सीवर नेटवर्क के निजीकरण से कर्मचारियों की नौकरी का खतरा

गाजियाबाद। सिटी के सीवर नेटवर्क को प्राइवेट हाथों में जाने का खामियाजा सबसे ज्यादा वहां के कर्मचारियों को भुगतना पड़ेगा। नगर निगम में फिलहाल सीवर के रख-रखाव करने के लिए करीब चार सौ कर्मचारी तैनात हैं जो करीब 2200 किमी सीवर नेटवर्क की देख-रेख करते हैं। अब ये सीवर लाइन के रख-रखाव का काम प्राइवेट हाथों में जाने से इन कर्मचारियों की नौकरी जाने का खतरा मंडराने लगा है।
हालांकि नगर निगम कह रहा है कि जिस कंपनी को यह ठेका दिया गया है वह आधुनिक उपकरणों से सीवर सफाई का काम करेगी और इसमें रोबोट का भी इस्तेमाल किया जाएगा। जिस कंपनी को गाजियाबाद में सीवर नेटवर्क का ठेका दिया गया है उसका नाम बीए टैक वॉबग लिमिटेड चैन्नई है। यह कंपनी एक्सपर्ट मानी जाती है और दुनिया के करीब सात देशों में सीवर नेटवर्क का रख-रखाव करती है।
इस कंपनी को गाजियाबाद, पिलखुवा, लोनी, अनूपशहर, बिजनौर, रामपुर, मेरठ, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर में सीवरेज सिस्टम और पंपिंग स्टेशन, सीवर ट्रीटमेंट प्लांट आदि का भी ठेका दिया गया है। कल पांच बजे लखनऊ में प्रमुख सचिव नगर विकास मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में नगरायुक्त दिनेश चंद्र सिंह और कंपनी के बीच एमओयू साइन हो गया। संभावना है कि अगले महीने यानि एक दिसंबर से शहर का सीवर नेटवर्क प्राइवेट हाथों में चला जाएगा।
उधर, सीवर नेटवर्क के प्राइवेट हाथों में जाने के साथ ही उन कर्मचारियों के होश उड़ गये हैं जो नगर निगम में अभी तक सीवर नेटवर्क के रख-रखाव का काम करते हैं। नगर निगम में सीवर रख-रखाव करने वाले कर्मचारी नेता रितेंद्र चौहान का कहना है कि हमने इस मामले में नगर निगम में जलकल विभाग के जीएम बीके सिंह से बात की है।
सिंह का कहना है कि अभी कंपनी ने हमें यह नहीं बताया कि वह क्या काम करेगी, क्या नहीं। कंपनी से स्थिति स्पष्ट होने के बाद वे बता पाएंगे कि नगर निगम में सीवर रख-रखाव के लिए अब कितने कर्मचारियों की जरूरत होगी।
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