गाज़ियाबाद में चारों ओर फैली गंदगी और कूड़े के ढेरों को देखकर लगता नहीं है कि इस बार हमारा शहर स्वच्छ भारत मिशन में कोई उल्लेखनीय उपलब्धि प्राप्त कर पाएगा। हालांकि अभी कुछ दिन पहले महापौर आशा शर्मा और नगर आयुक्त दिनेश चंद्र ने आपसी मतभेद भुलाकर एक संयुक्त प्रेस कान्फ्रेंस में घोषणा की थी कि गाज़ियाबाद नगर निगम का हर अधिकारी और कर्मचारी गाज़ियाबाद की जनता के साथ मिलकर देश का सबसे साफ शहर बनने की दिशा में प्रयास करेगा। लेकिन गाजियाबाद नगर निगम के ही कर्मचारी और अधिकारी मिलकर शहर की छवि को धूमिल करने में लगे हुए हैं।
सबसे खराब स्थिति शहर के औद्योगिक क्षेत्रों की है जहां से हर साल निगम को टैक्स के रूप में करोड़ों रुपए मिलते हैं। निगम के कवि नगर ज़ोन में आने वाले बुलंदशहर रोड इंडस्ट्रियल एरिया का भी कुछ ऐसा ही हाल है। यहाँ के एक खाली प्लॉट (ई-15) में कुछ लोग कूड़ा डाल देते हैं। प्लास्टिक बीनने वाले अपना काम खत्म हो जाने के बाद कूड़े के इस ढेर में आग लगा देते हैं और यह प्रक्रिया पिछले कई सालों से चल रही है। प्रदूषण और प्रतिबंधित प्लास्टिक के खिलाफ ज़ोर शोर से अभियान चलाकर नेताओं की नज़र में वाहवाही लूटने वाले अधिकारियों ने शायद ही कभी यहाँ की वस्तुस्थिति जानने की जहमत उठाई हो।
इस बारे में “हमारा गाज़ियाबाद” की टीम ने 19 नवंबर को जिलाधिकारी के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत पर कार्यवाही करते हुए जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय ने नगर निगम को प्लॉट से कूड़ा हटाने तथा UPIDA के अधिकारियों को खाली प्लॉट की चारदीवारी करवाने के आदेश दिए थे ताकि भविष्य में यहाँ कूड़ा एकत्र न हो पाए। दो बार शिकायत करने और जिलाधिकारी के स्पष्ट आदेशों के बाद भी निगम अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।
गाज़ियाबाद नगर निगम के अधिकारियों ने शिकायत पर कार्यवाही करने के बजाए सड़क पर पड़े कूड़े के ढेर को खाली प्लॉट में भर दिया और शिकायत निस्तारित कर दी। नगर स्वस्थ अधिकारी द्वारा लिखे गए पत्र के अनुसार “उक्त स्थान पर संबन्धित कार्य करा दिया गया एवं कूड़े को उठवा दिया गया है। शिकायत करता को फोन पर कार्यवाही से अवगत करा दिया गया है”। इसी प्रकार UPIDA ने भी अपने सिविल विभाग को पत्र लिख मुख्यालय से एस्टिमेट अप्रूव कराने बात कहकर इतिश्री कर ली।
जबकि हकीकत यह है कि औद्योगिक क्षेत्र के इस खाली प्लॉट पर आज भी कूड़े का ढेर लगा हुआ है। निगम के किसी भी कर्मचारी ने शिकायतकर्ता से इस बारे में कभी बात भी नहीं की। स्पष्ट है कि शिकायत का निस्तारण सिर्फ कागजों में ही कर दिया गया है।
अधिकारी उड़ा रहे हैं जनसुनवाई एप की खिल्ली
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा कई बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद भी गाज़ियाबाद में तैनात अधिकतर अधिकारी जन-सुनवाई एप द्वारा दर्ज की गई शिकायतों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। सबसे खराब स्थिति गाज़ियाबाद नगर निगम और गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण से संबन्धित शिकायतों की है। जबकि जनता को सबसे अधिक शिकायत इन्हीं दोनों विभागों से हो रही है। आशा है जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय स्थिति की गंभीरता को समझते हुए कार्यवाही करेंगे वरना जनता की शिकायतों की सुनवाई के लिए बनी जनसुनवाई एप सरकार उपलब्धियों का एक और खोखला दस्तावेज़ बन कर रह जाएगी।
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