गाजियाबाद/मुरादनगर। कमीशन के खेल ने मुरादनगर श्मशान घाट में 24 लोगों की जान ले ली। पिलर से लेकर गलियारे का छत डालने तक में मानकों का पालन नहीं किया गया। निर्माण सामग्री में सीमेंट की जगह रेत का अधिक इस्तेमाल किया गया। ऊपर से बिना डाइमेंशन के पूरा गलियारा खड़ा कर दिया गया। अभी तक की जांच से साफ हो गया है कि गलियारा घोटाले की रेत से बनाकर खड़ा हुआ था। डीएम के निर्देश पर इंजीनियर्स की जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की की टीम ने भी रविवार से जांच शुरू कर दी है। आगे पढ़ें पूरी खबर और जानें कैसे सरकारी ठेकों में होती है गड़बड़ी…
जांच में टीमों ने पाया है कि बिना डाइमेंशन के गलियारा बनाया गया। ऊपर से निर्माण सामग्री में रेत का भरपूर इस्तेमाल किया गया, जिससे सरिया (मसाले) और सीमेंट के बीच पकड़ कमजोर रही। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि किसी भी निर्माण से पहले चारों भुजाओं को नापा जाता है। फिर बिल्डिंग के इस्तेमाल को ध्यान में रखकर लंबाई, ऊंचाई और चौड़ाई के हिसाब से पूरा डाइमेंशन तैयार किया जाता है। इससे तय होता है कि कितने पिलर बनाए जाएंगे और उनकी मोटाई कितनी होगी औरकिस ग्रेड की निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया जाएगा, लेकिन गलियारे के निर्माण में कोई डाइमेंशन तैयार नहीं किया गया।
पिलर (कॉलम) उचित दूरी पर नहीं बनाए गए थे। इनमें भी उचित ग्रेड के मैटेरियल का सही इस्तेमाल नहीं किया गया। छत की लंबाई और चौड़ाई के हिसाब से क्रास बीम की आवश्यकता थी जो नहीं डाला गया। छत में भी मानकों के हिसाब से उचित ग्रेड के मैटेरियल का इस्तेमाल नहीं हुआ, जिसकी जांच आईआईटी रुड़की या किसी संबंधित सेंट्रल एजेंसी से कराई जानी चाहिए। साथ में कमेटी ने भी लिखा कि मलबे को देखकर स्पष्ट प्रतीत होता है कि मैटेरियल में रेत का ज्यादा इस्तेमाल हुआ जिससे छत में डाले गए सरिया के जाल और मैटेरियल के बीच पकड़़ काफी कमजोर रही।
यह भी एक कारण रहा कि पूरी छत एक ही झटके में ताश के पत्तों की तरह भरभरा कर गिर गई। उधर, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट की टीम ने भी रविवार को घटना स्थल का दौरा किया। निर्माण स्थल से मलबे के नमूने भी जांच के लिए जुटाए हैं, जिन्हें लैब भेजा जा रहा है। बताया जा रहा है कि जांच कर रही कमेटी ने भी शुरूआती जांच में डाइमेंशन के साथ निर्माण सामग्री की गुणवत्ता खराब होनी की बात कही है। बाकी लैब से रिपोर्ट आने के बाद कमेटी अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेगी।
हर दर पर की शिकायत, पर नहीं हुई सुनवाई
घोटाले को लेकर एसआईटी ने जांच का दायरा बढ़ा दी है। एसआईटी टीम ने मामले से जुड़ी उन शिकायतों को भी जुटाना शुरू कर दिया है जो पालिका के निर्माण से जुड़े अन्य घोटालों पर स्थानीय लोगों और सभासदों की तरफ से की गई। बताया जा रहा है कि टीम को कई अहम साक्ष्य मिले हैं जिनसे पता चलता है कि अगर स्थानीय प्रशासन मामले में समय रहते गंभीरता दिखाता तो शायद इतना बड़ा हादसा नहीं होता।
लोगों की तरफ से समय-समय पर शिकायतें की गई लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं की गई। कुछ शिकायतकर्ताओं को डरा धमकाकर बैठा दिया गया तो कुछ मामलों में चुप्पी साध ली गई। स्थानीय विधायक और सांसद से भी लोगों ने शिकायत की। यही नहीं लोगों ने कई बार नगर पालिका कार्यालय पर घेराव भी किया लेकिन चुनिंदा पार्षदों के इशारे पर किया गया विरोध बताकर शिकायतों को डस्टबिन में डाला गया। ईओ ने शिकायतों के बाद भी अपनी तरफ से किसी निर्माण में उच्च स्तरीय जांच की संस्तुति तक की नहीं की।
कुछ और लोगों की गिरफ्तारी संभव
बताया जा रहा है कि एसआईटी की तरफ से जांच का दायरा बढ़ाए जाने के बाद जल्द ही कुछ और लोगों की गिरफ्तारी भी हो सकती है। इसमें पालिका के निर्माण से जुड़े कार्यों की निगरानी कराने वाले अधिकारी पर भी जांच की आंच आ सकती है। क्योंकि शिकायतों के बाद भी उनकी तरफ से समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की गई। बताया जा रहा है कि जांच में यह भी सामने आया है कि निर्माण से जुड़े किसी भी एस्टिमेट का वेरीफिकेशन नहीं कराया गया, जिसके चलते निर्माण लागत से 30 से 40 फीसदी अधिक के एस्टिमेट बनाए गए और उन्हीं पर टेंडर आमंत्रित कर वर्क ऑर्डर हुए। जबकि एस्टिमेट का भी सत्यापन कराया जाना जरूरी था।
14 फरवरी को चेयरमैन ने किया था मुआयना
अभी तक की जांच में एजेंसी को कई अहम सुराग मिले हैं। नगर पालिका चेयरमैन विकास तेवतिया ने श्मशान घाट सुंदरीकरण कार्य का 14 फरवरी 2020 को मुआयना किया था। उसके कुछ फोटो सोशल मीडिया पर भी डाले गए लेकिन कुछ दिनों पहले उन फोटो को अपनी प्रोफाइल से हटा दिया गया। इन फोटो को प्रधानमंत्री से लेकर सीएम तक को टैग किया गया था। ऐसे में पालिका चेयरमैन भी जवाबदेही के दायरे में आ सकते हैं।
अजय त्यागी की सभी फर्मों को रोके भुगतान, कंपनी ब्लैक लिस्ट
डीएम अजय शंकर पांडेय ने सभी निकायों को निर्देश दिया है कि अगर उनके यहां पर अजय त्यागी से जुड़ी कोई फर्म काम कर रही है तो तत्काल उसका भुगतान रोकते हुए कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया जाए।
इंजीनियर्स की कमेटी की जांच रिपोर्ट मिल गई है। अजय त्यागी से जुड़ी सभी फर्मों का भुगतान रोकते हुए तत्काल ब्लैक लिस्ट करने को कहा गया है। बाकी जांच कमेटी ने जो सिफारिश की है, उसके हिसाब से आगे की जांच भी कराई जा रही है। एसआईटी को भी जांच में पूरा सहयोग किया जा रहा है। मामले में जो भी दोषी होंगे, उन पर कड़ी कार्रवाई होगी। – अजय शंकर पांडेय, जिलाधिकारी-साभार-अमर उजाला
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