गाजियाबाद। दिल्ली से नजदीकी और आर्थिक संपन्नता के चलते गाजियाबाद अवैध धंधों में लिप्त लोगों के निशाने पर है। ऐसे में नशा तस्कर भी पीछे नहीं हैं। आमतौर पर व्यक्तिगत रूप से होने वाली नशा तस्करी ने कोरोना काल में हाईटेक रूप ले लिया है। अब पुलिस से बचने के लिए नशे के सौदागरों ने सोशल मीडिया को तस्करी का प्लेटफार्म बना लिया है।
इस साल पकड़े गए तस्करों से पूछताछ की गई तो चौंकाने वाली बात सामने आई। अधिकांश तस्करों ने बताया कि वॉट्सएप पर वीडियो और वॉयस कॉल के जरिये उनका धंधा फलफूल रहा है। हालांकि, पुलिस ने भी नशा तस्करों पर शिकंजा कसने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। 11 महीनों में 18 सौ से अधिक नशा तस्करों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेजा गया है।
वर्ष 2020 सभी तरह से आम लोगों के कष्टदायी रहा। कोरोना के प्रकोप के चलते लॉकडाउन लागू हुआ तो तमाम लोगों की दिनचर्या और रोजगार प्रभावित हुआ। लेकिन, कोरोना काल में भी नशा तस्करों का गोरखधंधा बदस्तूर जारी रहा। कोरोना काल में शराब के गोदाम से तस्करी का भंडाफोड़ हुआ तो डेढ़ सौ से अधिक मामले चरस, गांजे की तस्करी के पकड़े गए। लॉकडाउन खुलते ही नशे के सौदागरों ने अपने धंधे को और रफ्तार दे दी। इसके लिए सोशल मीडिया को प्लेटफार्म बनाया गया। नशे के धंधे से जुड़े लोगों ने पुलिस को बताया कि वॉट्सएप वीडियो कॉल पर माल दिखाया जाता और फिर वॉइस कॉल पर सौदेबाजी की जाती।
नशा तस्करी में शामिल रहे हैं वर्दीधारी भी
11 महीनों की बात करें तो देसी शराब से लेकर स्मैक तक पुलिस ने बरामद की। नशा तस्करी में वर्दीधारी भी शामिल रहे। बीते मई माह में कविनगर पुलिस ने शराब तस्करी में लिप्त सिपाही समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया था। मूलरूप से बागपत निवासी सिपाही रोहित बैंसला मुजफ्फरनगर पुलिस लाइन में तैनात था। इसके अलावा सिहानी गेट पुलिस ने बीते कोराना काल में ही शराब के एक गोदाम पर छापा मारकर अवैध रूप से शराब सप्लाई का भंडाफोड़ किया था। यहां भी स्थानीय पुलिसकर्मियों पर मिलीभगत के आरोप लगे थे।
ग्राहक तलाशने को अपनाई नई तकनीक
आमतौर पर नशा तस्करों के निशाने पर युवा और स्कूल-कॉलेज के छात्र रहते हैं। लेकिन कोराना काल में स्कूल-कॉलेज बंद हुए तो छात्र अपने-अपने घरों को चले गए। ऐसी स्थिति में नशा तस्करों ने उन युवाओं को ट्रेस करना शुरू किया जो कोरोना काल के चलते अन्य स्थानों से आकर अपने घर रह रहे थे। नशे की लत से जुड़े युवाओं को तलाशने के लिए अपने एक-दो लोगों को शाम के वक्त नशा करने के लिए छोड़ देते थे।
फर्जी नंबर प्लेट का इस्तेमाल बढ़ा
पुलिस की नजर से बचने के लिए नशा तस्करों ने फर्जी नंबर प्लेट का इस्तेमाल बढ़ा दिया। इस साल डेढ़ सौ अधिक ऐसे मामले पकड़े गए, जिसमें नशा तस्करों ने वाहन पर फर्जी नंबर प्लेट लगाई हुई थी। मुखबिर वाहन और नंबर के आधार पर पुलिस को सूचना देते हैं। लिहाजा इसका तोड़ निकालने के लिए राज्य बदलते ही नशा तस्कर वाहन की नंबर प्लेट बदलने लगे।
11 महीनों में नशा तस्करों के खिलाफ की गई पुलिस की कार्रवाई
– आबकारी अधिनियम के तहत 811 मामले दर्ज कर 939 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया।
– शराब तस्करों से करीब 61 हजार 295 लीटर शराब बरामद की गई।
– एनडीपीएस एक्ट के तहत 850 मामले दर्ज कर 879 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया गया।
– 1.701 किग्रा चरस, 1574 किग्रा गांजा, .040 ग्राम स्मैक, 134.660 किग्रा डोडा चूर्ण और 74.887 किग्रा नशीला पाउडर बरामद किया गया।
नशा तस्करों को भी बनाया गया हिस्ट्रीशीटर
कार्यभार संभालने के बाद एसएसपी कलानिधि नैथानी ने आपराधिक गतिविधियों में लिप्त लोगों की हिस्ट्रीशीट खोलनी शुरू कर दी गईं। आमतौर पर लूट, हत्या, डकैती व अन्य संगीन अपराधों में शामिल रहे लोगों की हिस्ट्रीशीट खोली जाती है। लेकिन एसएसपी के निर्देश पर नशा तस्करी में शामिल लोगों की हिस्ट्रीशीट भी खोली गई। वर्तमान एसएसपी के कार्यकाल में साढ़े 4 सौ से अधिक अपराधियों की हिस्ट्रीशीट खोली गई, इनमें नशा तस्करों की संख्या भी अच्छी खासी है।
नशा तस्करी रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए हैं। अवैध असलहा, जुआ-सट्टा और नशे के धंधे से लिप्त लोगों की सूचना देने के लिए एंटी क्राइम हेल्पलाइन शुरू की हुई है। साथ ही नशा तस्करी में लिप्त लोगों की हिस्ट्रीशीट भी खोली गईं। 18 सौ से अधिक तस्करों को गिरफ्तार किया गया। भविष्य में यह कार्रवाई जारी रहेगी।- कलानिधि नैथानी(एसएसपी)
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