दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के बाद अब गाजियाबाद जिले से गुजरने वाले एक नए एक्सप्रेसवे की दिशा में काम शुरू हो गया है। दिल्ली से देहरादून को जोड़ने वाले 180 किलोमीटर के आर्थिक गलियारे (एक्सप्रेसवे) के पहले दो चरणों का टेंडर जारी हो गया। पहले चरण का टेंडर गैमन इंफ्रास्ट्रेक्चर प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को मिला है, जबकि दूसरे चरण का टेंडर गायत्री प्रोजेक्ट लिमिटेड को हासिल हुआ है।
टेंडर की शर्तों के तहत तीन महीने में निर्माण शुरू करना होगा और 24 महीने में पूरा। यानी जनवरी 2023 तक अक्षरधाम से ईस्टर्न पेरिफेरल (बागपत बॉर्डर) तक छह लेन का एक्सप्रेसवे बनकर तैयार हो जाएगा।
इसमें करीब 14-17 किलोमीटर का हिस्सा एलिवेटेड होगा। उधर, एनएचएआई (नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ने बागपत से लेकर देहरादून के बीच अलग-अलग चरणों के लिए भी टेंडर की प्रक्रिया तेज करने को कहा है।
दिल्ली से देहरादून के बीच की दूरी घटाने के लिए अक्षरधाम से एक नया एक्सप्रेसवे बनाया जा रहा है, जो गाजियाबाद में लोनी के रास्ते बागपत शामली, सहारनपुर से होता हुआ देहरादून तक जाएगा।
एक्सप्रेसवे के पहले चरण में दिल्ली के अंदर यूपी बॉर्डर तक 14.75 किलोमीटर एक्सप्रेसवे का निर्माण होगा। इसके बाद यूपी बॉर्डर से ईस्टर्न पेरिफेरल (बागपत बॉर्डर) तक 16.45 किलोमीटर का एक्सप्रेसवे बनेगा। इन दोनों चरणों में ही काफी हिस्सा एलिवेटेड रोड का तैयार किया जाए, जिससे बिना रुके एक्सप्रेसवे पर वाहन दौड़ सकेंगे।
पहले चरण में 1065 करोड़ और दूसरे चरण में 1325 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया गया है। सरकार चाहती है कि दिल्ली से देहरादून को जोड़ने वाले एक्सप्रेसवे वर्ष 2024 के आम चुनाव से पहले तैयार हो जाए। इस लिहाज से पहले दो चरणों के टेंडर एक साथ जारी किए गए हैं।
जबकि आगे चरणों में जमीन अधिग्रहण से जुड़ी प्रक्रिया पूरी होने के बाद टेंडर जारी करने का काम शुरू कर दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि इस पूरे प्रोजेक्ट की स्वयं एनएचएआई निदेशक निगरानी कर रहे हैं, जिसके के बाद से टेंडर प्रक्रिया में तेजी आई है।
मौजूदा वक्त में दिल्ली से देहरादून के बीच की दूरी करीब 240 किलोमीटर है जिसे तय करने में पांच से छह घंटे का वक्त लगता है। अब एनएचएआई इस दूरी को घटाकर 180 किलोमीटर करने और बिना वाहनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए नया एक्सप्रेसवे बना रही है।
एक्सप्रेसवे तैयार होने पर दो घंटे में देहरादून पहुंचा जा सकेगा। समय की बचत और दूसरी कम करने के साथ ही एक्सप्रेसवे को आर्थिक गलियारे के तौर पर भी देखा जा रहा है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय का मानना है कि इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में इंडस्ट्री की संख्या बढ़ेगी, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। एक्सप्रेसवे को ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से जोड़ा जाएगा जिससे वाहन दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेसवे पर आसानी से आ-जा सकेंगे।
बेहतर कनेक्टिविटी का लाभ इंडस्ट्री को बढ़ावा देने में मिलेगा। एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर मुदित गर्ग ने बताया कि पहले दो चरणों के लिए टेंडर जारी कर दिया गया है। अब तीन महीने के अंदर दोनों कंपनियों को काम शुरू कराना है।
संभावना है कि दोनों कंपनियां उससे पहले ही इसी महीने के अंत तक निर्माण कार्य शुरू कर देंगी। हमारा लक्ष्य है कि जनवरी 2023 तक बागपत बॉर्डर तक एक्सप्रेसवे बनकर तैयार हो जाए। शेष चरणों की टेंडर प्रक्रिया पर भी काम चल रहा है।साभार-अमर उजाला
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