। बैठके नहीं हो रहीं हैं जिसका फायदा अधिकारी उठा रहे हैं। – मनोज चौधरी, कांग्रेस पार्षद
अधिकारी बोले
कुछ स्थानों पर फैंसी लाइटें लगवाई गई हैं। पार्षदों के प्रस्ताव पर ही लाइटें लगाई गई हैं। पुरानी लाइटों को हटाने की कोई योजना नहीं थी, लेकिन समीक्षा कर ली जाएगी, अगर उनकी जरूरत नहीं होगी तो हटवा लिया जाएगा।-मनोज प्रभात, अधिशासी अभियंता, प्रकाश विभाग, नगर निगम-साभार-अमर उजाला
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