डिप्टी कलक्टर बनीं बिटिया ने बताया, मां कहती थी पढ़ लो नहीं तो मेरी तरह बर्तन धोने पड़ेंगे

मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है इन लाइनों को 2018 की यूपीपीसीएस की परीक्षा में डिप्टी कलक्टर पद पर चयनित होने वाली शिखा शुक्ला ने सच कर दिखाया है। शिखा ने बताया जब वो पांच साल की थी, तब सड़क हादसे में पिता की जान चली गई थी तो ताऊ ने नाता तोड़ लिया।

लखनऊ के चिनहट में सरकारी घर में रहते थे, ताऊ वहां से सारा सामान ले गए। पिता रामेंद्र कुमार शुक्ला राजस्व विभाग में अमीन थे। मां रजनी शुक्ला दो हजार रुपये पेंशन से किसी तरह घर चलाती थीं। यह संघर्षपूर्ण दास्तां है वर्ष 2018 की यूपीपीसीएस की परीक्षा में डिप्टी कलक्टर पद पर चयनित होने वाली शिखा शुक्ला की। उन्होंने बताया कि पिता के जाने के बाद हम लोग लखनऊ में मामा के घर रहने लगे, कुछ समय बाद मां ने एलडीए का मकान ले लिया तो उसमें रहने लगे।

हमारे घर में बिजली की समस्या रहती थी। मैं देर रात तक दीये की लौ के सहारे पढ़ाई करती थी। मां ने हमेशा मुझसे कहा कि तुमको पढ़ लिखकर उन लोगों को जवाब देना है, जिन्होंने तुम्हारा तिरस्कार किया है। 2012 में पहली बार में ही आईबीपीएस पीओ, आईबीपीएस क्लर्क और आरबीआई असिस्टेंट की परीक्षा में चयन हुआ, जिसमें आरबीआई में असिस्टेंट पद की नौकरी को ज्वाइन किया।

मन में कुछ बड़ा करने का ठाना तो 2014 में आरबीआई की नौकरी से इस्तीफा देकर रेलवे बोर्ड दिल्ली में असिस्टेंट सेक्शन ऑफिसर की नौकरी चुनी, अभी वह यहीं पर कार्यरत हैं। डिप्टी कलक्टर पद पर चयनित होने के बाद वह यूपीएससी की तैयारी कर रही हैं। शिखा मूल रूप से उन्नाव के बीघापुर की रहने वाली हैं।

मां बोलीं, बेटी ने सिर ऊंचा किया
मां रजनी ने कहा कि बेटी की मेहनत ने पुराने जख्मों पर मरहम लगाने का काम किया है। जब मैं बर्तन धोती थी तो बेटी से कहती थी, पढ़ लो नहीं तो ऐसे ही मेरी तरह काम करना पड़ेगा। अब उसने मेरा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।

जरूरतमंदों तक पहुंचाएंगी सरकारी योजनाओं का लाभ
शिखा ने छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय से प्राइवेट बीए किया है। उत्कर्ष अकादमी से ही सिविल सेवाओं की तैयारी भी की थी। बताया कि दिल्ली में नौकरी के लिए सुबह नौ बजे घर से निकलती थीं और रात दस बजे कोचिंग पढ़कर घर लौटती थीं। शिखा का कहना है कि ट्रेनिंग के बाद नियुक्ति पाकर वह सरकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाएंगी। सोशल वर्क भी करेंगी।साभार-अमर उजाला

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