गाजियाबाद। मसूरी थानाक्षेत्र में ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर बृहस्पतिवार तड़के कोहरे में दो कैंटरों की भिड़ंत हो गई। गांव कुड़ियागढ़ी के सामने हुए हादसे में हाथरस के गांव नंगला निवासी कमल सिंह की 10 वर्षीय बेटी कशिश और इसी गांव में रहने वाले संजय सिंह की 14 माह की बेटी निशा की मौत हो गई, जबकि कमल और उसका 8 वर्षीय बेटा मयंक गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना के वक्त दोनों के परिवार पटियाला से हाथरस जा रहे थे। पुलिस ने घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया, जहां हालत नाजुक होने पर मयंक को अलीगढ़ रेफर कर दिया गया।
पुलिस के मुताबिक थाना सिकंदराराव, हाथरस के गांव नंगला निवासी कमल सिंह हरियाणा के कैथल में परिवार के साथ रहते हैं और कैंटर चलाकर आजीविका चलाते हैं। उसी गांव के संजय सिंह पटियाला में परिवार के साथ रहकर फेरी लगाने का काम करते हैं। दोनों ने बीते दिनों गांव चलने की योजना बनाई थी। बुधवार को पटियाला से दोनों के परिवार कैंटर से हाथरस के लिए चल दिए। कमल गाड़ी चला रहा था, जबकि संजय अपनी बेटी निशा और कमल की बेटी कशिश व बेटे मयंक के साथ आगे बैठा था। दोनों के परिवार के 6 सदस्य कैंटर में पीछे बैठे थे।
बृहस्पतिवार सुबह करीब साढ़े 5 बजे ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर गांव कुड़ियागढ़ी के सामने पहुंचने पर दूसरी लेन में चल रही एक अन्य कैंटर घने कोहरे में कमल की कैंटर में घुस गई। जोरदार टक्कर से कमल की कैंटर का अगला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया और उसमें बैठे लोग फंस गए। चीख-पुकार मचने पर राहगीरों ने कैंटर में फंसे लोगों को बाहर निकालना शुरू कर दिया। करीब आधा घंटे की मशक्कत के बाद सभी को बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक कशिश और निशा की मौत हो चुकी थी। जबकि कमल सिंह और उसका बेटा मयंक गंभीर रूप से घायल हो गए।
एक्सप्रेसवे पर लगी वाहनों की कतार
हादसे के बाद मार्ग अवरुद्ध होने पर ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर यातायात बाधित हो गया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया। लेकिन मयंक की हालत नाजुक होने पर परिजन उसे अलीगढ़ स्थित अस्पताल ले गए। इसके बाद पुलिस ने क्रेन की मदद से क्षतिग्रस्त कैंटर को सड़क से हटाया, जिसके बाद यातायात सुचारु हो सका।
उल्टी के कारण कमल ने खिड़की पर बैठा दिए थे दोनों बच्चे
घायल कमल ने बताया कि उसकी बेटी कशिश को गाड़ी में उल्टियां आती हैं, लिहाजा उसने उसे परिचालक साइड की खिड़की से सटाकर बैठा दिया था। बेटा मयंक भी बेटी के बगल में था। दूसरी कैंटर ने जैसे ही टक्कर मारी तो कशिश की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि मयंक भी जिंदगी-मौत से जूझ रहा है। कशिश कैथल के सरकारी स्कूल में कक्षा 5 पढ़ती थी, जबकि मयंक तीसरी कक्षा का छात्र है।
कमल ने बताया कि वह गैर राज्यों में रहकर आजीविका कमाते हैं और एक-दो महीने में गांव जाते रहते हैं। करीब दो महीने बाद वह बुधवार रात गांव के लिए चले थे। मसूरी एसएचओ राघवेंद्र सिंह का कहना है कि पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों के सुपुर्द कर दिए गए। इस संबंध में अभी कोई तहरीर नहीं मिली है। तहरीर मिलने पर केस दर्ज कर आगामी कार्रवाई की जाएगी।साभार-अमर उजाला
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