आईएमटी का नक्शा बगैर जांच के किया पास, नपेंगे जीडीए अधिकारी

गाज़ियाबाद। इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (आइएमटी) की जमीन का सत्यापन किए बिना संशोधित नक्शा स्वीकृत करने के मामले में जीडीए के नियोजन अनुभाग में वर्ष 2016 में तैनात अधिकारी और कर्मचारियों पर कार्रवाई तय है। शासन ने जीडीए को आदेश दिया है कि जांच कर लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों को चिह्नित किया जाए। उन पर कार्रवाई करके अवगत कराया जाए।

आइएमटी का नाता मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के परिवार से है। उनके बेटे बकुलनाथ इस संस्थान के प्रेसिडेंट हैं। बिना सत्यापन के संशोधित नक्शा स्वीकृत करने के मामले में जांच ओएसडी सुशील चौबे को सौंपी गई है। आनन-फानन पुरानी फाइलें तलाशी गई है। इस मामले से जुड़ी कई फाइलें नदारद हैं। नियोजन अनुभाग को फाइलें तलाश कर सौंपने के लिए कहा गया है।

राजनगर सेक्टर-20 में वर्ष 1981 में आइएमटी को 11503.34 वर्ग गज जमीन आवंटित की गई थी। तब आइएमटी को 1.95 लाख रुपये देने थे। आवंटन के बाद आइएमटी ने भुगतान नहीं किया। वर्ष 1994 तक जीडीए की तरफ से लगातार भुगतान के संबंध में नोटिस भेजे गए थे। फिर जीडीए भी कार्रवाई करना भूल गया। पार्षद राजेंद्र त्यागी ने पूरे प्रकरण से मुख्यमंत्री को अवगत कराया था। यह जानकारी भी दी थी कि वर्ष 2016 में जीडीए के नियोजन अनुभाग ने जमीन के कागजों का सत्यापन किए बिना आइएमटी का संशोधित नक्शा स्वीकृत किया था। उसके बाद जांच के बाद जीडीए ने इस जमीन का आवंटन निरस्त कर दिया था। कहा था कि बिना सत्यापन के नक्शा स्वीकृत करने के मामले में लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन, अब तक कार्रवाई नहीं हुई। इस बात से भी पार्षद राजेंद्र त्यागी ने शासन को अवगत कराया था।

इस प्रकरण में आइएमटी प्रबंधन इलाहाबाद हाई कोर्ट गया था। वहां से आदेश हुआ था कि प्रमुख सचिव आवास आइएमटी प्रबंधन के प्रत्यावेदन पर निर्णय करें। आइएमटी प्रबंधन ने पुरानी दर पर ब्याज लगाकर जमीन का आवंटन पुनर्बहाल करने की मांग की थी। प्रमुख सचिव आवास ने प्रत्यावेदन को खारिज कर दिया था। निर्णय किया था कि आइएमटी प्रबंधन चाहे तो वर्ष 1999 के शासनादेश के अनुसार बाजार मूल्य पर जमीन का दोबारा आवंटन करा सकता है। इस निर्णय से हाई कोर्ट को अवगत करा दिया गया है।

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