उद्यमियों पर बकाया हैं UPSIDA के करोड़ों रुपए, आरएम स्मिता सिंह ने शुरू की वसूली की कार्यवाही

उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPSIDA) ने गाज़ियाबाद जिले में अपने औद्योगिक क्षेत्रों के 28 बड़े डिफाल्टरों की सूची तैयार ही है। इन डिफ़ाल्टरों पर प्राधिकरण का 50 लाख से सात करोड़ रुपये तक बकाया हैं। इसके अलावा 100 से अधिक ऐसे छोटे डिफाल्टर भी हैं, जिन पर एक लाख से 50 लाख रुपया बकाया है। इन सभी डिफ़ाल्टरों से बकाया वसूली के लिए प्राधिकरण अब एक विशेष अभियान चला रहा है।

प्राधिकरण की रीजनल मैनेजर स्मिता सिंह ने बताया कि UPSIDA ने पुराने ऐसे 28 डिफाल्टरों की सूची तैयार की है, जिन पर प्राधिकरण का 50 लाख से सात करोड़ रुपये तक बकाया है। कई बार नोटिस जारी होने के बाद वह बकाया चुकाने में किसी तरह की कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। इनसे वसूली के लिए शासन के आदेश पर औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने प्लानिंग करना शुरू कर दिया है।

वहीं, प्राधिकरण ने ऐसे करीब 100 से ज्यादा डिफाल्टरों की भी सूची बनाई है, जिन पर एक लाख से 50 लाख रुपये तक का बकाया चला आ रहा है। प्राधिकरण इनसे अपना बकाया सख्ती से वसूलने के लिए अब कमर कस रहा है।

अवैध धर्मकांटों पर होगी कार्यवाही

आरएम स्मिता सिंह ने बताया कि उन्हें बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र , साउथ साइड ऑफ जीटी रोड औद्योगिक क्षेत्र व लोहा मंडी में अवैध रूप से चल रहे धर्म काँटों के बारे में शिकायतें मिल रही हैं। प्राधिकरण की योजना के मुताबिक इस सप्ताह से औद्योगिक क्षेत्रों का निरीक्षण कर अवैध धर्म कांटा मिलने पर संचालकों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।

अधिकारी उद्यमियों के बीच जाकर सुनेंगे समस्याएँ
उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अधिकारी अब अपने-अपने प्रभार वाले औद्योगिक क्षेत्रों में उद्यमियों के बीच जा समस्याएं को समझकर उनका समय पर यथासंभव समाधान करेंगे। इसकी शुरूआत माह के अंतिम सप्ताह में साहिबाबाद औद्योगिक क्षेत्र से की जाएगी।

अतिक्रमण, अवैध पार्किंग और गंदगी बनी समस्या

गाज़ियाबाद इंडस्ट्रीज़ फ़ैडरेशन के महासचिव अनिल कुमार गुप्ता का कहना है कि उद्यमियों को औद्योगिक विकास प्राधिकरण व जिला उद्योग केंद्र के अधिकारियों का भरपूर सहयोग रहा है। किन्तु, उद्यमियों की सबसे बड़ी समस्या औद्योगिक क्षेत्रों में चारों ओर फैली गंदगी और अतिक्रमण है।

इस बारे में नगर निगम के विभिन्न अधिकारियों से कई बार बैठकें हुईं हैं मगर उद्यमियों से हाउस टैक्स के रूप में करोड़ों रुपए वसूलने वाला गाज़ियाबाद नगर निगम उद्यमियों की समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं है।

खुद निगम के कर्मचारी ही रात के अंधेरे में या सुबह सवेरे शहर भर से कूड़ा उठाकर औद्योगिक क्षेत्र के खाली प्लाटों और सड़कों के किनारे फेंक कर भाग जाते हैं।
उन्होंने बताया कि उद्योग बंधु बैठकों के दौरान नगर निगम के अधिकारी औद्योगिक क्षेत्रों से अतिक्रमण हटाने के लिए बड़ी-बड़ी योजनाओं की घोषणा करते हैं मगर कभी स्वच्छ सर्वेक्षण में व्यस्तता तो कभी पर्याप्त पुलिस बल के अभाव का बहाना बनाकर हर बार अतिक्रमण हटाओ अभियान टाल दिया जाता है। इस विषय में जिलाधिकारी व अन्य अधिकारियों की उदासीनता भी चिंता का विषय है।

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