सावधान – अपनी गलती से ही होते हैं अधिकतर लोग साइबर क्राइम के शिकार

गाज़ियाबाद | सोमवार को गाज़ियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन क्षेत्र में साइबर क्राइम का एक नया मामला सामने आया। इस बार आशा राजवंशी नाम की एक युवती से पेटीएम को चालू करने के नाम पर ₹58 हजार ठग लिए गए। आशा ने बताया कि उनके मोबाइल नंबर पर चलने वाला पेटीएम खाता पिछले शनिवार से दिक्कत कर रहा था।
सोमवार दोपहर करीब तीन बजे अज्ञात कॉलर का फोन आया। कॉलर ने उनसे पेटीएम खाता बंद होने की बात कहकर उनके खाते से रुपये 36 हजार रुपये निकाल दिए। अधिकतर मामलों की तरह इस मामले में भी आशा ने बिना सोचे समझे अपने खातों की सारी जानकारी और पासवर्ड उस अंजान कॉलर को बता दी जिससे उसकी पहली बार बात हो रही थी। थाना सिहानी गेट प्रभारी गजेन्द्र पाल सिंह ने बताया कि इस मामले में उन्हें अभी कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है, शिकायत मिलने पर साइबर सेल द्वारा जांच की जाएगी।

खुद ठगी के शिकार ही होते हैं दोषी

ज़्यादातर मामलों में ठगी का शिकार हुए लोगों के पास पेटीएम या ऐसी ही किसी अन्य डिजिटल लेनदेन कर रही कंपनी के नाम से फोन आता है। बहुत से मामलों में कॉलर खुद को बैंक का अधिकारी भी बताते हैं। कॉल करने वाला आपके खाते का वेरिफिकेशन करने या केवाईसी के बहाने आपसे सारी जानकारी ले लेता है और थोड़ी ही देर में आपके खाते का सारा पैसा निकाल लिया जाता है।

साइबर ठगी मामलों की विशेषज्ञ और सुप्रीम कोर्ट में वकील सुनाक्षी गुप्ता ने बताया चूंकि ऐसे मामले में ठगी का शिकार व्यक्ति खुद ही अपने खातों की जानकारी और पासवर्ड ठगों को सौंप देता है, इसलिए पुलिस ऐसे मामलों को साइबर क्राइम नहीं बल्कि ठगी या चार-सौ-बीसी की धाराओं में दर्ज करती है। ठगी का शिकार हुए व्यक्ति को कॉलर के फोन नंबर के अलावा कुछ भी मालूम नहीं होता है। ऐसे में पुलिस के लिए भी कॉलर को ट्रेस कर पाना बहुत मुश्किल होता है।

किसी से शेयर न करें गुप्त जानकारी

एसएसपी सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि आप ऑनलाइन ठगी से बचना चाहते हैं तो अपने खातों की यूसर नेम, क्रेडिट/डेबिट कार्ड नंबर, सीवीवी या पासवर्ड जैसी जानकारी किसी के साथ भी शेयर न करें। कोई भी बैंक या ई-कामर्स कंपनी अपने ग्राहकों से उनका यूजर नेम या पासवर्ड आदि नहीं पूछती है।

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