अपनी मर्जी से जा रहे हैं प्रवासी मजदूर, इन्हें रोकना हमारे बस में नहीं ! – सर्वोच्च न्यायालय

महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में रेल लाइन पर हादसे का शिकार हुए प्रवासी मजदूरों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘जब वो रेल की पटरियों पर सो जाएं, तो कोई इसे कैसे रोक सकता है?’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था कर रही हैं। लेकिन लोग गुस्से में पैदल ही निकल रहे हैं। इंतजार नहीं कर रहे हैं। ऐसे में क्या किया जा सकता है। सरकारें केवल उनसे पैदल नहीं चलने के लिए रिक्वेस्ट ही कर सकती हैं। उनके ऊपर बल प्रयोग भी तो नहीं किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि सड़कों पर चल रहे प्रवासियों को किसी तरह रोका नहीं जा सकता? सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया।

आपको बता दें कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद में बीते गुरुवार देर रात हुए रेल हादसे में 16 प्रवासी मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे में जान गंवाने वाले सभी 16 मजदूर मध्य प्रदेश के रहने वाले थे। इनमें से 11 शहडोल जिले और 5 उमरिया जिले के थे। ये सभी मजदूर औरंगाबाद से मध्य प्रदेश स्थित अपने गृह जनपद के लिए पैदल ही निकले थे। करीब 40-45 किलोमीटर पैदल चलने के बाद ये सभी थककर औरंगाबाद-जालना रेलवे ट्रैक पर सो रहे थे।

इन मजदूरों पर थकान इतनी हावी थी कि इन्हें मालगाड़ी के आने का पता ही नहीं चला। ये गहरी नींद में सोते रहे और इनके ऊपर से मालगाड़ी गुजर गई। औरंगाबाद के एसपी मोक्षदा पाटिल ने बताया कि दर्दनाक हादसे में जान गंवाने वाले सभी मजदूर भुसावल के लिए निकले थे। यहां से वे श्रमिक स्पेशल ट्रेन के जरिए मध्य प्रदेश लौटना चाहते थे।


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