गाज़ियाबाद। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए)के अफसरों की अब मैमोरी वीक हो चली है। इतना ही नहीं जमीन लेने के बाद प्रशासन का पैसा देना ही जीडीए अफसर भूल गए हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि प्रशासनिक अफसरों द्वारा पांच साल से लगातार पैसा मांगा जा रहा है। डीएम अजय शंकर पाण्डेय ने जमीनों की फाइलें खुलवा दी है। इतना ही नहीं अलग-अलग उपयोग से जुड़ी जमीन के पुर्नग्रहण से जुडी रिपोर्ट बेहद चौंकाने वाली है। चालीस गांवों की 106 हेक्टेयर जमीन का पुर्नग्रहण करके प्रशासन ने जीडीए को कब्जा दे दिया है लेकिन इसकी कुल कीमत 510 करोड़ का पांच साल बाद भी भुगतान नही किया गया है।
डीएम द्वारा जीडीए वीसी को कड़ा पत्र भेजकर 20 दिन के भीतर जमीन का पैसा दिए जाने के निर्देश दिए गए है। इससे जीडीए अफसरों में खलबली मच गई है। यहीं नहीं जीडीए सचिव संतोष कुमार राय ने बकाया राशि का भुगतान करने की बजाय दो करोड़ रुपए की रकम गलत जोडऩे को लेकर डीएम को पत्र भेजा है। डीएम की ओर से जीडीए वीसी को भेजी गई सूची में सबसे बेशकीमती जमीन मकनपुर की है। प्रशासन ने मकनपुर की 3.3557 हेक्टेयर जमीन का पुर्नग्रहण किया था। इसकी कीमत 838937450 रुपए है। महीउद्दीनपुर कनावनी की 1.665 हेक्टेयर जमीन की कीमत 799212488 रुपए है। इसी कड़ी में नूरनगर की 14.636 हेक्टेयर जमीन की कीमत 723073285 रुपए है।
सिहानी गांव की 2.162 हेक्टेयर जमीन की कीमत 302695350 रुपए है। मोरटी की 4.182 हेक्टेयर जमीन की कीमत 209130993 रूपए है। सद्दीकनगर की ०.95 हेक्टेयर जमीन की कीमत 133007500 रुपए भी जीडीए दबाये बैठा है। ऐसे कुल चालीस खसरों से जुड़ी सार्वजनिक उपयोग की पुर्नग्रहीत भूमि का पुर्नग्रहण मूल्य जीडीए द्वारा जमा नहीं कराया गया है। डीएम के इस पत्र में लिखा है कि 106.936 हेक्टेयर जमीन का विगत वर्षों में जीडीए के लिए पुर्नग्रहण किया गया है। इसका पुर्नग्रहण मूल्य पांच सौ दस करोड 25 लाख 94 हजार 106 रूपए बैठता है।
पता चला है कि जीडीए ने इस जमीन में से कुछ पर रोड निर्माण कर लिए हैं तो कुछ प्राइवेट बिल्डरों को बेच दी है। इस जमीन में ग्राम सभा की भी जमीन शामिल है। उधर जीडीए सचिव ने डीएम को पत्र भेजकर अनुरोध किया है कि हसनपुर भोवापुर की पुर्नग्रहीत जमीन की कीमत 2.19 करोड़ 16 जनवरी 2015 को जमा करवाई जा चुकी है। सचिव ने संशोधित मांग पत्र भेजे जाने का अनुरोध किया है।
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