विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर के धूम्रपान करने वाले हर 100 व्यक्तियों में से 12 भारतीय हैं। तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों की चपेट में आकर दुनिया भर में हर वर्ष एक करोड़ लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं।
तंबाकू के सेवन के विषय में अक्सर दो तरह के उपभोक्ता चर्चा में रहते हैं। एक तो वह लोग जो सीधे धूम्रपान करते हैं इन्हें एक्टिव स्मोकर कहा जाता है और दूसरे धुएं के संपर्क में आने वाले, जिन्हें पैसिव स्मोकर कहते हैं।
एक तीसरी श्रेणी थर्ड हैंड स्मोकर्स की भी है, जो सिगरेट के अवषेशों जैसे बची राख, सिगरेट बट, और जिस जगह तंबाकू सेवन किया गया है, वहां के वातावरण में उपस्थित धुएं के रसायन के संपर्क में आकर इसके शिकार बनते हैं।
एक सर्वे के अनुसार धूम्रपान करने वाले हर व्यक्ति के शरीर में एक साथ सात हजार से ज्यादा हानिकारक केमिकल्स का असर पड़ता है। इसमें ढाई सौ से ज्यादा केमिकल बेहद खतरनाक हैं और 69 केमिकल सीधे तौर पर कैंसर का कारण बनते हैं। धूम्रपान और तंबाकू के सेवन से से क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डीजीज (सीओपीडी), हृदयधमनी रोग (सीवीडी) और फेफड़े के कैंसर हो जाता है।
क्या आपको पता है कि तम्बाकू के धुएं में 40 से अधिक रसायनों को कैंसर के लिए जिम्मेदार पाया गया है।
मार्केट रिसर्च फर्म, इप्सोस द्वारा किए गए सर्वे में पाया गया है कि लगभग 40 प्रतिशत भारतीय सिगरेट, गांजा, ई-सिगरेट पर पूर्ण प्रतिबंध चाहते हैं। वहीं लगभग 45 प्रतिशत भारतीय महसूस करते हैं कि ई-सिगरेट का इस्तेमाल अगले 10 वर्षों में और बढ़ सकता है। तंबाकू नियंत्रण के लिए काम करने वाली संस्था ‘सलाम बॉम्बे फाउंडेशन’ के तीन सौ युवाओं पर किए गए एक सर्वे से पता चला है कि हमारे देश में ई-सिगरेट धूम्रपान और तंबाकू उत्पादों के सेवन के लिए एंट्री पॉइंट बन रही है।
ज्यादातर युवा केवल दिखावे के लिए ई-सिगरेट का सेवन कर रहे हैं। पिछले साल केंद्र सरकार द्वारा देश के सभी राज्यों को ऐडवाइजरी जारी कर इसे बैन करने के निर्देश के बावजूद ई-सिगरेट चोरी छुपे बिक रही है। ई-सिगरेट लॉबी के भ्रामक प्रचार से गुमराह लगभग 56 प्रतिशत युवाओं को लगता है कि ई-सिगरेट दूसरे किसी तंबाकू उत्पादों की तुलना में कम हानिकारक है, जबकि हकीकत यह है कि दूसरी सिगरेटों की तरह ही ई-सिगरेट भी स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। इससे कैंसर होने के साक्ष्य मिल चुके हैं।
तस्वीर का एक दूसरा रुख यह भी है कि हमारे देश में लगभग 60 लाख किसान तंबाकू की खेती करते हैं। इसके साथ ही तंबाकू उद्योग और इससे संबंधित कार्यक्षेत्रों से जुड़े करीब 4.57 करोड़ लोगों की रोजी-रोटी चल रही है।
एसोचेम के सर्वे के अनुसार तंबाकू पत्तियों का कुल वैश्विक निर्यात कारोबार 12 अरब डॉलर का है, जिसमें भारत की पांच प्रतिशत हिस्सेदारी है। तंबाकू की खेती में करीब दो करोड़ खेतिहर मजदूर लगे हुए हैं, जिनमें से 40 लाख लोग तंबाकू की पत्तियां तोड़ने वाले और 85 लाख कर्मचारी इसके प्रसंस्करण-उत्पादन-निर्यात कारोबार में काम कर रहे हैं। लगभग 72 लाख लोग तंबाकू के खुदरा कारोबार में लगे हुए हैं।
यदि सरकार चाहती है कि भारत के युवा धूम्रपान से दूर रहे तो सरकार को चाहिए कि वह एक योजना बना कर किसानों को तंबाकू उगाने के स्थान पर अन्य फसलें उगाने के लिए प्रेरित करे।
इसके साथ ही राज्य सरकारों को पत्ते तोड़ने से लेकर बीड़ी बनाने तक में लगे आदिवासियों और मजदूरों को दूसरे कुटीर उद्योग लगाने के लिए प्रेरित करना होगा।
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