लाॅकडाउन से यूं तो हरेक कारोबार का बुरा हाल है लेकिन उनमें सबसे अधिक बुरा हाल खाने पीने के कारोबार से ज़ुड़े लोगों का है। अभी केवल सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक ही रेस्टोरेंट्स खोले जा सकते हैं जबकि खाने पीने के आईटम का काम शाम 5 बजे के बाद ही शुरू होता है और रात 10 बजे तक खूब ऑर्डर मिलते हैं। कोरोना काल में पुलिस और प्रशासन के बीच तालमेल की कमी का खामियाजा भी खाद्य व्यवसाइयों को आये दिन भुगतान पड़ता है। जिस के चलते बहुत-से खाद्य व्यवसायी अपना रेस्टोरेंट खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
खाद्य प्रतिष्ठान लिटिल शैफ के संचालक दर्शन सिंह का कहना है कि खाद्य व्यवसाय में दोबारा रौनक लाने के लिए रेस्टोरेंट आदि को ग्राहकों की ज़रूरत के हिसाब से देर शाम तक खुलने की ज़रूरत है। इस बारे में ली विन्कीज के संचालक अमित वाधवा ने कहा कि बहुत-से रेस्टोरेंट ऑनलाइन उपलब्ध नहीं हैं। जबकि बहुत-से ग्राहक जहाँ ऑनलाइन ऑर्डर करने में सहज नहीं होते, वहीं साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए ऑनलाइन पेमेेंट असुरक्षित मानते हैं।
नाम न छापने की शर्त पर राजेन्द्र नगर के एक खाद्य व्यवसायी ने बताया कि निर्देशों का पालन करने के बावजूद स्थानीय पुलिस शाम 4 बजे ही प्रतिष्ठान बंद करवाने आ जाती है। एसोसिएशन ऑफ फूड ऑपरेटर्स के अध्यक्ष अनिल गुप्ता ने कहा कि जिला प्रशासन मोदी जी के दिए गए मंत्र “जान भी और जहान भी” को ध्यान में रखे और व्यवसायों की प्रकृति और आवश्यकता के हिसाब से उनके टाइमिंग निर्धारित करे। रेस्टोरेंट व्यवसाय तथा हजारों लोगों के रोजगार को बचाने के लिए इस तरफ तुरंत ध्यान दिया जाना अब लाज़िमी हो गया है।