वैशाली सेक्टर-एक स्थित बंद फ्लैट में शुक्रवार सुबह मिले निजी कंपनीकर्मी के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजने में करीब 10 घंटे लग गए। मृतक के कोरोना संक्रमित होने के भय से यह देरी हुई। लोगों ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। मूलरूप से ग्राम उनयारी थाना रानीखेत जिला अल्मोड़ा, उत्तराखंड निवासी पंकज पांडेय (35 वर्ष) पत्नी नेहा पांडेय के साथ यहां वैशाली सेक्टर-एक स्थित फ्लैट में किराये पर रहते थे। वह निजी कंपनी में नौकरी करते थे। कुछ दिनों पहले उनकी पत्नी नेहा उत्तराखंड चली गई थीं। वह घर पर अकेले थे। शुक्रवार सुबह नेहा ने उन्हें कई बार कॉल की, लेकिन रिसीव नहीं हुआ। उन्होंने पड़ोसी को कॉल कर पंकज से बात करने को कहा। सुबह करीब 10 बजे पड़ोसी उनके फ्लैट पर पहुंचे, और दरवाजा को धक्का दिया, तो वह खुल गया। अंदर बेड पर पंकज का शव औंधे मुंह पड़ा था। उन्होंने नेहा व अन्य लोगों को इसकी जानकारी दी। सूचना पर सुबह करीब 11 बजे पुलिस मौके पर पहुंच गई। कोरोना की संभावना से पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग को सूचना दी। रात करीब साढ़े आठ बजे उनके तीन स्वजनों और आरक्षी प्रशांत कुमार ने पीपीई किट पहनकर शव को बाहर निकाला और पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। यूपी गेट पुलिस चौकी प्रभारी उपनिरीक्षक अशोक कुमार उपाध्याय दिन भी मौके पर डटे रहे। वहीं, थाना प्रभारी अजय कुमार ने बताया है कि प्रारंभिक जांच में लग रहा है कि हार्ट अटैक से पंकज की मौत हुई है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से स्थिति साफ होगी। किसी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं मिली है। स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप : पंकज के मकान मालिक विक्रम सिंह ने बताया कि सूचना के बाद स्वास्थ्य विभाग ने लापरवाही बरती। बार-बार कॉल करने के बाद शाम को एक एंबुलेंस आई। उसमें आए कर्मी पीपीई किट देकर जाने लगा। शव ले जाने के लिए दूसरे वाहन के आने की बात की। इसका लोगों ने विरोध किया और एंबुलेंस जाने नहीं दिया। उसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग के प्रशिक्षित कर्मचारी नहीं आए। वहीं, सीएमओ डॉ. एनके गुप्ता ने बताया है कि इस प्रकरण की जांच कराई जाएगी।
साभार: jagran.com
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